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यह प्रसिद्ध और आज के परिदृश्य में सटीक डायलॉग फिल्म 'सौदागर' (1991) से है, जिसका निर्देशन सुभाष घई ने किया था. यह फ़िल्म तीस साल से ज़्यादा समय के बाद दो दिग्गज अभिनेताओं, दिलीप कुमार और राज कुमार को एक साथ लाने के लिए मशहूर है. कहानी दोस्ती, विश्वासघात और कैसे नफरत पीढ़ियों तक बनी रह सकती है, की कहानी है. दरअसल शेक्सपियर के रोमियो और जूलियट से प्रेरित है ये थीम, लेकिन इसमें भारतीय ट्विस्ट है. यह फ़िल्म बहुत बड़ी हिट हुई थी और अपने समय की सबसे ज़्यादा बॉक्स ऑफिस कलेक्शन करने वाली फ़िल्मों में से एक थी.
कहानी की शुरुआत मंधारी नाम के एक बूढ़े व्यक्ति से होती है जो बच्चों को दो सबसे अच्छे दोस्तों, वीर सिंह (दिलीप कुमार द्वारा अभिनीत) और राजेश्वर सिंह (राज कुमार द्वारा अभिनीत) के बारे में एक कहानी सुनाता है. वे एक साथ बड़े हुए और एक-दूसरे को राजू और वीरू कहते थे. उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि वीरू राजू की बहन, पलिकंता से शादी करने वाला था. लेकिन जब वीरू एक दूसरी महिला की इज़्ज़त बचाने के लिए उससे शादी कर लेता है, तो सब कुछ गलत हो जाता हैं और पलिकंता, दिल टूट जाने के कारण आत्महत्या कर लेती है. यह दुखद घटना दोनों दोस्तों को कट्टर दुश्मन बना देती है. वे अपनी ज़मीनों को बाँट लेते हैं और सभी को सीमाएँ न लांघने की चेतावनी देते हैं. सालों बाद, उनके पोते, वासु (विवेक मुशरान) और राधा (मनीषा कोइराला) पुराने झगड़े के बारे में जाने बिना ही एक दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं. उनकी प्रेम कहानी शांति की उम्मीद जगाती है, लेकिन चुनिया (अमरीश पुरी) जैसे लोग हैं जो अपने फायदे के लिए पुरानी आग और दोनों दोस्तों के बीच नफरत को ज़िंदा रखने के लिए खेल खेलता रहता है. आखिर नए जेनेरेशन उनके पूर्वजों के बीच दुश्मनी ख़त्म कर देते हैं. कहानी का मर्म है कि क्या प्यार पुराने ज़ख्मों को भर सकता है या बदला सब कुछ नष्ट कर देगा. सौदागर की कास्ट में बड़े नाम शामिल हैं. दिलीप कुमार और राज कुमार के साथ, फिल्म ने मनीषा कोइराला और विवेक मुशरान, अमरीश पुरी, मुकेश खन्ना दीप्ति नवल अनुपम खेर गुलशन ग्रोवर दिलीप ताहिल जैकी श्रॉफ, दीना पाठक, जाहिद अली, वेद थापड़, रुबीना खान, मालविका तिवारी, अभिनव चतुर्वेदी, पल्लवी जोशी, आकाश खुराना, अर्चना पूरन सिंह, शुभा खोटे और गोविंद नामदेव हैं. फिल्म की कहानी सचिन भौमिक, सुभाष घई और कमलेश पांडे ने लिखी थी और छायांकन अशोक मेहता ने किया था, जिन्होंने फिल्म को एक भव्य और नाटकीय रूप दिया. सौदागर का संगीत इसकी सबसे बड़ी ताकत है. संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, गीतकार आनंद बख्शी और गाने वाले थे लता मंगेशकर, कविता कृष्णमूर्ति, मोहम्मद अजीज और सुदेश भोसले. सारे गाने जैसे, 'इलू इलू' "सौदागर सौदा कर", "इमली का बूटा" तेरी याद आती है, राधा नाचेगी, "इलाही तू सुन ले हमारी" सुपर हिट साबित होकर क्लासिक बन गए और आज भी याद किए जाते हैं. नृत्यों की कोरियोग्राफी सरोज खान ने की थी.
पर्दे के पीछे कई दिलचस्प कहानियां हैं. दिलीप कुमार और राज कुमार दोनों ही अपने मजबूत व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे और एक दूसरे के साथ काम नहीं करते थे. सेट पर वे आपस में बात भी नहीं करते थे. निर्देशक सुभाष घई को सेट पर माहौल को दोस्ताना बनाए रखने के लिए अपने सभी कौशल और हथकन्डों का इस्तेमाल करना पड़ा. लेकिन दोनों दिग्गजों का अभिनय इतना शक्तिशाली था कि इससे स्क्रीन पर तनाव और ड्रामा और बढ़ जाता था. मनीषा कोइराला बहुत घबराई हुई थीं क्योंकि यह उनकी पहली फिल्म थी, लेकिन दिलीप कुमार ने उनका साथ दिया और उन्हें कई टिप्स दिए , जिससे मनीषा का आत्मविश्वास बढ़ा.
एक और अज्ञात तथ्य यह है कि सौदागर दिलीप कुमार की दूसरी आखिरी फिल्म और उनकी आखिरी बड़ी बॉक्स ऑफिस सफलता थी. यह फिल्म सिल्वर जुबली हिट रही, जो कई सिनेमाघरों में 25 हफ्तों से ज्यादा चली. इसने कई पुरस्कार जीते, जिसमें फिल्मफेयर पुरस्कारों में सुभाष घई के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार भी शामिल है. राज कुमार का प्रसिद्ध संवाद, “बंदूक भी हमारी होगी, गोली भी हमारी होगी, बस जमीन तुम्हारी होगी,” ऐसा प्रसिध्द हो गया कि आज जब भारत सरकार पहलगाम आतंकी हमलों का जमकर और आतंकी अड्डों में घुसकर चुन चुन कर बदला ले रही है, तो हर भारतीय की जुबान पर यही डायलॉग उभर रहा है.
इस फिल्म के कुछ अन्य प्रसिध्द डायलॉग इस प्रकार है
- "सौदा जिंदगी बर्बाद करने का हुआ था, बचने का नहीं." (राजकुमार)
- "इससे पहले हमारे हाथ खून से रंग जाए, दफा हो जाओ." (दिलीप कुमार)
- "जब राजेश्वर दोस्ती निभाता है, तो अफ़साने लिखे जाते हैं... और जब दुश्मनी करता है, तो तारीख़ बन जाती है." (राज कुमार)
- "कलेजा जलता है तभी शराब पी जाती है." (राज कुमार)
- "मैं इतिहास बताता नहीं, इतिहास लिखता हूं, बनाता हूं." (राज कुमार)
- "सबसे बड़ा रिश्ता? दोस्ती. दोस्ती वो क्यों? क्योंकि दोस्ती रिश्तों से नहीं, दिल से पैदा होती है. और सबसे खतरनाक दुश्मन? कोई गहरा या पुराना दोस्त."
फिल्म का यह डायलॉग आज के परिदृश्य में सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है. ये संवाद दोस्ती, दुश्मनी की तीव्र भावनाओं को दर्शाते हैं.
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