जिंदगी का Safar, है ये कैसा सफर, वक्त के पंखों पर यादों की एक यात्रा कानपुर के गंगा किनारे, जे के कॉलोनी में मेरी पैदाइश और सेंट जोसेफव्स कान्वेंट मे मेरी प्रारंभिक शिक्षा के दौरान फिल्मों के प्रति मेरी रुचि कब और कैसे बढ़ने लगी, पता ही नहीं चला... By Sulena Majumdar Arora 08 Aug 2024 in एंटरटेनमेंट New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Follow Us शेयर कानपुर के गंगा किनारे, जे के कॉलोनी में मेरी पैदाइश और सेंट जोसेफव्स कान्वेंट मे मेरी प्रारंभिक शिक्षा के दौरान फिल्मों के प्रति मेरी रुचि कब और कैसे बढ़ने लगी, पता ही नहीं चला. हो सकता है कि उसी स्कूल में पढ़ रहे उस जमाने के मशहूर फ़िल्म निर्माता मुशीर रियाज़ के परिवार वालों की जुबानी फिल्मों की कहानियों का ही वो असर हो. वो दशक था 1980 का, उन दिनों बॉलीवुड में मुशीर रियाज़ का खूब बोलबाला था. उस जमाने मे जिसे देखो वही मुशीर रियाज़ की दस साल पहले (1970), की सुपर हिट फ़िल्म 'सफर' जैसी फ़िल्म बनाना चाहते थे. आइए जानते हैं फ़िल्म 'सफर' के बारे मे जिसे एक कल्ट फ़िल्म माना जाता है. साल था 1970, एक ऐसा समय जब सपने आशा के धागों से बुने जाते थे और भारतीय सिनेमा, एक विशाल भावनाओं का रगमंच था, इसी दौर में इस फिल्म का जन्म हुआ, ये सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक जिंदगी का कलचक्र था, ये वो 'सफर' था जिसमें प्यार, संदेह, आत्मघात और मानवीय रिश्तों की जटिलताओं की कहानी थी, जिसे भारतीय सिनेमा के चार दिग्गज, राजेश खन्ना, शर्मिला टैगोर, फिरोज़ खान और अशोक कुमार जैसे कलाकारों द्वारा जीवंत किया गया था, और जिसे मर्मस्पर्शी फिल्मों के रचयता, असित सेन द्वारा निर्देशित किया गया था. 'सफर' की यह फिल्मी यात्रा, मुशीर आलम और मुहम्मद रियाज़ की कानपुरिया जोड़ी के साथ शुरू हुआ था, जिनके प्रोडक्शन हाउस, 'मुशीर रियाज़' ने पहली बार असित सेन के कुशल निर्देशन में, दिलीप कुमार अभिनीत फिल्म, 'बैराग' से सुर्खियां बटोरी थी. दरअसल मुशीर रियाज़ की जोड़ी चाहते थे 'बैराग' को पहले बनाकर रिलीज़ करना, लेकिन बड़े स्टार्स (दिलीप कुमार, साएरा बानो) की फ़िल्म होने की वजह से शूटिंग में देरी हो रही थी, तब मुशीर रियाज़ ने बॉलीवुड के कुछ युवा उभरते स्टार्स को लेकर एक और फ़िल्म बनाने का विचार किया, उन्हे उस वक्त क्या पता था कि उनके इस एक विचार ने भारतीय सिनेमा को कितना समृद्ध किया. मुशीर आलम ने एक दिन एक दिलचस्प बंगाली उपन्यास लेकर सुपरस्टार राजेश खन्ना से संपर्क किया और उन्हे बताया कि इस उपन्यास पर पहले ही एक बंगाली फिल्म 'चलाचल' बन चुकी थी, उन्होने राजेश खन्ना को 'चलाचल' दिखाया, जिससे प्रेरित होकर राजेश खन्ना तुरंत 'सफ़र' साइन करने पर राजी हो गए. इस प्रकार 'सफ़र' के बीज बोये गये. इस फिल्म ने एक नये ढंग की फ़िल्म मेकिंग की शुरुआत की, जिसने आगे हमें 'कमांडो', 'राजपूत', 'शक्ति' और 'विरासत' जैसे सिनेमा दिए. उस युग के सुपरस्टार, राजेश खन्ना, सिर्फ एक मैटनी आइडल से कहीं अधिक थे. उन्हे अभिनय का कवि माना जाता था, जिन्होंने भारतीय हृदय के मूल ताने-बाने में, प्रेम और भ्रम की पीड़ा को उकेरा. राजेश खन्ना का प्रभाव, सिल्वर स्क्रीन से कहीं आगे तक फैला हुआ था और उनकी इस विरासत के केंद्र में फिल्म 'सफ़र' को माना जाता है जो पांच दशक बाद, आज भी गूंजती रहती है और जीवन के उतार-चढ़ाव तथा उसके सुख-दुख को प्रतिबिंबित करती रहती है. यह कहानी एक संघर्षरत कलाकार अविनाश की कहानी है, जो अपनी साथी मेडिकल छात्रा नीला से बहुत प्यार करता है. जीवन और मृत्यु से जूझ रही जिंदगी की पृष्ठभूमि पर आधारित, उनकी प्रेम कहानी, युवा प्रेम की एक मार्मिक गाथा है, जो गलतफहमियों और बलिदानों से भरी है. निर्देशक असित सेन, जो एक कुशल कथाकार भी थे, ने इस कथा में जान फूंक दी. आशुतोष मुखर्जी के बंगाली उपन्यास, "चलाचल" से प्रेरित होकर, सेन ने एक ऐसी पटकथा तैयार की जो समकालीन और कालातीत दोनों थी. सेन का उद्देश्य इस फिल्म को हिंदी भाषी दर्शकों के लिए उपलब्ध कराते हुए भी इसके भावनात्मक मूल को बनाए रखना था. संवाद लिखा था इंदर राज आनंद ने. सफर के साथ उन्होंने तकनीशियनों की एक सशक्त टीम को इकट्ठा किया, जिसमें प्रसिद्ध छायाकार कमल बोस भी शामिल थे, जिन्होंने फ़िल्म के आश्चर्यजनक दृश्यों के साथ फिल्म की भावनात्मक गहराई को कैद किया. अविनाश के रूप में राजेश खन्ना का चरित्र चित्रण, उत्कृष्ट प्रतिभा का एक नायाब नमूना था. प्यार में डूबे, एक ऐसे व्यक्ति का उनका किरदार, जो अपनी प्रेमिका के भविष्य के लिए अपनी खुशी का त्याग करने को तैयार है, किसी प्रेम तपस्वी से कम नहीं था. प्रेम, त्याग और नैतिक दुविधा से जूझ रहे उस चरित्र को राजेश खन्ना की भावपूर्ण आँखों ने अमर कर दिया. खन्ना ने एक बार कबूल किया था, ''अविनाश मेरा ही हिस्सा था. उसका दर्द, उसकी उलझन, उसका प्यार..., मैंने यह सब महसूस किया." तब, राजेश खन्ना का किरदार लाखों युवाओं के लिए एक आदर्श बन गया. उनका अद्भुत परफॉर्मेंस इस बात की याद दिलाता है कि उन्हें "भारतीय सिनेमा के प्रथम सुपरस्टार" का ताज क्यों पहनाया गया था. डॉक्टर नीला के रूप में शर्मिला टैगोर, ने राजेश खन्ना के अभिनय को कांटे की टक्कर दी थी. भावनाओं के बवंडर में फंसी एक स्त्री का, उनका चित्रण, प्रेम की शक्ति और कमजोरी दोनों को बयां किया है. शर्मिला ने याद करते हुए कहा, "नीला अपने समय से आगे की महिला थीं. वह बहादुर थी, स्वतंत्र थी, और फिर भी, दिल की गहराई से घायल थी." उस जमाने में नीला के संघर्ष की गूंज पूरे देश की महिलाओं में गूंज उठी. राजेश खन्ना और टैगोर के बीच की केमिस्ट्री अद्भुत थी. उनका प्यार, उनके झगड़े, उनकी खामोशियाँ - सब, बहुत कुछ कहते थी. यह वह समय था जब अभिनेता सिर्फ अभिनय नहीं करते थे, वे अपने किरदारों को जीते थे. अविनाश, नीला और शेखर के बीच दिल दहला देने वाला वो टकराव, हवा में तनाव, अनकहे शब्द, नायकों के चेहरे पर उकेरा गया वो दर्द - यह सब दर्शकों को दीवाना बना रहे थे. इस फिल्म में फ़िरोज़ खान, अशोक कुमार और आई.एस. जौहर के अलावा, कई शानदार सहायक कलाकार भी काम कर रहे थे. जौहर, वो कलाकार थे जो, जब सशक्त प्रदर्शन करते थे तो कथा के स्तर को ऊंचा उठा देते थे. 'सफ़र' का संगीत, कल्याणजी-आनंदजी (कल्याणजी वीरजी शाह और आनंद जी वीरजी शाह) द्वारा संगीतबद्ध और इंदीवर द्वारा लिखा गया था जो फिल्म की आत्मा का एक महत्वपूर्ण अंग रहा.उनकी धुनें फिल्म के भावनात्मक परिदृश्य को प्रतिबिंबित करती रही. "जिंदगी का सफर है ये कैसा सफर", "जीवन से भरी तेरी आंखें", 'तुम दिन को अगर रात कहो रात कहेंगे', 'हम थे जिनके सहारे' जैसे गाने मधुर कालजयी क्लासिक बन गए हैं. प्रत्येक गाना फिल्म की कहानी का एक आदर्श पूरक बन गया. बताया जाता है कि 'सफर' की शूटिंग के दौरान कलाकारों और क्रू को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. दृश्यों की भावनात्मक इनटेंसिटी, और मौसम की मार ने हर किसी पर बहुत गहरा असर डाला था. फिर भी, इस प्रोजेक्ट के प्रति सबके जुनून ने हर चुनौती को पार किया. क्रू के एक सदस्य ने याद करते हुए कहा था, "कलाकारों के साथ साथ हमने भी किरदारों को जिया. फिल्म के सेट, हमारे जीवन के अंग की तरह रच बस गए थे. हंसी, आंसुओं और थकावट के क्षण ढेरों थे, लेकिन सिनेमा के जादू ने हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया." इन चुनौतियों ने 'सफ़र' की विरासत को एक ऐसी फिल्म के रूप में योगदान दिया जो दर्शकों के बीच आज भी गूंजती है. सफ़र" के सीमित बजट ने प्रोडक्शन टीम को कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए मजबूर किया था. बजट की कमी के कारण, क्रू को विशाल सेट बनाने के बजाय प्राकृतिक स्थानों और मौजूदा सेटों पर बहुत अधिक निर्भर रहना पड़ा था. आज की तरह उन दिनों प्रोमोशनल पब्लिसिटी का ना कोई चलन था न कोई बजट. पोस्टर और माउथ पब्लिसिटी ही किया जाता था. तकनीकी दृष्टिकोण से, फिल्म के भावनात्मक स्तर को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने के लिए सिनेमैटोग्राफर कमल बोस ने अथक मेहनत की थी. 'सफर' 1970 की भारत में दसवीं सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई थी. उस जमाने में इस फ़िल्म ने तीन करोड़ की बिजनेस की थी, जो आज के हिसाब से लगभग 150 करोड़ बनता है. इसे दो फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार नामांकन प्राप्त हुए, जिसमें असित सेन ने सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीता. राजेश खन्ना, BFJA बेस्ट एक्टर अवार्ड के लिए नामांकित हुए थे शर्मिला टैगोर को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नामांकित किया गया था. फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ पटकथा, सर्वश्रेष्ठ संवाद और सर्वश्रेष्ठ संपादन के लिए तीन बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन पुरस्कार भी जीते. फ़िल्म 'सफर' को 1969-1971 के बीच राजेश खन्ना की लगातार 17 हिट फिल्मों में से एक माना जाता है. खबरों के अनुसार इस फ़िल्म के साथ एक मजेदार बात यह भी हुई कि जब मीना कुमारी ने इस फ़िल्म को देखा तो इसे बहुत पसंद किया लेकिन राजेश खन्ना की चुटकी लेते हुए यह भी कहा था कि हट्टे-कट्टे मोटे ताजे राजेश खन्ना किसी भी एंगल से कैंसर के मरीज नहीं दिखते. 54 वर्ष के बाद भी, यह फ़िल्म सिनेमा की शक्ति का एक अभिन्न प्रमाण पत्र बना हुआ है. यह एक ऐसी फिल्म है जो समय से परे है, और मानवीय भावनाओं की यथार्थवादी सुंदरता की याद दिलाती है. यह एक ऐसी फिल्म है जो हमें हंसाती है, रुलाती है और अंततः उम्मीद जगाती है. Read More राजेश खन्ना का करियर क्या इस वजह से हुए था चौपट, मुमताज़ ने किया खुलासा इस सीरीज में माधुरी दीक्षित निभाने वाली हैं सीरियल किलर का किरदार? क्या आयुष्मान खुराना ने इस वजह से छोड़ी करीना कपूर खान वाली फिल्म अमेरिकी तैराकी टीम ने ऐश्वर्या के गाने 'ताल से ताल' पर किया परफॉर्म हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Latest Stories Read the Next Article