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Ghajini: भारतीय फिल्म इतिहास में एक मील का पत्थर

2008 में रिलीज़ हुई आमिर खान की फ़िल्म 'गजनी' भारतीय सिनेमा में मील का पत्थर माना जाता है. यह फ़िल्म अपनी मनोरंजक कहानी, दमदार अभिनय और यादगार संगीत के लिए रिलीज़ होते ही सुपर हिट साबित हो गई...

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Ghajini भारतीय फिल्म इतिहास में एक मील का पत्थर
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2008 में रिलीज़ हुई आमिर खान की फ़िल्म 'गजनी' भारतीय सिनेमा में मील का पत्थर माना जाता है. यह फ़िल्म अपनी मनोरंजक कहानी, दमदार अभिनय और यादगार संगीत के लिए रिलीज़ होते ही सुपर हिट साबित हो गई. ए.आर. मुरुगादॉस द्वारा निर्देशित यह फ़िल्म 2005 में इसी नाम की तमिल फ़िल्म का हिंदी रीमेक है. गज़नी फ़िल्म अपने समय की एक बड़ी सफलता थी और इस फ़िल्म को सबसे प्रथम बॉलीवुड में "100 करोड़ क्लब" बनाने का श्रेय दिया जाता है, जिसने बॉक्स ऑफ़िस पर भारतीय फ़िल्मों के लिए एक नया युग शुरू किया. 'गजनी' का निर्माण रचनात्मक विचारों और कड़ी मेहनत से भरा एक अथक निर्माण था. संजय सिंघानिया की मुख्य भूमिका निभाने वाले आमिर खान फ़िल्म को एक अलग स्तर तक ले जाने में काफ़ी हद तक शामिल थे. उन्होंने इससे पहले कभी भी कोई रीमेक पर काम नहीं किया था. आमिर शुरू में इस प्रोजेक्ट को लेने में काफी झिझक रहे थे. लेकिन, मूल तमिल फ़िल्म के स्टार सूर्या से बात करने के बाद, आमिर को यकीन हो गया कि वे अपने इस किरदार में कुछ ख़ास ला सकते हैं. सूर्या का मानना था कि आमिर ही एकमात्र अभिनेता हैं जो इस भूमिका के साथ न्याय कर सकते हैं. उनके इस विश्वास ने आमिर के निर्णय को प्रभावित करने में मदद की. गजनी की कहानी संजय सिंघानिया के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक सफल व्यवसायी है. वो किसी कारण वश गैंगस्टरों द्वारा हमला किए जाने के बाद शॉर्ट मेमोरी लॉस (अल्पकालिक स्मृति हानि) समस्या से पीड़ित हो गए. उसकी ज़िंदगी तब दुख से भर जाती है जब उसकी प्रेमिका कल्पना, जिसका किरदार असिन थोट्टुमकल ने निभाया है, की हत्या गजनी नामक एक क्रूर गैंगस्टर द्वारा बेरहमी से कर दी जाती है.

Ghajini A milestone in Indian film history

अपनी मासूम प्रेमिका की मौत का बदला लेने और यह पता लगाने के लिए कि उसे किसने मारा, संजय महत्वपूर्ण जानकारी को ट्रैक करने के लिए अपने शरीर पर तस्वीरें और टैटू का उपयोग करता है. ऐसा वो इसलिए करता है क्योंकि वह 15 मिनट से अधिक समय तक कुछ भी याद नहीं रख सकता है. यह फिल्म  प्यार,  क्रोध, दर्द, मेडिकल समस्या और बदला लेने की कहानी पर आधारित है. गज़नी सच में, अपने रोमांचकारी एक्शन दृश्यों के साथ दर्शकों को अपनी सीटों से बांधे रखती है. इसके, अन्य कलाकार थे जिया खान, प्रदीप राम सिंह,  सूर्या, सुनील ग्रोवर सोनल सहगल. जिया खान ने सिर्फ तीन फिल्मों में काम किया था, निशब्द (2007) गजनी (2008) हाउसफुल (2010) , उनकी मृत्यु  3 जून 2013 में 25 साल की उम्र में हो गई.

पर्दे के पीछे, गजनी की मेकिंग के दौरान कई दिलचस्प किस्से हुए थे. इसकी एक उल्लेखनीय बात यह थी कि इस भूमिका  के लिए आमिर को जोरदार शारीरिक प्रशिक्षण करके अपने शरीर को अद्भुत बनाना पड़ा था. उन्होंने अपने शरीर को   भरपूर मसल्स वाला शेप देने के लिए एक पूरा साल समर्पित किया. जो उनके चरित्र के लिए आवश्यक था. उन्होंने इस लुक को पाने के लिए जिम में कड़ी मेहनत की और सख्त डाइट का पालन किया. उनकी लगन का फल तब मिला जब दर्शकों ने उन्हें स्क्रीन पर देखकर उनके शारीरिक परिवर्तन को देखकर आश्चर्यचकित रह गए.

गज़नी का फिल्मांकन भारत भर के विभिन्न स्थानों पर हुआ और यहां तक कि इसमें दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन और नामीबिया के डेडपैन डेजर्ट जैसे अंतरराष्ट्रीय लोकेशंस भी शामिल थे. क्लाइमेक्स हैदराबाद के पुराने शहर में शूट किया गया था. ऐसा करना आमिर की अपनी फिल्म के प्रति डेडीकेशन तथा दृश्य की यथार्थवादि‍ता के प्रति प्रतिबद्धता झलकती है. एक एक्शन सीक्वेंस के दौरान, उनके पैर में चोट लग गई, लेकिन दर्द के बावजूद उन्होंने शूटिंग जारी रखी. उनके समर्पण के इस हाइट ने सेट पर मौजूद सभी को प्रभावित किया और फिल्म की समग्र तीव्रता में योगदान दिया.

Ghajini A milestone in Indian film history

गजनी के संगीत ने भी इसकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ए.आर. रहमान द्वारा रचित साउंडट्रैक में कई हिट गाने शामिल थे, जो दर्शकों को खूब पसंद आए. 'गुज़ारिश' और 'लाटू' जैसे ट्रैक तुरंत ही लोगों के  जुबान पर चढ़ गए और उन्हे फ़िल्म की कहानी की भावनात्मकता के गहराई में जोड़ दी.

गजनी के बारे में एक कम सुनी हुई बात यह है कि आमिर खान ने स्क्रिप्ट के कुछ हिस्सों, खासकर क्लाइमेक्स को फिर से लिखने में हाथ बँटाया था. उन्हें लगा कि असली कहानी के सार को बनाए रखते हुए इसे हिंदी दर्शकों के लिए ज़्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए कुछ बदलाव ज़रूरी थे. आमिर और मुरुगादॉस के बीच इस साझा विचार प्रयास के परिणामस्वरूप इस फ़िल्म का मनोरंजक एंड हो पाया जिसने दर्शकों को चौंका दिया.

आमिर खान की फिल्म 'गजनी' में, हिंदी पत्रिका मायापुरी को बहुत ही मनोरंजक ढंग से उभारा गया है, जो इस प्रतिष्ठित प्रकाशन के लिए आमिर के लगाव को दर्शाता है. 'मायापुरी' पत्रिका 50 से अधिक वर्षों से भारतीय मनोरंजन परिदृश्य में एक लोकप्रिय और टॉप की पत्रिका रही है. यह हिंदी बॉलीवुड समर्पित पत्रिका, ऑथेंटिक न्यूज़, इंटरव्यूज, रंग-बिरंगे और ताज़े फोटोज़, और फिल्म गपशप के अपने आकर्षक कवरेज के लिए जानी जाती है. 1974 में स्थापित मायापुरी, जल्द ही बॉलीवुड के तमाम चोटी के तथा नए पुराने सभी छोटे बड़े स्टार्स, निर्माता निर्देशक गायक संगीतकार लेखक और पाठकों की पहली पसंद पत्रिका बन गई. पाठक इसमें अपने पसंदीदा सितारों और फिल्म उद्योग में नवीनतम घटनाओं के बारे में सब कुछ खबर पा लेते थे.

Ghajini A milestone in Indian film history

गजनी में, मायापुरी के एक पत्रकार के रूप में चित्रित एक  करैक्टर इसकी कहानी में एक बहुत ही शानदार और जानदार मनोरंजन पिरोता है. मायापुरी के एक पत्रकार का चरित्र न केवल इस  हाई टेंशन फ़िल्म में आनंद रस की राहत लाने का काम करता है, बल्कि गली गली, शहर, शहर, देश विदेश में लोकप्रिय इस हिंदी पत्रिका के सांस्कृतिक महत्व पर भी जोर देता है. इस फिल्म में मायापुरी पत्रिका का उल्लेख, बॉलीवुड के साथ इसके गहरे जुड़ाव को दर्शाती है और यह दर्शकों के साथ कैसे जुड़ती है, जिससे यह पूरे भारत में एक जाना-पहचाना नाम बन गया है. मायापुरी को 1970 से आज तक के दशक के सितारों के बारे में रोचक कहानियों से भरी एक चमकदार पत्रिका के रूप में देखा जाता है, और इसके पुराने अंक आज विंटेज संग्रहणीय माने जाते हैं. गज़नी में एक्टर कुणाल विजयकर को मायापुरी पत्रकार की भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है.

25 दिसंबर, 2008 को रिलीज़ हुई यह फ़िल्म बॉलीवुड के लिए एक गेम-चेंजर साबित हुई. इसने बॉक्स ऑफ़िस के कई रिकॉर्ड तोड़ दिए और उस समय की सबसे ज़्यादा कलेक्शन करने वाली भारतीय फ़िल्मों में से एक बन गई. गजनी को लेकर चर्चा इतनी ज़्यादा थी कि इसने एक ऐसा चलन शुरू कर दिया जिसमें कई प्रशंसकों ने फ़िल्म में आमिर के किरदार के अनोखे हेयरस्टाइल से प्रेरित होकर 'गजनी कट्स' अपनाना शुरू कर दिया.

जैसे-जैसे गजनी समय के साथ पॉपुलर होती गई, इसे क्रिस्टोफर नोलन की 'मेमेंटो' के साथ समानता के कारण  आलोचना का भी सामना करना पड़ा. हालांकि दोनों फ़िल्में मेमोरी लॉस और बदला लेने के विषयों पर आधारित हैं, लेकिन आमिर खान ने स्पष्ट किया कि गजनी मुख्य रूप से अपने तमिल समकक्ष पर आधारित थी, न कि  मेमेंटो से प्रभावित थी. इस अंतर ने' गजनी को मौलिक काम के रूप में मजबूत करने में मदद की.

गजनी का प्रभाव सिर्फ़ बॉक्स ऑफ़िस के विशाल कलेक्शन पर ही नहीं बल्कि इसने पूरे भारत में फ़िल्म निर्माताओं को  कॉम्प्लिकेटेड फिल्मों और चरित्रों के भावनात्मक गहराई से जुड़ी अपरंपरागत कहानियों को खंगालने के लिए प्रेरित किया. इस फ़िल्म की सफलता ने बहुत से अभिनेताओं और निर्देशकों को अपनी कहानी कहने की शैली में जोखिम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया.

अपनी रिलीज़ के कई साल बाद भी, गजनी को बॉलीवुड की सबसे बेहतरीन फ़िल्मों में से एक के रूप में मनाया जाता है, जिसने भारतीय सिनेमा के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी है और फ़िल्म निर्माताओं और अभिनेताओं की भावी पीढ़ियों को प्रेरित किया है.

बताया जाता है कि आमिर के कई प्रशंसक आमिर द्वारा दक्षिण की इस रीमेक को बनाने पर आश्चर्यचकित थे क्योंकि यह उनकी तरह की फिल्मों से अलग थी.

माना जाता है कि आदित्य पंचोली को शीर्षक भूमिका की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने तारीख और कीमत के मुद्दों के कारण फिल्म को अस्वीकार कर दिया.

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