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Gioconda Vessichelli
विश्व प्रसिद्ध ओपेरा क्वीन, बॉलीवुड गायिका तथा Bollywood Opera चलन की आविष्कारक जिओकॉन्डा वेसिचेली ने अपने लेख में भारत में चल रहे कुंभ मेला के प्रति अपनी गहरी आस्था और एक अनोखे अपरिमित अनुभव को साझा किया है. जिओकॉन्डा, जिन्होंने मेकअप और जूतों के बिना पवित्र कुंभ तीर्थ का दौरा किया, और यहां तक कि पवित्र संगम नदी में अपने कपड़े ही खो दिए (या शायद बहा दिए) और फिर एक साध्वी की तरह सारा वक्त एक चादर के सहारे अपने सुंदर गौर वर्णनीय तन को ढके पूजा पाठ करती रही. जिओकॉन्डा ने बताया कि वो वहां के साधुओं के साथ बैठ कर एक अनूठी शांति का अनुभव कर रही थी. उनकी कम उम्र और अपरिहार्य उपस्थिति के बावजूद, साधुओं ने उन्हे "माता जी" के रूप में संदर्भित किया, और लोगों ने उनसे आशीर्वाद की मांग करना शुरू कर दिया.
दूर दूर से आने वाले भक्तगण उन्हे साध्वी समझ कर उनके हाथों में पैसे, सिक्के डालने लगे और बदले में उनसे आशीर्वाद की मांग करने लगे. जिओकॉन्डा समझ गई कि ये पैसे उनके लिए नहीं है बल्कि साधू संतों के लिए है और इसलिए जिओकॉन्डा ने कुंभ में जो चढ़ावे का धन मिला उसे उन्होने संत साधुओं को सौंप दिया. उन्हे साध्वी के रूप में जो मिल रहा था वो ऑपेरा क्वीन के लिए नहीं साध्वी और संतों के लिए था. जिओकॉन्डा ने आध्यात्मिक उदारता के इस कार्य में शिव जी और उसके गुरु, साधु बाबा जी को प्राप्त सभी प्रसादों को भी दान करने का फैसला किया. अपनी यात्रा में, वेसिचेली ने कुंभ मेला के सार में खुद को डुबो दिया और स्वयं को उन बाबाओं के साथ गहराई से जोड़ा, जिन्होंने भौतिक दुनिया को त्याग दिया है.
यद्यपि वह खुद को पूर्णकालिक साधु नहीं मानती है, लेकिन वह मानवता के लिए प्रार्थना करने के लिए समर्पित हो गई है. 154 देशों की यात्रा करने के बाद, दुनिया के हर मंच पर जादू जगा कर सबको दीवाना बनाने के पश्चात जिओकॉन्डा ने दुनिया भर में लोगों को अपनी बुद्धि और आभा के साथ प्रेरित किया, उन्हें उनके संघर्षों के मार्गदर्शन और समाधान की पेशकश की. हालाँकि फिलहाल के लिए, वेसिचेली ने अपने संगीत के माध्यम से लोगों को ज्ञान देने के अपने मिशन को जारी रखा है, यह मानते हुए कि उनके गाने कहीं अधिक व्यक्तियों तक पहुंच सकते हैं.
गीत संगीत, शोज़ और पार्श्वगयान की दुनिया में वो नटखट, शोख, सेक्सी सेलिब्रिटी है लेकिन जब उनका मन अशांत होता है, जब वो थक जाती है तो कई बार वह साधु पोशाक को गले लगाती है और पीठ पर एक छोटे से बैकपैक के साथ दिग दिगंतर घूमती है. उस छोटे से बैग में वो केवल आवश्यक वस्तुओं को ही ले जाती है और दुनिया में अपनी आध्यात्मिक यात्रा जारी रखती है. जिओकॉन्डा द्वारा लिखा गया निम्न लिखित यह लेख कुंभ मेला के लिए जिओकॉन्डा वेसिचेली के गहरे आध्यात्मिक संबंध को दर्शाता है और उसके संगीत के माध्यम से प्रकाश और ज्ञान फैलाने की उसकी प्रतिबद्धता को भी मुखरित करता है. जरा गौर से पढ़िए जिओकॉन्डा के मन में क्या था जब वो इसे लिख रही थी.
मैं अपने #आध्यात्मिक #यात्रा के बारे में साझा करने के लिए खुश हूँ @ddnews_official में #कुंभमेला ✨. जिन सभी साधुओं से मैंने कुंभ मेला में मुलाकात की, उन्होंने मुझसे कहा कि मैं एक असामान्य साधु हूँ और मुझे #माता जी कहने लगे; लोग मुझसे आशीर्वाद मांगने लगे, और यह मेरे लिए अकल्पनीय था कि उन्होंने मेरी हथेलियों में पैसे भी रख दिए, जैसे वे संतों को देतें हैं. वे मुझे पहचान नहीं पाए क्योंकि मैंने जानबूझकर कुंभ मेला में बिना मेकअप, बिना जूते और केवल एक चादर पहनकर गई थी... मैं अपनी कपड़े माँ गंगा नदी में खो चुकी थी...या कहें कि मैं अपने वस्त्र माँ गंगा के सुपुर्द कर चुकी थी. मैं अपने कुंभ मेला का आनंद बिना पहचान के, साधुओं के साथ नहीं बल्कि माँ गंगा के साथ बिताना चाहती थी. फिर भी, पहले दिन दयालु साधुओं ने मुझे गाड़ी में उनके साथ संगम के पवित्र जल तक पहुंचाया, जो उनके द्वारा किया गया एक बहुत ही प्यारा जेश्चर था और मैं उनकी आभारी हूं (देखिए मेरा हाइलाइट कुंभ मेला के बारे में)...लेकिन फिर मैं वहाँ से भाग गई क्योंकि मैं अपने कुंभ का आनंद ✨असली अर्थ✨ में लेना चाहती थी, उन साधुओं के साथ जो नग्न रहते हैं (मैं भी हमेशा अपने घर में और नेचुरिस्ट समुद्र तटों पर नग्न रहती हूँ) और जिन्होंने भौतिक दुनिया को छोड़ दिया है... और वहीं पर चमत्कार हुआ ✨💫. मैंने अपने गुरु साधु बाबा जी को वो पैसे दिए जो लोगों ने मुझसे आशीर्वाद पाने की तलाश में दिल से दिए थे ❤️, हालांकि मैंने उन्हें बताया कि मैं कुछ नहीं चाहती सिवाय उनके चेहरों पर खुशी की मुस्कान देखने के 😃, फिर भी कुछ ही सेकंड में मेरे हाथों में दक्षिणा के पैसे भरे होने लगे, जो मैंने तुरंत #शिव जी और अपने गुरु को दे दिए. हालांकि यह वास्तविकता है कि मैं पूर्णकालिक साधु नहीं बन सकती, 🕰️ लेकिन आप लोग यकीन रखिए कि मैं मानवता के लिए प्रार्थना करती रहूँगी ❤️ क्योंकि मैं एक प्राचीन आत्मा हूं और मैंने अपने मार्ग में (अब तक 154 देशों का दौरा किया, लगभग संपूर्ण विश्व 🌍) कई लोगों से मिले हैं जिन्होंने कहा कि उन्होंने मेरी बातों और सुझावों के माध्यम से अपने जीवन के समाधान पाए और मेरे आभा के साथ वाइब्रेट करके🙌. तो अब के लिए कोई #अकड़ा नहीं: मैं इस दुनिया में अपनी #मोक्ष जी रही हूँ और मुझे लगता है कि मेरे लिए लोगों को जागरूक करना अभी भी मंच पर 👩🎤 मेरे 🎶 गीतों के माध्यम से है, क्योंकि मुझे लगता है कि इस तरह मेरी रोशनी 💡 अधिक लोगों तक पहुंच सकती है एक साथ. और जिन तक अभी मेरी रोशनी नहीं पहुँची है... मैं कभी-कभी साधु के कपड़े पहनकर, (बिना मेकअप और बेतरतीब बाल 🤪😅) घूमने जा सकती हूँ अपनी छोटी 5 किलो की 🎒 बैग के साथ (जो आवश्यक चीजों का संकेंद्रण है).
इस अनुभव ने मुझे गहराई से प्रभावित किया है. कुंभ मेला में साधुओं के साथ बिताए समय ने मुझे यह सिखाया कि आत्मा की पहचान भौतिक रूप से नहीं होती, बल्कि उसके भीतर की रोशनी से होती है. जब मैंने साधुओं के बीच रहते हुए खुद को बिना किसी कृत्रिमता के देखा, तो मैंने पाया कि सच्चा ध्यान और सेवा केवल अपने असली स्वरूप में रहने में है.
जितना मैं साधुओं के साथ थी, मैंने महसूस किया कि उनके सरलता और आध्यात्मिकता ने मेरे भीतर एक नई ऊर्जा भरी. वहां रहकर, मैंने जीवन की सच्ची खुशियों को पाया — वह खुशियाँ जो भौतिक वस्तुओं में नहीं, बल्कि आत्मीय संबंधों और प्यार में होती हैं.
जब मैं मेला में लोगों से मिलती थी, तो उनकी आंखों में जो भावनाएं थीं, वे अद्भुत थीं. उनके भावों में आशा, श्रद्धा और प्रेम था. मुझे यह समझ आया कि एक साधु का वास्तविक उद्देश्य सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रकाश फैलाना है. यही कारण है कि मैंने अपने आशीर्वाद के लिए मिले पैसे अपने गुरु को दिए, क्योंकि मेरा मानना है कि उनकी कृपा और आशीर्वाद से ही हमें जीवन की असली खुशियाँ मिलती हैं.
जहां तक मेरी संगीत यात्रा की बात है, मैं चाहती हूं कि मैं अपने गीतों के माध्यम से और अधिक लोगों के दिलों तक पहुंचूं.
मैं यह भी चाहती हूं कि मेरा यह अनुभव अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बने, ताकि वे भी अपने जीवन में साधुत्व की भावना को समझें और उसे अपनाएं. हम सब में एक दिव्यता है, जिसे हमें पहचानने और विकसित करने की आवश्यकता है.
अब, मुझे यह विश्वास है कि मेरे शब्द और मेरे गीत विश्व में प्रेम और सकारात्मकता फैलाने में सक्षम होंगे. मैं अपने आप को साधु के रूप में प्रस्तुत कर सकती हूँ, लेकिन मैं यह भी जानती हूं कि मेरी जगह अभी भी मंच पर है — जहाँ मैं अपने संगीत के माध्यम से एक नई रोशनी उत्पन्न कर सकती हूँ.
इस यात्रा ने मुझे सिखाया है कि जीवन की सच्ची समृद्धि आत्मा की शांति और संतोष में है. और मैं इसी भावना के साथ आगे बढ़ूंगी, अपने अनुभवों को साझा करते हुए और अनेक दिलों को छूते हुए.
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