Advertisment

Guru Gobind Singh Jayanti 2025: ‘सवा लाख से एक लड़ाऊं’—त्याग, शौर्य और धर्म की रक्षा का संदेश

27 दिसंबर को गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है। यह दिवस सिख समुदाय के लिए साहस, त्याग और धर्म की रक्षा के आदर्शों की याद दिलाने वाला पावन अवसर है।

New Update
Guru Gobind Singh Jayanti 2025
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

आज,  27 दिसंबर को गुरु गोविंद सिंह (Guru Gobind Singh Jayanti) की जयंती मनाई जा रही है. यह पर्व सिख समुदाय के लिए एक अत्यंत पवित्र और प्रेरणादायक पर्व है. इसे सिख धर्म के लोग प्रकाश पर्व के रूप में सम्मान, श्रद्धा, गौरव और समर्पण की भावना के साथ मनाते हैं. इस पर्व  के लिए सिख श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखा जाता है. हर साल पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती मनाई जाती है. इस साल यह तिथि दो बार पड़ी है. इसी कारण इस साल गुरु गोविंद सिंह जयंती पहले 6 जनवरी 2025 को मनाई जा चुकी है और अब दूसरी बार यह आज यानी 27 दिसंबर 2025 को मनाई जा रही है.

Advertisment

Guru Gobind Singh Jayanti 2019: Date, History, Importance, Significance,  Celebrations and Traditional Foods - Times of India

इस पावन दिन पर देश भर के गुरुद्वारों की रौनक देखते ही बनती है. गुरुद्वारों में अखंड पाठ साहिब, कीर्तन, और नगर कीर्तन का आयोजन किया जाता है. साथ ही, सेवा और समानता के प्रतीक लंगर का विशेष आयोजन होता है, जहां बिना किसी भेदभाव के सभी को भोजन कराया जाता है. श्रद्धालु इस दिन गुरु साहिब द्वारा दी गई शिक्षाओं का स्मरण करते हैं और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं. (Guru Gobind Singh Jayanti rituals and traditions)

वाहेगुरु नाम का जाप और बलिदान की चेतना

इन धार्मिक आयोजनों और सेवा कार्यों के बीच गुरु गोबिंद सिंह जी के बलिदान और उनके परिवार द्वारा दी गई अद्वितीय कुर्बानियों का स्मरण भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है. यही कारण है कि इस पावन दिन केवल बाहरी उत्सव ही नहीं, बल्कि आत्मिक चिंतन और सिमरन का भाव भी प्रमुख रहता है.

Guru Gobind Singh Jayanti 2025: Guru Gobind Singh's birth anniversary will be celebrated tomorrow, this will be the second time this year.

गुरुद्वारों में गूंजता कीर्तन, अखंड पाठ की पावन धारा और लंगर की सेवा श्रद्धालुओं को उस त्याग और चेतना से जोड़ती है, जिसे गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन और अपने पुत्रों के बलिदान के माध्यम से सिखाया. इसी भाव को आगे बढ़ाते हुए ‘वाहेगुरु’ नाम का जाप और उस 13 वर्ष की आयु में दिए गए अमर बलिदान का स्मरण श्रद्धालुओं के हृदय को शुद्ध करता है और उन्हें गुरु साहिब की शिक्षाओं से गहराई से जोड़ता है. इस तरह, सेवा, सिमरन और बलिदान की चेतना एक साथ मिलकर इस पावन दिन को केवल पर्व नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण का अवसर बना देती है. (why Guru Gobind Singh Jayanti is celebrated)

Guru Gobind Singh put paid to those who divide man from man

Also Read:Pranav and Juhi's की ग्रैंड शादी: सोनू सूद, अरबाज़ और सिलेब्रिटीज़ के साथ उदयपुर में धूम

कौन थे गोबिंद सिंह?

गुरु गोविंद सिंह साहब सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु थे. वे न केवल एक महान आध्यात्मिक गुरु थे, बल्कि अद्वितीय योद्धा, कवि, दार्शनिक और समाज सुधारक भी थे. उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानव सेवा, धर्म की रक्षा और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष को समर्पित कर दिया. उनके विचार आज भी साहस, समानता और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं. गुरु गोविंद सिंह जी ने बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी, जिसने सिख धर्म को एक नई पहचान दी. उन्होंने सिखों को साहस, आत्मसम्मान और धर्म की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहने का संदेश दिया. उनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर और माता का नाम माता गुजरी था. (Guru Gobind Singh Ji life and teachings)

Baisakhi - The formation of Khalsa Panth by Guru Gobind Singh Ji

विश्व इतिहास में अद्वितीय है माता गुजरी की कहानी, जिन्होंने गुरु तेग बहादुर  जी को भेजा था शहीदी देने के लिए। Tegh Bahadur and mata gujri

कैसे मनाते हैं गुरु गोबिंद सिंह जयंती?

गुरु गोबिंद सिंह जयंती सिख समुदाय के लिए एक अत्यंत पावन और प्रेरणादायक पर्व है. इस दिन श्रद्धालु बड़ी आस्था और उत्साह के साथ विभिन्न धार्मिक और सेवा कार्यों में भाग लेते हैं. इस अवसर पर गुरुद्वारों में अखंड पाठ साहिब का आयोजन किया जाता है, जिसमें लगातार गुरबाणी का पाठ होता है और संगत गुरु साहिब की शिक्षाओं से जुड़ती है. कीर्तन के माध्यम से गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन, बलिदान और उनके उपदेशों का स्मरण किया जाता है, जिससे वातावरण भक्तिमय हो जाता है. कई स्थानों पर भव्य नगर कीर्तन निकाले जाते हैं, जिनमें संगत गुरु साहिब के संदेशों का प्रचार करते हुए भक्ति और अनुशासन का परिचय देती है. इस दिन गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं—साहस, समानता, सेवा और सत्य—का व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार किया जाता है. सभी गुरुद्वारों में लंगर का विशेष आयोजन होता है, जहां बिना किसी भेदभाव के सभी को भोजन कराया जाता है. इसके साथ ही जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और दवाइयां बांटकर सेवा और करुणा का संदेश दिया जाता है. घरों में भी श्रद्धालु गुरबाणी का पाठ करते हैं और गुरु गोबिंद सिंह जी के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं. (Guru Gobind Singh Jayanti 27 December significance)

Guru Gobind Singh Jayanti, 2 January 2020: Date, history

Jalandhar Traffic Diversions for Guru Tegh Bahadur Nagar Kirtan

Also Read: क्या आपको Four More Shots Please! Season 4 पसंद आया? अपने साल का शानदार अंत करने के लिए यहां 7 फीमेल-सेंट्रिक सीरीज़ हैं।

गुरु गोबिंद सिंह जी के उपदेश 

1. साच कहों सुन लेह सभी, जिन प्रेम कियो तिन ही प्रभ पायो"

गुरु गोबिंद सिंह जी के इस कथन का अर्थ है कि मैं सच कहता हूं, सब सुन लो, जिन्होंने प्रेम किया है, उन्होंने ही प्रभु को पाया है. इसमें वह बताते हैं कि ईश्वर की प्राप्ति केवल उन्हीं लोगों को होती है, जो सच्चा प्रेम करता है.

2. मानस की जात सबै एकै पहचानबो"

इसका अर्थ है कि समस्त मानव जाति को एक ही पहचानो. अर्थात मनुष्य की सारी जातियां एक ही हैं, सबको एक समान मानना चाहिए.

3. चूं कार अज हमह हीलते दर गुजश्त, हलाल अस्त बुरदन ब शमशीर दस्त"

गुरु गोबिंद सिंह जी कहते हैं कि जब सभी शांतिपूर्ण उपाय विफल हो जाएं, तब न्याय के लिए तलवार उठाना वैध है. अर्थात संघर्ष के दौरान जब धर्म और न्याय के लिए शांतिपूर्ण तरीके काम न आएं, तभी व्यक्ति को विद्रोह का सहारा लेना चाहिए.

4. "देहि शिवा बरु मोहि इहै, सुभ करमन ते कभुं न टरों."

इसमें गुरु गोबिंद सिंह जी कहते हैं कि हे ईश्वर, मुझे यह वरदान दें कि मैं कभी भी शुभ कर्म करने से पीछे न हटूं.

5. "चिड़िया नाल मैं बाज लड़ावां, गीदड़ को मैं शेर बनावां, सवा लाख से इक लड़ावां, तधे  गोबिंद सिंह नाम कहावां।“

गुरु गोबिंद सिंह जी की ये पंक्तियां उस अमर शौर्य और बलिदान का को दर्शाती हैं, जब सिख वीरों ने अपने सिर कटवा लिए, लेकिन विदेशी आक्रांताओं के सामने घुटने नहीं टेके. यह पंक्ति आज भी लोगों में शौर्य भरने का काम करती है.

d

गुरु गोबिंद सिंह जी का ऐतिहासिक योगदान
गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की.
गुरु गोबिंद सिंह जी ने सभी को पांच ककार (केश, कंघा, कड़ा, कच्छा, कृपाण) का महत्व बताया.
गुरु साहिब जी ने मुगल अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई.
गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का शाश्वत गुरु घोषित किया.

13 April,1699: When Guru Gobind Singh Ji established Khalsa Panth with Panj  Pyare - Jammu Kashmir Now | The facts and information about J&K

The Five Ks: Living the Symbols of the Khalsa – Akaal Accessories

486708831_1044973050995290_1067320118246319954_n

1636194165678

वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फ़तेह!

Also Read:भंसाली की Devdas और Padmaavat से लेकर Yash Chopra की दिल तो पागल है तक: 2025 में सिनेमाघरों में लौटीं आइकॉनिक हिंदी फिल्में

FAQ

प्रश्न 1: गुरु गोविंद सिंह जयंती कब मनाई जाती है?

उत्तर: गुरु गोविंद सिंह जयंती हर वर्ष दिसंबर या जनवरी में मनाई जाती है। आज 27 दिसंबर को यह पर्व श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है।

प्रश्न 2: गुरु गोविंद सिंह जी कौन थे?

उत्तर: गुरु गोविंद सिंह जी सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु थे, जिन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और साहस, समानता व धर्म की रक्षा का संदेश दिया।

प्रश्न 3: गुरु गोविंद सिंह जयंती का क्या महत्व है?

उत्तर: यह पर्व बलिदान, वीरता, न्याय और आध्यात्मिक शक्ति की प्रेरणा देता है, जो सिख समुदाय के मूल मूल्यों का आधार है।

प्रश्न 4: इस दिन को कैसे मनाया जाता है?

उत्तर: गुरुद्वारों में कीर्तन, अरदास, लंगर और प्रभात फेरियाँ आयोजित की जाती हैं, साथ ही गुरु जी के उपदेशों को याद किया जाता है।

प्रश्न 5: गुरु गोविंद सिंह जी की शिक्षाएँ आज भी क्यों प्रासंगिक हैं?

उत्तर: उनकी शिक्षाएँ साहस, मानवता, समानता और अन्याय के विरुद्ध खड़े होने की प्रेरणा देती हैं, जो आज भी समाज के लिए मार्गदर्शक हैं।

Also Read: सुपरस्टार प्रभास ने The-ScriptCraft-International शॉर्ट फिल्म-फेस्ट के साथ करियर-केंद्रित कहानी कहने वाले प्लेटफॉर्म की शुरुआत की!

 Sikh Festival | Guru Gobind Singh Ji | Sikhism | Prakash Parv | Sikh Heritage not present in content

Advertisment
Latest Stories