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Hema Malini spiritual journey: हेमा मालिनी सिर्फ पर्दे पर एक स्वप्न सुंदरी और पांच दशकों से झिलमिलाने वाली हस्ती नहीं है, बल्कि वे इससे भी परे एक विशाल व्यक्तित्व तथा अस्तित्व की धनी स्त्री हैं. (Hema Malini devotion) बेहद रिज़र्वड, संकोची हेमा, केवल तभी बोलती है जब इसकी सचमुच आवश्यकता होती है और जब वे बोलती है तो ईमानदारी से बोलती है. यह तो सर्व विदित है कि ईमानदारी सदैव बेबाक और निडर होती है. (Hema Malini dance performances) हेमा खुद कहती हैं, "मैं हमेशा एक सीधी और स्पष्टवादी व्यक्ति रही हूं. इस विशेषता ने कई बार मुझे बहुत परेशानी में भी डाला है, खासकर जब से मेरा राजनीतिक जीवन शुरू हुआ है. लेकिन मुझे सच को सच कहने का पछतावा कभी नहीं है... आप एक बार असत्य बोलते हैं, तो आप उस एक असत्य को छिपाने के लिए झूठ बोलते रहते हैं. यह मानसिक टॉर्चर जैसे है. मैंने ऐसा कभी नहीं किया और ना चाहा. मैंने कभी इसका विकल्प नहीं चुना. आपको बस किसी भी स्थिति को बिना किसी डर या शंका के देखने की जरूरत है".
हेमा मालिनी: कला, आस्था और समर्पण की जीवंत प्रतिमूर्ति
स्पष्टवादिता, नृत्य, अनुशासन और समर्पण - उनका पूरा सार्वजनिक जीवन इन्हीं सिद्धांतों पर चलता है. अपनी आस्था के अधीन, हेमा मालिनी जब पवित्र तीर्थ स्थलों में भक्तिभाव से शास्त्रीय नृत्य में कृष्ण लीला, देवकी, यशोदा, राधा की कथाओं को पिरोकर रंगमंच पर उतरती है तो मंच मानो धन्य हो जाता है. (Hema Malini Krishna Leela) कई विशेष अनुष्ठान या पर्व पर पवित्र नदियों में डुबकी लगाने और पूजा अर्चना के साथ-साथ, हेमा सनातन धर्म से जुड़ी किसी भी पवित्र त्योहार का जश्न मनाने या उसका समर्थन करने का कोई भी अवसर नहीं छोड़तीं. पिछली बार जब उन्होने प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान किया था, तो पूछने पर उन्होने दिल से कहा, "मैं बहुत अच्छा महसूस कर रही हूँ. मुझे ऐसा अनुभव पहले कभी नहीं हुआ. आज का दिन बहुत खास है और मैं पवित्र डुबकी लगाने के लिए भाग्यशाली हूँ". (Indian classical dance actress)
अपने धर्म के प्रति उनका प्रेम सिर्फ़ कर्मकांडों तक ही सीमित नहीं है.
हेमा सक्रिय रूप से हिंदू ज्ञान का प्रसार करती हैं, हिंदू धर्म आंदोलनों का समर्थन करती हैं और आध्यात्मिकता और संस्कृति को बढ़ावा देने वाले संगठनों की प्रशंसा करती हैं—चाहे वह इस्कॉन हो या प्रयागराज में महाकुंभ. हिंदू एकता के लिए आयोजित एक ऐतिहासिक कार्यक्रम में हेमा ने कहा था ,(Hema Malini spiritual journey) " यह बहुत खुशी की बात है कि 27 जनवरी को, देवकी नंदन ठाकुर जी के नेतृत्व में सनातन बोर्ड के गठन और सनातन धर्म की रक्षा पर चर्चा के लिए धर्म संसद का आयोजन किया जा रहा है. सभी सनातनियों से आवेदन है कि वे इसमें ज्यादा से ज्यादा संख्या में भाग लेकर पुण्य अर्जन करें." हेमा मालिनी जी जब भी संभव हो संस्कृत श्लोकों का पाठ करती हैं और सनातन धर्म का ज्ञान साझा करती हैं, जिससे सभी को इसमें शामिल होने, सीखने और अपनी जड़ों का गर्व मनाने के लिए प्रेरित किया जाता है.(Bollywood actress dedication)
हेमा मालिनी जी कहती हैं कि दूर दराज के देशों से आज लोग भारत आतें हैं, सनातन धर्म के बारे में जानने, सीखने और अनुसरण करने के लिए. और इधर हमारे ही यहां के कुछ लोग हिंदू धर्म की रक्षा के खिलाफ बोलते हैं, ये कितनी अफसोस की बात है.
हेमा जी की कही बातें वाकई आँखे खोलने वाली है.
क्या आप जानते हैं कि दुनिया के दूसरी ओर, इसी हिंदू सनातन आस्था के सिद्धांतों पर निर्मित एक शहर आयोवा (लोवा) , अमेरिका में स्थित है जो बड़ी खामोशी से हिंदू सनातन धर्म को हर रूप और हर रंग में कुछ इस तरह अपना चुके हैं कि दुनिया हैरान है. (Hema Malini Prayagraj holy dip) महर्षि वैदिक सिटी की स्थापना 2001 में महर्षि महेश योगी ने की थी, जो एक विजनरी महा पुरुष थे जिनका लक्ष्य वैदिक ज्ञान के माध्यम से आंतरिक शांति और विश्व संतुलन को बढ़ावा देना था. वहां उस शहर और शहरवासियों का जीवन पवित्र और पृथक है. वहां के ज्यादातर इमारतों को प्राचीन संस्कृत ग्रंथों और वास्तु के अनुसार डिजाइन किया गया है. वहां भोजन सभी का जैविक हैं और वहां 'वेद' भूमि का कानून चलता है. यहां तक कि आपको स्थानीय मुद्रा 'राम' भी मिलेगी, जिसका नाम भगवान राम के नाम पर रखा गया है. वहां के कम्यूनिटी के अंदर इस्तेमाल होने वाला प्रत्येक नोट, 1 राम को 10 अमेरिकी डॉलर के बराबर माना जाता है. हालांकि यह बाहर कानूनी निविदा नहीं है, और इस करेंसी को बाहर कहीं भी अभी तक मन्यता नहीं मिली है लेकिन वे लोग प्रयासरत है. वैसे शहर के अंदर, यह वैदिक ज्ञान के अनुयायियों के बीच व्यापार के लिए लिया दिया जाता है. इसकी भाषा भी अनूठी है, संस्कृत से मेल खाती हुई.(Hema Malini festivals and rituals)
यदि कभी यह शहर एक स्वतंत्र देश में बदल जाए तो वे अपने देश के बैंक में इस करेंसी को मान्यता दे देंगे.
महर्षि वैदिक नगरी न केवल हिंदू सनातन परंपरा को जीवित रखती है बल्कि यह दुनिया के लिए सनातन धर्म को नए सिरे से परिकल्पित करती है. वेदों के चक्र पर आधारित ध्यान और उत्सवों के लिए यह भूमि प्रतिदिन देश विदेश से हज़ारों अनुयायियों को इकट्ठा करती है, और हर कोने से साधकों को आकर्षित करती है.(Hema Malini art and faith)
महर्षि महेश योगी ने इस शहर का निर्माण "विश्व शांति के लिए" किया था,
जिसमें प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान, ब्रह्मांडीय नियमों के अनुरूप वास्तुकला, प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर उगाया गया भोजन, सात्विक खाद्यान्न और एक स्थायी, नैतिक और गंभीर आध्यात्मिक जीवन जीने का तरीका शामिल है. शहर के इतिहासकार लिखते हैं, "यह शहर, ब्रह्मांड के संविधान, संपूर्ण प्राकृतिक नियम, आरके वेद का पालन करता है," और बताते हैं कि कैसे प्रत्येक वृत्त और सड़क को संतुलन और मानव कल्याण के लिए डिज़ाइन किया गया है. उस देश में उनकी कम्यूनिटी एक जीता जागता उदाहरण है कि आस्था न केवल जीवन को, बल्कि पूरे शहर को आकृति दे सकती है.(Spiritual side of Hema Malini)
इसलिए, चाहे भारत की सनातन आत्मा को नमन करके इसकी आस्था में आकंठ लीन होना हो या आयोवा के किसी दूर शहर में प्रार्थना साझा करना हो, हेमा मालिनी जैसे करोड़ों सनातनी और महर्षि वैदिक सिटी की पवित्रता हमें स्मरण कराती है कि सनातन हिंदू धर्म का कालातीत संदेश झिलमिलाता रहता है - महाद्वीपों, भाषाओं और लाखों लोगों के दिलों को जोड़ने वाला एक पुल बनकर.
FAQ
प्रश्न 1: हेमा मालिनी को कला और आस्था की प्रतिमूर्ति क्यों कहा जाता है?
उत्तर: क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में नृत्य, अभिनय, अनुशासन और समर्पण को साधना की तरह अपनाया है और हर मंच पर अपनी कला से आस्था को जीवंत किया है.
प्रश्न 2: हेमा मालिनी किस प्रकार के नृत्य प्रस्तुत करती हैं?
उत्तर: वह शास्त्रीय नृत्य के माध्यम से कृष्ण लीला, देवकी, यशोदा और राधा की कथाओं को मंच पर प्रस्तुत करती हैं.
प्रश्न 3: क्या हेमा मालिनी धार्मिक आयोजनों में भाग लेती हैं?
उत्तर: हाँ, वह कई पवित्र पर्वों और अनुष्ठानों में भाग लेती हैं, जैसे पूजा-अर्चना, पवित्र नदियों में स्नान और त्योहारों का उत्सव.
प्रश्न 4: हेमा मालिनी ने प्रयागराज में कब पवित्र स्नान किया था?
उत्तर: पिछली बार उन्होंने प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर स्नान किया था और उसे अपने जीवन का विशेष अनुभव बताया.
प्रश्न 5: हेमा मालिनी का सार्वजनिक जीवन किन सिद्धांतों पर आधारित है?
उत्तर: उनका सार्वजनिक जीवन स्पष्टवादिता, नृत्य, अनुशासन और समर्पण पर आधारित है.
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