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नए युग के सिनेमा की शुरुआत करने वाली फ़िल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' 1971 की सबसे बड़ी हिट फिल्म के रूप में आज भी सिनेमा के इतिहास में दर्ज है जिसने एक भाई-बहन की कहानी के माध्यम से हिप्पी संस्कृति के सार को दर्शाया है. फिल्म का निर्देशन, लेखन, निर्माण और अभिनय करने वाले देव आनंद को फिल्म की प्रेरणा नेपाल में प्रेम पुजारी के निर्माण के दौरान ही मिल गई थी जब उन्होंने एक हिप्पी लड़की को नशे में धुत सिगरेट पीते हुए देखा था.
फिल्म मॉन्ट्रियल स्थित एक जायसवाल परिवार की कहानी है जो तलाक के कारण टूट चुका है.
फिल्म की शुरुआत कनाडा के मॉन्ट्रियल में रहने वाले जयसवाल परिवार से होती है. महिला मित्रों के साथ पति की निकटता के कारण मिसेस जयसवाल (अचला सचदेव) अपने पति मिस्टर जयसवाल (किशोर साहू) से नफरत करती है. उनकी शादीशुदा जीवन में दरार आ जाती है और उनका तलाक हो जाता है. उनका बेटा प्रशांत (बाल कलाकार मास्टर सत्यजित) अपनी माँ के साथ भारत चला जाता है, जबकि बेटी जसबीर (बेबी गुड्डी) अपने पिता के साथ मॉन्ट्रियल में रह जाती है.
जसबीर अपनी माँ के लिए तड़पती है. इससे निपटने के लिए उसकी नैनी (उसे पालने वाली दाई मां) बच्ची को बताती है कि उसकी माँ और भाई की मृत्यु हो गई है. यह भावनात्मक धक्का जसबीर के जीवन को बदल देता है. जसबीर के पिता पुनर्विवाह कर लेता है. घर में एक सौतेली माँ (इंद्राणी मुखर्जी) आ जाती है लेकिन वो जसबीर को भावनात्मक सपोर्ट नहीं देती.
बहुत साल बीत जाते हैं. प्रशांत एक पायलट बन जाता है और उन्ही दिनों उसे अपने पिता से एक पत्र मिलता है जिसमें लिखा है कि जसबीर घर छोड़कर भाग गई और नेपाल के काठमांडू में हिप्पियों के साथ रह रही है. अपनी बहन को खोजने के लिए दृढ़ संकल्पित, प्रशांत काठमांडू की यात्रा करता है, और वहां वह हिप्पीयों की बिल्कुल अलग दुनिया देखता है.
काठमांडू में, प्रशांत को पता चलता है कि उसकी बहन जसबीर अब जेनिस बन गई है और हिप्पियों के बीच रहती है, ड्रग्स और शराब पीती है. प्रशांत उससे मिलता है लेकिन जसबीर उर्फ जेनिस को अपने बचपन की कोई याद नहीं है और वह प्रशांत को अपना भाई मानने से इनकार कर देती है. हिप्पी समुदाय ही अब उसका नया परिवार बन गया है, जिसमें दीपक (गौतम सरीन) नामक एक लड़का उसका प्रेमी है और माइकल (सुधीर) जैसे एक अपराधी भी उसके साथ रहता है. माइकल काठमांडू से पुरातन कलाकृतियों की चोरी करके वहां के एक लैंड लॉर्ड द्रोणा (प्रेम चोपड़ा) को बेच देता है और द्रोणा उन पुरातन मूर्तियों को विदेश में बेचता है. यह सारे हिप्पी दल द्रोणा के एक बड़े से मकान में किराए पर रहते हैं.
प्रशांत जेनिस के साथ जुड़ने की कई बार कोशिश करता है लेकिन जेनिस उसमें कोई दिलचस्पी नहीं लेती. दीपक को पता नहीं होता है कि प्रशांत जेनिस का सगा भाई है, इसलिए वो शक में आकर प्रशांत की पिटाई करता है और उसे जेनिस से मिलने नहीं देता. प्रशांत की मुलाकात वहीं एक दुकान की सेल्स गर्ल शांति (मुमताज़) से होती है जो उसकी हर तरह से मदद भी करती है और प्रशांत से प्यार भी करती है. एक दिन प्रशांत और शांति सादगी से विवाह कर लेते हैं. वहां के लोकल्स,एक पर्यटक गाइड तूफ़ान (राजेंद्र नाथ) और मशीना (जूनियर महमूद) प्रशांत को हिप्पी मंडलियों में नेविगेट करने में मदद करते हैं. द्रोणा की बुरी नज़र शांति पर है. जब उसे पता चलता है कि शांति और प्रशांत ने विवाह कर लिया हैं और जेनिस प्रशांत की बहन है तो वो गुस्से में भर जाता है और कुछ चोरी की मूर्तियां जेनिस के कमरे में रखवाता है और कुछ मूर्तियां शांति के कमरे में रखवा कर पुलिस को बताता है कि प्रशांत, उसकी पत्नी शांति और बहन, जेनिस, तीनों पौराणिक मूर्ति चोरी करते हैं. लेकिन पुलिस को असल बात मालूम चल जाता है और असली अपराधी पकड़े जाते हैं. इस बीच जेनिस की माता और पिता काठमांडू पहुंच जाते हैं. प्रशांत बहुत कोशिश करता है कि वो अपनी बहन जेनिस उर्फ जसबीर को वापस घर ले जा सके. हालांकि जेनिस अपने माता पिता को देख विश्वास कर लेती है कि प्रशांत उसका वही सगा भाई है जिसके मरने की बात जीवन भर नैनी ने बतायी थी लेकिन भावनात्मक तौर पर अपनी गंदी जिंदगी से शर्मसार होकर जेनिस आत्महत्या कर लेती है. अपने सुसाइड नोट में वो अपने भाई के प्रति गहरे प्यार और अपनी वर्तमान स्थिति में अपने परिवार का सामना कर पाने की असमर्थता बताती है.
फ़िल्म के सबसे यादगार दृश्य में ज़ीनत को विवादास्पद गीत "दम मारो दम" गाते हुए दिखाया गया है, जो बहुत बड़ा हिट हुआ और जिसने एक पूरी पीढ़ी को परिभाषित किया. आशा भोसले द्वारा प्रस्तुत इस गीत ने सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्वगायक का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता और यह बॉलीवुड के इतिहास में अंकित है.
आनंद बख्शी के लिखे गीतों के साथ आर.डी. बर्मन द्वारा रचित संगीत, उस ज़माने में एक क्रांतिकारी म्यूजिक माना गया था. दिलचस्प बात यह है कि इस आइकॉनइक गीत 'दम मारो दम' को फिल्म में पहले शामिल नहीं किया जा रहा था. देव आनंद ने शुरू में इस गीत को लेकर शंका जताई थी लेकिन आर.डी. बर्मन और आनंद बख्शी ने इसे रिकॉर्ड करने पर जोर दिया.
काठमांडू में फिल्म की शूटिंग बेहद शानदार थी. एक रग फैक्ट्री में शूटिंग हुई थी. देव आनंद ने अपने संस्मरण में मुझे एक बार बताया था कि हजारों स्थानीय लोग शूटिंग देख रहे थे और शाही घुड़सवार पुलिस निगरानी कर रही थी. राजा महेंद्र स्वयं फ़िल्म को सपोर्ट कर रहे थे. कई दृश्यों को काष्ठमंडप और बसंतपुर दरबार स्क्वायर जैसे प्रतिष्ठित स्थानों पर फिल्माया गया था, जिससे हिप्पी कथा के लिए एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली पृष्ठभूमि तैयार हुई थी जिसमें हिप्पी संस्कृति की आलोचनात्मक जांच की गई और इसे विनाशकारी के रूप में चित्रित किया गया.
इस फ़िल्म ने उस जमाने में ज़ीनत अमान को बॉलीवुड की सबसे साहसी अभिनेत्री के रूप में पेश किया. इस फिल्म का संदेश स्पष्ट था. यह युवाओं के रास्ता भटकने को लेकर एक सावधान करने वाली कहानी है. देवानंद ने परंपरा और विद्रोह के बीच फंसी, एक पीढ़ी की विचारधारा वाली साधारण कहानी को एक ऐतिहासिक सिनेमा में बदल दिया, जो दशकों बाद भी दर्शकों के बीच गूंजता रहा.
20वें फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार में फ़िल्म "हरे रामा हरे कृष्णा" को कई सम्मान प्राप्त हुए:
सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के रूप में जीनत अमान को फ़िल्मफ़ैअर पुरस्कार मिला था तथा 'दम मारो दम' गाने के लिए आशा भोसले को सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का पुरस्कार मिला.
फिल्म का संगीत आर. डी. बर्मन द्वारा तैयार किया गया था, गीत आनंद बख्शी के थे. साउंडट्रैक में "दम मारो दम," "हरे रामा हरे कृष्णा," "कांची रे कांची रे," "देखो ओ दीवानो," और "फूलों का तारों का" जैसे लोकप्रिय गाने शामिल हैं. नेपाल के प्रसिद्ध संगीतकार रंजीत गज़मेर ने फिल्म में मादोल वाद्य बजाया. आर. डी. बर्मन ने बाद में रंजीत के एक नेपाली गाने को रूपांतरित किया और इसे "कांची रे कांची रे" में बदल दिया, जिसे किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने गाया था.
फ़िल्म के सभी गाने लोकप्रिय हुए. "हरे राम हरे कृष्णा" (आशा भोसले, उषा उत्थुप), "देखो ओ दीवानो" (किशोर कुमार), "दम मारो दम" (आशा भोसले) "ओ रे घुंघरू का बोले" (लता मंगेशकर), "फूलों का तारों का" (लता मंगेशकर और किशोर कुमार), "कांची रे कांची" (किशोर कुमार, लता मंगेशकर) सब के सब आज भी सुनी जाती है.
प्रारंभ में, ज़ीनत वाला रोल मुमताज और फिर ज़ाहिदा को ऑफर किया गया था लेकिन दोनों में से कोई भी देव आनंद की बहन की भूमिका नहीं निभाना चाहते थे. फिर मुमताज़ को देवाआनंद की प्रेमिका और ज़ीनत को बहन का रोल दिया गया और अंततः ज़ीनत वाला रोल ज्यादा पावरफुल बन के उभरा.
इस फिल्म के बाद जीनत अमान स्टार बन गईं. 'हरे राम हरे कृष्णा' एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त फिल्म है जो 50 वर्षों से अधिक समय से लोकप्रिय बनी हुई है. यह फिल्म मुंबई के गंगा जमुना सिनेमा हॉल में शुरू हुई और विभिन्न हॉलों में एक साथ रिलीज़ होने के लिए उल्लेखनीय बनी जो उन दिनों असामान्य बात थी.
इस फ़िल्म के गीतों का नमूना और कवर विभिन्न कलाकारों द्वारा किया गया है, जिनमें शामिल हैं, रैपर्स मेथड मैन और रेड मैन उनके गीत "व्हाट्स हैपनिन" के लिए. अंतर्राष्ट्रीय बैंड और गायकों ने भी "दम मारो दम" के कई संस्करण बनाए हैं, जो इसके चिरस्थायी प्रभाव को उजागर करते हैं.
इस फिल्म की शूटिंग के दौरान, देव आनंद के साथ एक यादगार घटना घटी, जब एक दिन उन्होंने नेपाल में फ़िल्म की स्क्रिप्ट खो दी थी. उन्होने महाराजा महेंद्र सिंह से एयरक्राफ्ट मंगवाकर पूरी रात स्क्रिप्ट की बहुत खोंज की आखिर जब वे लौट रहे थे तो एक झाड़ी में उन्हे अजीब तरह की आवाजें सुनाई दी. लोगों ने उन्हे मना किया कि रात के अंधेरे में वहां ना जाए लेकिन उत्सुकतावश देव आनंद वहां गए और रहस्यमय तरीके से उन्हे वहां उनका स्क्रिप्ट पड़ा मिला था. इस फिल्म की शूटिंग सरोज खान जैसे कुछ कलाकारों के लिए चुनौतीपूर्ण समय के दौरान हुई, उनकी आठ महीने की बेटी का निधन हो गया था, उसकी अंत्येष्टि करके वो तुरंत नेपाल पहुंच गई थी शूटिंग के लिए.
अपनी फिल्मों और कलाकारों के प्रति देव आनंद की प्रतिबद्धता ने नए ज़माने की सिनेमा को आकार देने में मदद की. उनके इनोवेटिव विचारों और कहानी कहने की यूनिक स्टाइल ने "हरे राम हरे कृष्णा" को एक ऐतिहासिक फिल्म बना दिया, जिसे आज भी याद किया जाता है.
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