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Indian women champions: भारतीय बेटियां जो सिनेमा के पर्दे पर चैंपियन हैं, कहती हैं- "जीतकर हमनें बताया दमदार हैं हम !"

भारतीय बेटियों ने सिनेमा के पर्दे पर चैंपियन बनकर अपनी क्षमता और शक्ति का प्रदर्शन किया है। उनका कहना है कि जीत के माध्यम से उन्होंने यह साबित किया कि वे सक्षम और दमदार हैं। यह कहानी उनके हौसले, आत्मविश्वास और प्रेरणा का प्रतीक बन गई है।

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भारतीय बेटियां अब परंपराओं की जकड़ से निकलकर हर दिशा में अपनी चैंपियनशिप का झंडा गाड़ रही हैं। नारी का सौंदय (मिस वर्ल्ड /यूनिवर्स) हो, कुश्ती हो, बैडमिंटन हो, रेसलिंग हो या फिर महिलाओं के क्रिकेट- वर्ल्डकप का हालिया खिताब हासिल करना हो, उन्होंने बता दिया है कि वो सर्वत्र चैंपियन बनकर रहने का माददा रखती हैं। सिनेमा  की दुनिया मे भी इसी बदलाव का जुनून है। आइए, एक नजर दौड़ाते हैं उन महिला कर्मियों पर जो कहती हैं- "जीतकर हमने बताया दमदार हैं हम !"... (Indian women breaking traditions and achieving success)

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फिल्म निर्देशन में :

बॉलीवुड में पुरुष निर्देशकों की जमात बहुत अधिक है अपेक्षा महिलाओं के। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि इस इंडस्ट्री में जहां कभी महिलाएं आना पसंद नहीं करती थी, वहां कुछ महिला निर्देशिकाओं ने इनदिनों अपना शिक्का लगा दिया है। आज की ये निर्देशिकाएँ हैं- अश्विनी अय्यर तिवारी, मेघना गुलजार, जोया अख्तर, रीमा कागती, गौरी शिंदे, अलंकृता श्रीवास्तव, तनुजा चंद्रा, लीना यादव किरन राव आदि। ए नारियां आज के दौर की आवाज बन रही हैं।

Ashwiny Iyer Tiwari 1080

Meghna Gulzar

Zoya Akhtar

Reema Kagti - Wikipedia

Gauri Shinde

Alankrita Shrivastava

Our culture enables matrimonial fraud': Filmmaker Tanuja Chandra on the  chief lesson learnt while directing her latest | Life-style News - The  Indian Express

Leena Yadav

Kiran Rao

बॉलीवुड की महिला लेखिकाएं :

फिल्म लेखन में महिला रचना कर्मियों की जमात बहुत कम रही है। कहा जाता था कि महिला लेखिकाओं को आगे नहीं आने दिया जाता। कभी अमृता प्रीतम, आशापूर्णा देवी, इस्मत चुगताई, कृष्णा सोबती, महास्वेता देवी से लेखन कराने की कोशिश जरूर हुई थी लेकिन, बॉलीवुड की स्क्रिप्ट पर ये खरे नहीं उतर पायी।आज हालात बदल गए हैं। अरुंधति राय, झुम्पा लाहिरी, अनुजा चौहान, अनुषा रिज़वी, चित्रा बनर्जी, इंदु सुंदरे, ट्विंकल खन्ना नए दौर की महिला लेखिकाएं हैं जो नया कुछ देने का प्रयास कर सिनेमा को नए कंटेंट परोस रही हैं। (Female champions in sports and cinema India)

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Ashapoorna Devi

Ismat Chughtai

Hindi writer Krishna Sobti dies at 93: A look at her contribution to  literature - India Today

Mahasweta Devi, Bengali Writer and Activist Who Fought Injustice, Dies at  90 - The New York Times

Author Arundhati Roy receives the Lifetime Achievement Award from the 45th  European Essay Prize - Harpers bazaar

Vogue | Vogue

Anuja Chauhan '

Anusha Rizvi - Wikipedia

Chitra Banerjee Divakaruni

Spirit W |

Twinkle Khanna

महिला निर्मात्रियां:

बेशक कहा जाता है कि भारतीय सिनेमा पुरुष डोमिनेटेड है। यहां सारी क्रेडिट और पैसा सिर्फ हीरो लेता है। यह सच भी है। लेकिन आज की जागृत हीरोइनें अब माहौल बदलने के मूड में हैं। हीरोइने वैसे ही निर्माता बनकर अपनी प्राइस सेट कर रही हैं जैसे हीरो किया करते हैं। अपना प्राइस तय करने वाली हीरोइने जो निर्माता बनकरआगे आरही हैं, वे हैं- काजोल, दीपिका पादुकोण, कंगना रनौत, अनुष्का शर्मा, ट्विंकल खन्ना, तापसी पन्नू, कृति सैनन, अमिषा पटेल, विद्या बालन, लारा दत्ता, नीना गुप्ता, शिल्पा शेट्टी, दिया मिर्ज़ा, आलिया भट्ट, जूही चावला, रानी मुखर्जी आदि। यह सभी निर्मात्री बनने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी हैं। (Indian women wrestlers and badminton champions)

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स्टार स्टेटस रखने वाली निर्मात्रियों में एकता कपूर, शोभा कपूर, गुनीत मोंगा, फराह खान, रीमा कागती, जोया अख्तर, रिया कपूर, किरण राव की अपनी जगह है और आज की ये निर्मात्रियां अपनी कीमत खुद तय करने की औकात रखने लगी हैं। यानी, अब बॉलीवुड में महिलाओं ने बराबरी का हक पाने के लिए सायरन बजा दिया है। अब वह 25%पाकर बहुत दिन चुप बैठने वाली नहीं, उसे अब 100% चाहिए।उसकी लड़ाई बराबरी पाने की है।

Indian women champions

पहले पुरुष ही लेखक होता था, निर्माता- निर्देशक होता था और पुरुष प्रधन कहानियां होती थी,तब नायक ही सब कुछ होता था।हीरोइन दोयम दर्जे पर होती थी। अब हालात पलट रहे हैं। पुरुष प्रधान फिल्म इंडस्ट्री में नारी प्रधान फिल्में बननी शुरू हो गयी हैं। मदर इंडिया, बैंडिट क्वीन, लज्जा, अर्थ, दामिनी जैसी फिल्में पहले कभी कभी बनती थी, आजकल महिला ओरिएंटेड कंटेंट ढूढे जा रहे हैं। कहानी, मर्दानी, क्वीन, इंगलीश विंग्लिश, थप्पड़, पिंक, पीकू, NH- 10 और गंगू बाई काठियावाड़ी जैसी फिल्मों की सिक्वल और हीरोइनों को दिमाग मे रखकर कहानियां लिखाई जा रही हैं। (Empowered Indian women excelling in multiple fields)

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जाहिर है बॉलीवुड की नारी जाग उठी है। वह पुरुष से कमजोर नही है। नारी सशक्तिकरण के युग मे बॉलीवुड की हीरोइन, हीरो से कमतर रहने वाली नहीं है। 

उम्मीद है समाज के हर तबके में, हर स्तर पर, स्त्री और पुरुष में भेद भाव खतम करने का समय आ गया है। क्रिकेट जगत में भारत की बेटियां 'चैम्पियंसी' का खाता खोल चुकी हैं, फिल्मों से जुड़ी भारतीय नारियां पर्दे की चैंपियन बनने की राह में पुरुषों के साथ कदमताल कर रही हैं। वो दिन दूर नहीं जब वे विश्व सिनेमा के पटल पर पुरुषों से आगे आगे चलती दिखाई देंगी।  (Indian women showing strength and determination)

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FAQ

प्रश्न 1. इस संदर्भ में भारतीय महिलाओं की कौन-कौन सी उपलब्धियाँ उजागर की गई हैं?

उत्तर: भारतीय महिलाओं ने मिस वर्ल्ड/यूनिवर्स का खिताब, कुश्ती, बैडमिंटन, महिला क्रिकेट (वर्ल्ड कप सहित) और सिनेमा में अपनी प्रतिभा और ताकत दिखाई है।

प्रश्न 2. भारतीय महिलाएँ परंपरागत बंधनों को कैसे तोड़ रही हैं?

उत्तर: वे समाज की पारंपरिक सोच से बाहर निकलकर विभिन्न क्षेत्रों में अपनी क्षमता साबित कर रही हैं, चाहे वह खेल हों या मनोरंजन।

प्रश्न 3. ये महिलाएँ क्या संदेश देती हैं?

उत्तर: अपनी जीत और उपलब्धियों के माध्यम से वे सशक्तिकरण, धैर्य और किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने की क्षमता का संदेश देती हैं।

प्रश्न 4. क्या सिनेमा उद्योग में भी बदलाव दिखाई दे रहा है?

उत्तर: हाँ, सिनेमा में भी महिलाएँ मजबूत और प्रभावशाली भूमिकाएँ निभाकर रूढ़ियों को तोड़ रही हैं और बदलाव की इस लहर को अपना रही हैं।

प्रश्न 5. इन उपलब्धियों का समग्र महत्व क्या है?

उत्तर: ये उपलब्धियाँ आने वाली पीढ़ियों की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, यह दिखाती हैं कि दृढ़ संकल्प और प्रतिभा से किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है।

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