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भारतीय परंपरा में करवा चौथ का त्योहार स्त्री के प्रेम, समर्पण और विश्वास का सुंदर प्रतीक माना जाता है। साल में एक बार आने वाला यह दिन जहां पत्नियाँ अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, वहीं यह पर्व उनके बीच की गहरी नज़दीकियों की अनुभूति भी कराता है। यही वजह है कि बॉलीवुड ने इस पर्व को सिर्फ एक रस्म भर नहीं बल्कि प्रेम और रिश्तों की भावनाओं से भरा उत्सव बनाकर बार-बार पर्दे पर अमर कर दिया। कभी यह सीन रोमांस से सराबोर होता है, कभी वियोग से, तो कभी त्याग और व्रत की गहराई से — पर हर बार चाँद और छलनी के पार एक अनकही प्रेमकथा ज़रूर छिपी होती है। (Famous Karva Chauth scenes in Bollywood movies)
माँग भरो सजना : 1980 की फ़िल्म माँग भरो सजना में करवा चौथ का एक दृश्य है। इस दृश्य में, सीता (मौसमी चटर्जी) राधा (रेखा) को करवा चौथ की पूजा साथ में करने के लिए अपने घर बुलाती हैं। यह घटना फ़िल्म की कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह फिल्म को एक अहम दृश्य की ओर ले जाती है जो उनके पति राम के बारे में सच्चाई को उजागर करती है।
इस दृश्य में सीता और राधा हैं, जो बिना यह जाने कि वे दोनों एक ही पुरुष, राम (जितेंद्र) के साथ प्रेम संबंध में हैं, दोस्त बन जाती हैं। (Karva Chauth scene in Maang Bharo Sajna film)
माँग भरो सजना (1980) और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995): करवा चौथ पर दो युगों का इश्क़
करवा चौथ का व्रत और साझा पूजा करते हुए दोनों महिलाएँ अपने पतियों के बारे में जानकारी साझा करती हैं, जिससे सीता को एहसास होता है कि राम भी राधा से जुड़े हैं। ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ (1995): इस फिल्म के करवा चौथ दृश्य के साथ परंपरा में बसा विद्रोही इश्क़ साफ नजर आता है। आदित्य चोपड़ा की इस कालजयी फिल्म में करवा चौथ का सीन आज भी लाखों दर्शकों के लिए यादगार है। सिमरन (काजोल) भले किसी और से मंगनीशुदा हो, लेकिन उसका दिल राज (शाहरुख खान) के लिए धड़कता है। वह अपने परिवार से छुपकर राज के लिए व्रत रखती है और रात में जब चाँद निकलता है, तो छत पर पहुँचते ही माहौल रोमांटिक हो उठता है। सिमरन जब छलनी से चाँद देखती है और सामने राज को पाती है, तो दोनों की आँखों में ऐसा अपनापन झलकता है जो किसी शब्द का मोहताज नहीं। राज उसका व्रत तुड़वाता है। उस पल में जो जादू है — वह फिल्मी इतिहास का सबसे प्यारा करवा चौथ क्षण बन गया। इस दृश्य ने यह साबित किया कि प्रेम अगर सच्चा हो, तो परंपरा भी उसके साथ मुस्कुराती है।
‘हम दिल दे चुके सनम’ (1999): आकर्षण, विरह और चाँदनी का जादू बसा है इस फिल्म के करवा चौथ के दृश्य में।
संजय लीला भंसाली की फिल्मों की पहचान होती है उनकी रंगीनता और भावनात्मक गहराई, और 'हम दिल दे चुके सनम"' का करवा चौथ सीन इसका नमूना है। गीत 'चाँद छुपा बादल में' के दौरान नंदिनी (ऐश्वर्या राय) अपने प्यार समीर (सलमान खान) के लिए व्रत रखती है। जब वह बालकनी में खड़ी होकर चाँद का इंतज़ार करती है, तो उसकी आंखों में अधीरता, चाहत और लाज का अनोखा मिश्रण होता है। समीर की शरारतें और उसके तानों के बीच यह त्यौहार एक मोहक प्रेम-व्यंजना में बदल जाता है। चाँद निकलते ही दोनों की नज़रें मिलती हैं और दर्शकों को लगता है जैसे खुद आसमान उनके लिए ठहर गया हो। यह क्षण इतना जीवंत है कि देखनें वाले को भी किसी अपने का इंतज़ार महसूस होने लगता है। (Karva Chauth scene in Dilwale Dulhania Le Jayenge)
‘कभी खुशी कभी ग़म...’ (2001): रिश्तों के रंग और जश्न की चमक से भरे, करण जौहर की इस पारिवारिक फिल्म में करवा चौथ किसी सीन से ज़्यादा एक पर्व बनकर सामने आता है। बड़े-बड़े झूमरों की रोशनी, सजी धजी महिलाएं, पारंपरिक गीत, 'बोले चूड़ियां, बोले कंगना' की धुन, सब मिलकर घर को उत्सव में तब्दील कर देते हैं। अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी बच्चन के बीच के करवा चौथ केमिस्ट्री से लेकर इस उत्सवी और चहकते हुए माहौल में अंजलि (काजोल) अपने पति राहुल (शाहरुख खान) के लिए व्रत रखती है। उसकी आँखों में बस अथाह प्रेम है और राहुल की नज़रें उस पर वैसे ही ठहरती हैं जैसे उसने पहली बार उसे देखा हो। इस दृश्य में न सिर्फ करवा चौथ उत्सव और त्योहार का आकर्षण है बल्कि एक परिवार की एकता और प्रेम का भरोसा भी झलकता है।
‘बागबान’ (2003): पति पत्नी के बीच दूरी भी उनके प्रेम बंधन को अटूट रखता है।
रवि चोपड़ा की यह फिल्म उम्र के आखिरी पड़ाव पर जीवनसाथी के रिश्ते की संवेदनशीलता दिखाती है। करवा चौथ का वह दृश्य जब पूजा (हेमा मालिनी) और राज (अमिताभ बच्चन) अपने बच्चों के फैसले के कारण दूर-दूर रहकर भी एक-दूसरे के लिए व्रत रखते हैं। यह दृश्य सचमुच दिल को भिगो कर छू लेने वाला है। दोनों फोन पर एक-दूसरे को याद करते हुए चाँद देखते हैं और जब पूजा उसकी आवाज़ सुनती है, तो आँखें भर आती हैं। यह पल उस एहसास को उजागर करता है कि दूरी शरीर की हो सकती है, दिल की नहीं। यह सीन करवा चौथ को उम्र या परिस्थितियों से परे एक आत्मिक बंधन के प्रतीक के रूप में स्थापित करता है। (Significance of Karva Chauth in Bollywood films)
‘इश्क़ विश्क’ (2003): मासूम दिलों का वो पहला पहला व्रत सब नएन वेले दूल्हा दुल्हनों को एक नए एहसास से भर देता है।
कॉलेज रोमैंस पर बनी इस फिल्म में करवा चौथ का सीन बेहद प्यारा और सहज है। पायल (अमृता राव) अपने बचपन के दोस्त और क्रश राजीव (शाहिद कपूर) के लिए चुपचाप व्रत रखती है। राजीव को इसकी भनक भी नहीं, पर जब सच्चाई सामने आती है, तो उसकी आंखों में हैरानी और भावनात्मकता दोनों होती हैं। यह पल करवा चौथ के पारंपरिक अर्थ से आगे बढ़कर युवा प्रेम की मासूमियत को दर्शाता है। उसमें न कोई दिखावा है, न धार्मिकता का बोझ, बस एक सरल एहसास — पहली बार किसी के लिए दिल से किया गया इंतज़ार।
‘एनिमल’ (2023): अशांति के बीच रिश्ते की खामोश गहराई इस फिल्म में करवा चौथ के व्रत त्योहार को एक अलग रूप देता है।
रणबीर कपूर और रश्मिका मंदाना अभिनीत इस फिल्म में हिंसा और पारिवारिक टकरावों के बीच करवा चौथ का दृश्य एक ठहराव जैसा लगता है। गीतांजलि (रश्मिका) अपने अशांत विवाह की उलझनों के बावजूद रणविजय (रणबीर) के लिए व्रत रखती है। जब वह छलनी से चाँद देखती है, तो उसके चेहरे पर प्रेम के साथ एक डर भी झलकता है — खो जाने का, बिखर जाने का। इस सीन में बिना बोले बयां होता है कि परंपरा कितनी दृढ़ता से रिश्तों को थामे रखती है, चाहे जीवन कितना भी कठिन क्यों न हो जाए। (Rekha and Moushumi Chatterjee Karva Chauth scene)
बॉलीवुड की इन कहानियों में करवा चौथ सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि भावनाओं का गवाह बनकर उभरा है। कभी यह दो दिलों के मिलन का प्रतीक बना, तो कभी जुदाई के दर्द को गहराई से महसूस कराने वाला पल। पर हर बार, चाँद के सामने झिलमिलाती छलनी से झाँकता चेहरा यही कहता नज़र आया, "प्रेम बदल सकता है, पर उसकी प्रतीक्षा कभी नहीं।"