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Meena Kumari poetry: टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली"

मीना कुमारी का यह डायलॉग बॉलीवुड में उनके भावपूर्ण और त्रासदीपूर्ण अभिनय की पहचान बन गया। यह डायलॉग फिल्म में पात्र की पीड़ा और भावनाओं को बेहद प्रभावशाली तरीके से दर्शाता है।

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Meena Kumari poetry
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वो तिरछी, कोमल, नमकीन आँखे, जो आँसू भी बहाते थे और धीमी आँच वाली सेक्स अपील भी  बरसाती थी। उनकी आँखे और उनकी आवाज़ शेरों शायरी पढ़ते हुए सुनने वाले को दीवाना भी बना देती थी । उनके ज़माने में बॉलीवुड के लगभग सभी मर्द उस खूबसूरत अभिनेत्री के दिल में जगह पाने की होड़ में लगे रहते थे। लेकिन उस मुहब्बत की प्यासी स्त्री ने सिर्फ उन्हे ही अपनी जिंदगी में जगह दी जिनके हैंडसम बदन के अंदर उन्होने एक भीगा हुआ दिल भी देखा। मैं बात कर रही हूँ भारतीय सिनेमा की लीजेंड अभिनेत्री, शायर, मीना कुमारी की। कम लोग ये जानते होंगे कि मशहूर अभिनेत्री मीना कुमारी, जिन्हें अक्सर "ट्रेजेडी क्वीन" कहा जाता था, अपने को एक अभिनेत्री से पहले एक शायर, एक कवि मानती थीं। (Meena Kumari Urdu poetry pen name Naz)

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मीना कुमारी: शायरी और संवेदनशील कवियित्री

बहुत से लोग, खासकर हमारी पीढ़ी यह  जानते नहीं है कि अपनी ग्लैमरस फ़िल्मी शख्सियत के पीछे, मीना कुमारी एक संवेदनशील और प्रतिभाशाली कवियित्री थीं, जिन्होंने अपना एक अलग नाम रखा था सिर्फ कविताएँ लिखने के लिए। उन्होने अपना पेन नाम यानी क़लमी नाम रखा था, 'नाज़' और वो अपनी कविताएँ, शायरी उर्दू में लिखा करती थी। उनकी वो शाएरी और कविताएँ सीधे उनके दिल से निकलती थीं, जो अपने प्रेमी मिलन  की लालसा, उदासी, प्यार और अकेलेपन की आंतरिक भावनाओं को प्रकट करती थीं। उनके लिए कविता लिखना एक ऐसा जरिया था जिससे वे अक्सर जो कह नहीं पाती थीं या स्क्रीन पर नहीं दिखा पाती थीं, उसे व्यक्त कर पाती थीं। मीना कुमारी ने अपने दिल में जिन्हे जगह दी वो लोग थे कमाल अमरोही, धर्मेंद्र, गुलज़ार, राजकुमार और निर्माता निर्देशक सावन कुमार टाक. ध्यान रहे कि अपने ज़माने में यह सभी शख्स बेहद हैंडसम तो थे ही, वे सब बेहद संवेदनशील कवि हृदय भी थे। यह अलग बात है कि विवाह के बाद मीना कुमारी का, कमाल अमरोही को लेकर जो नर्म और कोमल भावनाएं थी वो टूट गई। कमाल अमरोही उनके धारणा अनुसार खरे नहीं उतर सके। (Meena Kumari sensitive poet biography)

Naaz (1954)

Naaz (1954)

अंत समय, जब वे भयानक लिवर सिरहोसिस बीमारी से तिल तिल मौत की तरफ बढ़ रही थी तब मीना कुमारी ने कबूल किया कि उन्हें फ़िल्मों में काम करना कभी पसंद नहीं था । वह एकदम अकेली, रोती रहती थी, अपनी कविताओं की डायरी पढ़ती थी और ग़म के कारण लगे अपनी शराब की लत की वजह से बिछड़े दोस्तों को याद करती थी । बार बार बुलाने पर भी उन्हे प्यार करने वाले अपनी-अपनी व्यस्तता के कारण उनसे दूर रहे और मीना कुमारी एकदम अकेली रह गई। वो अपनी बीमारी के नाम से कई बार दर्द से मुस्कुराते हुए कहती थी "लिवर सिरोसिस—कितना अजीब नाम है! उर्दू में इसे दर्द-ए-जिगर कहते हैं। ...इसे सुनकर लगता है, अगर मौत आनी ही है , तो यही बीमारी सबसे सही है। जिगर का रोग लगा बैठी मैं।

Meena Kumari

Meena Kumari poetry

यह अलग बात है कि सावन कुमार टाक ने इस लेख की लेखिका सुलेना को कहा था कि मीना कुमारी के अंतिम दिनों में वे उनके कमरे में रात दिन रहते थे। उन्हे बाथरूम ले जाते थे। कई बार मीना जी अचानक उल्टी करने लगती थी और बेड पैन उठाने का टाइम नहीं होता था तो सावन जी ने अपनी हथेलियों में मीना कुमारी की उल्टी को समेट लिया था। सावन जी उस वक्त बहुत कम उम्र के थे, इक्कीस वर्ष के करीब। (Meena Kumari diary and poetry writings) 

1972 में मीना कुमारी निधन के बाद, उनकी लिखी कविताओं का एक संग्रह 'तन्हा चाँद' शीर्षक से प्रकाशित हुआ, जिसका अर्थ है अकेला चाँद। इन कविताओं ने उनके प्रशंसकों और पाठकों को उनका एक अलग पक्ष देखने का मौका दिया - एक ऐसा पक्ष जो अधिक वास्तविक नाजुक और संवेदनशील था।

Meena Kumari

उनकी शायरी और कविताओं ने उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाया जो दर्द  से जूझ रहा था और जो अपने आंतरिक सच्चे 'स्व' की खोज कर रहा था। उनकी कविताएँ एक गुप्त डायरी  थीं, जो उनके दिल में छुपी भावनाओं और विचारों से भरी थीं, जिन्हें उन्होंने दुनिया से छिपा कर रखा था। (Famous Bollywood actresses who wrote poetry)

Meena Kumari

Meena Kumari poetry

उन्होने अपनी कई कविताओं में अकेलेपन और अधूरे प्यार के बारे में बात की है। बतौर उस दौर की चोटी की अभिनेत्री, वह अक्सर लोगों से घिरे होने पर भी अकेलेपन के बारे में लिखती थीं और किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार करने के बारे में इंगित करती थी जो उनसे प्यार नहीं करता या उनके साथ नहीं रह सकता। उनकी एक पंक्ति कहती है, “ज़िंदगी सिर्फ़ मोहब्बत से नहीं चलती नाज़,” जिसका मतलब है “ज़िंदगी सिर्फ़ प्यार पर नहीं चलती।” यह पंक्ति उनके जजबती तरीके से महसूस करने के तरीके को दर्शाती है। वे अक्सर फ़िल्म मेकर सावन कुमार टाक से कहती थी, " मेरी ज़िंदगी बहुत ज़्यादा पेंचों और उतार-चढ़ाव से भरी  हुई है और यह सिर्फ़ प्यार और खुशी, बस दो जज्बात की कहानी नहीं है ।" उनकी कविताएँ सरल लेकिन गहरी भावनात्मक थीं, कुछ ऐसे जैसे कि वह अपने दुख सुनने वालों के साथ अपनी निजी कहानियाँ साझा कर रही हों।

मीना कुमारी: कविता से आत्मा की अभिव्यक्ति

साहित्य जगत के लोग उनकी कविता की प्रशंसा करते थे। उर्दू कवियों और विद्वानों ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें मुशायरों में आमंत्रित भी किया, उन कविता सभाएँ में जहाँ कवि अपनी रचनाएँ सुनाते थे। उन सभाओं में भी, उनके कविता पाठ ने सभी को प्रभावित किया।

Meena Kumari poetry

Meena Kumari poetry

कविता लिखना मीना कुमारी के लिए सिर्फ़ एक शौक नहीं था, यह उनके अशांत मन को शांति और आराम देने का एक तरीका था। जब भी वह उदास या अभिभूत महसूस करती थी, तो वह अक्सर अपनी डायरी पलटती थी और उसमें शेर और अपने विचार लिखना शुरू कर देती थी।

सावन कुमार ने कहा था, "उनकी कविता ने उन्हें अपने व्यक्तिगत संघर्षों और अपने अंदर के दर्द से निपटने में मदद की। यह उनके लिए सांत्वना पाने का तरीका था, एक सुरक्षित जगह जहाँ वह बिना किसी डर या झिझक के अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकती थी। कई मायनों में उनकी कविता उनके अपने दिल का प्रतिबिंब थी - नाजुक, ईमानदार और लालसा से भरी हुई।"

Meena Kumari poetry

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नर्गिस भी मीना कुमारी की बेस्ट फ्रेंड थी, उन्होने भी कहा था," अपने शब्दों के माध्यम से, मीना कुमारी ने दिखाया कि बाहर से मजबूत और आकर्षक दिखने वाला व्यक्ति भी अंदर से कितना कोमल, कमजोर, नाजुक आत्मा वाला हो सकता है। मंजू (मीना को नर्गिस मंजू पुकारती थी) के लिए यह दुनिया अच्छी जगह नहीं है।"

Meena Kumari poetry

शायद यही वजह है कि मीना कुमारी की तड़प और शरीर की जानलेवा तकलीफें देखकर नर्गिस ने मीना कुमारी की मौत के बाद, उनके नाम एक चिट्ठी लिखते हुए कहा था," मौत मुबारक हो मीना, मैंने पहले कभी किसी को ऐसा कभी नहीं कहा था। आज तुम्हारी बाजी (बड़ी बहन) तुम्हें तुम्हारी मौत पर, तुम्हें बधाई देती है और कहती हैं कि तुम दोबारा कभी इस दुनिया में कदम मत रखना। यह जगह तुम जैसे लोगों के लिए नहीं है।" (Meena Kumari friendship with Nargis)

Meena Kumari poetry

उनकी कविताएँ उनकी गुप्त दुनिया थीं, एक ऐसी दुनिया जहाँ वह सिर्फ और सिर्फ माहज़बीन हो सकती थीं। आज भी, उनकी कविताएँ इस बात की गवाह है कि हर सेलेब्रिटी के पीछे कई अधूरे सपने, दर्द और काव्यात्मक दिल वाला एक व्यक्ति होता है।

FAQ

Q1: मीना कुमारी केवल एक अभिनेत्री ही थीं या कुछ और भी थीं?

A1: मीना कुमारी केवल बॉलीवुड की ग्लैमरस अभिनेत्री ही नहीं थीं, बल्कि एक संवेदनशील और प्रतिभाशाली कवियित्री भी थीं। उन्होंने कविताओं के लिए अपना पेन नाम 'नाज़' रखा था।

Q2: मीना कुमारी अपनी कविताएँ किस भाषा में लिखती थीं?

A2: उन्होंने अपनी कविताएँ मुख्य रूप से उर्दू में लिखी, जिसमें प्रेम, अकेलापन और उदासी जैसे भाव प्रकट होते थे।

Q3: क्या मीना कुमारी साहित्यिक आयोजनों में भाग लेती थीं?

A3: हाँ, उन्हें मुशायरों में आमंत्रित किया गया था, जहाँ उन्होंने अपनी शायरी पढ़कर सभी को प्रभावित किया।

Q4: मीना कुमारी कविता क्यों लिखती थीं?

A4: कविता उनके लिए भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम थी। यह उन्हें अपने अंदर के दर्द और व्यक्तिगत संघर्षों से निपटने में मदद करती थी।

Q5: मीना कुमारी के जीवन में कौन-कौन महत्वपूर्ण लोग थे?

A5: उनके करीबी लोगों में कमाल अमरोही, धर्मेंद्र, गुलज़ार, राजकुमार और निर्देशक सावन कुमार टाक शामिल थे। उनकी सबसे करीबी मित्र नर्गिस थीं।

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