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ASC का हिस्सा बने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सिनेमैटोग्राफर रवि वर्मन

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कैमरामैन रवि वर्मन को दुनिया के अग्रणी सिनेमैटोग्राफर्स संगठन अमेरिकन सोसाइटी ऑफ सिनेमैटोग्राफर्स (एएससी) का नया सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया गया है...

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By Shanti Swaroop Tripathi
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राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कैमरामैन रवि वर्मन को दुनिया के अग्रणी सिनेमैटोग्राफर्स संगठन अमेरिकन सोसाइटी ऑफ सिनेमैटोग्राफर्स (एएससी) का नया सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया गया है. संतोष सिवन के बाद यह प्रतिष्ठित सम्मान पाने वाले रवि वर्मन दूसरे भारतीय छायाकार बन गए हैं. सभी को पता है कि 2024 से रवि बर्मन 'ऑस्कर' के भी सदस्य हैं. 'अमरीकन सोसाइटी ऑफ सिनेमैटोग्राफर्स (एएससी)' की प्रेरण प्रक्रिया काफी कठोर है. बोर्ड के सदस्य और ऑस्कर विजेता सिनेमैटोग्राफर सम्मान प्रदान करने से पहले नए सदस्यों के काम को ध्यान से देखते हैं और चर्चा करते हैं. फिर अंतिम निर्णय पर पहुंचते हैं. एक बड़ा सम्मान प्राप्त करने के बारे में अपनी खुशी साझा करते हुए, कैमरामैन रवि वर्मन कहते हैं, मुझे एक सदस्य के रूप में शामिल करने के लिए मैं अमरीकन सोसाइटी ऑफ सिनेमैटोग्राफर्स (एएससी) के बोर्ड को अपना हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता हूं. दुनिया भर के कैमरामैन, इस एसोसिएशन का हिस्सा बनने का सपना देखते रहते है. ऐसे मंच में शामिल होना मेरे लिए बहुत खुशी और गर्व की बात है. जहां ऑस्कर सहित पुरस्कार जीतने वाले दुनिया के प्रमुख कैमरामैन सदस्य हैं.

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बतौर कैमरामैन अपने 25 साल से अधिक के करियर में, रवि वर्मन ने तमिल, मलयालम, तेलुगु, कन्नड़, हिंदी और अंग्रेजी में फिल्में शूट कर चुके रवि वर्मन की यात्रा काफी रोचक है. रवि वर्मन ने कैमरामैन बनने के लिए कोई प्रशिक्षण हासिल नही किया, बल्कि काम करते हुए वह खुद से ही सीखते हुए इस मुकाम तक पहुंचे है. द्रश्य श्राव्य माध्यम में उनकी यात्रा किसी कक्षा में नहीं, बल्कि भारत के दक्षिण में एक सुदूर गाँव के साधारण परिवेश में शुरू हुई. 13 साल की उम्र में अनाथ होने और अपनी औपचारिक शिक्षा बंद करने के लिए मजबूर होने के कारण, वह मजबूरी में मद्रास शहर चले गए, विभिन्न प्रकार की छोटी-मोटी नौकरियां करने लगे और अक्सर सड़क के फुटपाथ पर सोते थे. इन चुनौतियों के दौरान, उन्हें एक अप्रत्याशित स्रोत से सांत्वना और प्रेरणा मिली. उनकी दिवंगत मां की आउट-ऑफ़-फोकस तस्वीर, उनकी एकमात्र छवि थी. इस एक तस्वीर ने फोटोग्राफी के प्रति उनके आकर्षण को जगा दिया.

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14 साल की उम्र में, जब वह एक होटल में सफाईकर्मी के रूप में नौकरी करने दौरान पहली तनख्वाह से उन्होंने 'जेनिथ टीटीएल 35 मिमी फिल्म-एसएलआर' कैमरा खरीदा था, तब तक उन्हे यह भी नही पता था कि इसका उपयोग कैसे करना है. जिज्ञासा और दृढ़ संकल्प से प्रेरित होकर, उन्होंने 16 साल की उम्र में एक ऑफिस बॉय के रूप में फिल्म उद्योग में प्रवेश किया, धीरे-धीरे विभिन्न भूमिकाओं के माध्यम से अपना काम किया और अंततः एक सहायक छायाकार बन गए. बतौर सहायक छायाकार रवि वर्मन ने सत्यजीत रे, फेडेरिको फेलिनी, अकीरा कुरोसावा, डेविड लीन, इंगमार बर्गमैन और अल्फ्रेड हिचकॉक जैसे दिग्गज फिल्म निर्माताओं के काम की खोज की, जिसने अवचेतन रूप से उनकी दृश्य भावना को तैयार किया. 1999 में रवि वर्मन स्वतंत्र छायाकार बन गए और पिछले 25 वर्षों में उन्होंने 35 से अधिक फिल्मों की शूटिंग की है और 30 निर्देशकों के साथ काम किया है. उन्होंने भारत के कई शीर्ष निर्देशकों इइके मणिरत्नम, शंकर, संजय लीला भंसाली, राज कुमार हिरानी, अनुराग बसु, इम्तियाज अली और अमेरिकी फिल्म निर्माता ड्यून एडलर के साथ सहयोग किया है. उनके काम को फ्रेमिंग और चकाचैंध, फ्लेयर और जीवंत रंगों के उपयोग के लिए जाना जाता है, जिसे भारत और विदेश दोनों में मान्यता मिली है. वह अपने फ्रेम में अतियथार्थवाद और रूमानियत की भावना को कैद करने का प्रयास करते हैं, अक्सर पेंटिंग की दुनिया से प्रेरणा लेते हैं. वह साल्वाडोर डाली के रंग, वान गाग की रचनात्मकता और सादगी और राजा रवि वर्मा के यथार्थवाद से बहुत प्रभावित थे.

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उनकी यात्रा उन्हें विज्ञापन की दुनिया में भी ले गई, जहां उन्होंने कोक, नेस्ले, लक्स और अन्य ब्रांडों के लिए कई विज्ञापनों की शूटिंग की. चाहे वह एक फीचर फिल्म का भव्य पैमाना हो या किसी विज्ञापन की सटीकता, उनका लक्ष्य वही रहता हैरू कहानी के सार को पकड़ना और प्रासंगिक छवियां बनाना जो स्थायी प्रभाव छोड़ती हैं. उनके लिए, सिनेमैटोग्राफी का प्राथमिक उद्देश्य वास्तविकता को एक अलग परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करना और लगातार बदलती प्रकृति की रोशनी और रंगों की नवीनता का पता लगाना है. उनका मानना हैं कि कला प्रकृति की निकटतम प्रतिकृति या नकल के अलावा और कुछ नहीं है. रवि वर्मन का संघर्षपूर्ण जीवन साबित करता है कि, सभी बाधाओं के बावजूद, बिना किसी पक्ष या किसी गॉडफादर के, यदि कोई इंसान आशा के साथ लगातार प्रयास करता है, इमानदारी से मेहनत करता है, तो वह असीम ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है.

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