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एंटरटेनमेंट:भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में गीतकारों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है, जिन्होंने अपने गीतों के माध्यम से सिनेमा को एक नया आयाम दिया। ऐसे ही एक प्रसिद्ध गीतकार थे पी. एल. संतोषी, जिन्होंने हिंदी फिल्मों के गीतों में हिंदी और इंग्लिश शब्दों का ऐसा मिश्रण किया, जो उस समय एक क्रांतिकारी कदम माना गया उन्होंने गीतों के माध्यम से एक नई भाषा, एक नया ट्रेंड शुरू किया, जो आज भी फिल्मों में देखने को मिलता है
शुरुआती दौर
पी. एल. संतोषी का जन्म 1916 में एक साधारण परिवार में हुआ था उनका असली नाम प्यारे लाल संतोषी था बचपन से ही उन्हें साहित्य और कविता का शौक था, जो उन्हें फिल्मों की दुनिया में खींच लाया।अपनी शुरुआती फिल्मी सफर में उन्होंने कई संघर्षों का सामना किया, लेकिन उनकी प्रतिभा और अनूठे अंदाज ने उन्हें जल्दी ही पहचान दिलाई,पी. एल. संतोषी ने 1940 के दशक में हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखने शुरू किए उनके गीतों की खासियत यह थी कि वे सिर्फ शब्दों का खेल नहीं थे, बल्कि उनमें जीवन के रंग, भावनाओं की गहराई और समय की सच्चाई झलकती थी लेकिन जो चीज उन्हें सबसे अलग बनाती थी, वह थी उनके गीतों में हिंदी और इंग्लिश शब्दों का अनूठा मेल
ट्रेंडसेटर गीतकार
उस समय हिंदी फिल्मों के गीतों में सिर्फ शुद्ध हिंदी या उर्दू का प्रयोग किया जाता था लेकिन पी. एल. संतोषी ने अपने गीतों में अंग्रेजी शब्दों को इस तरह से पिरोया कि वह गीत का हिस्सा बन गए और सुनने वालों को यह नया प्रयोग बेहद पसंद आया उनका यह प्रयोग उस समय बेहद नया और क्रांतिकारी था उनकी इस शैली ने उन्हें एक ट्रेंडसेटर बना दिया,पी. एल. संतोषी के कुछ लोकप्रिय गीतों में "आना मेरी जान संडे के संडे" और "मेरे दिल में है इक बात" शामिल हैं, जिनमें हिंदी और इंग्लिश शब्दों का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है "मेरे पिया गए रंगून" गीत में उन्होंने "संडे" जैसे शब्द का प्रयोग किया था, जो उस समय के गीतों में एक नया और साहसिक प्रयोग था उनके इन गीतों ने फिल्मों में हिंदी-इंग्लिश शब्दों के मिश्रण का एक नया चलन शुरू किया
व्यक्तिगत जीवन और योगदान
पी. एल. संतोषी का व्यक्तिगत जीवन उतार-चढ़ाव भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने काम से समझौता नहीं किया उन्होंने अपने जीवन में अनेक संघर्षों का सामना किया, लेकिन अपनी लेखनी को हमेशा प्राथमिकता दी उनकी इस मेहनत और लगन का परिणाम है कि आज भी उनके गीत लोगों की जुबान पर हैं,पी. एल. संतोषी ने भारतीय सिनेमा को जो योगदान दिया, वह अमूल्य है उनकी गीतों में भाषा का अनूठा मिश्रण एक ऐसी विरासत है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी उन्होंने साबित कर दिया कि भाषा के बंधन से परे जाकर, यदि शब्दों को सही भावनाओं के साथ पेश किया जाए, तो वे सीधे दिल तक पहुंचते हैं
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