Advertisment

Film Karz Story: 1980 में रिलीज हुई सुभाष घई कृत फ़िल्म 'कर्ज़' रहस्य, प्रेम और बदले की एक कालातीत कहानी

Film Karz Story: 1980 में रिलीज़ हुई सुभाष घई कृत फ़िल्म 'कर्ज़' वो क्लासिक फ़िल्म मानी जाती है जिसने भारतीय सिनेमा पर एक लेडी क्रिमिनल की  रहस्यम कहानी की अमिट छाप छोड़ी...

New Update
Film Karz Story 1980 में रिलीज हुई सुभाष घई कृत फ़िल्म 'कर्ज़' रहस्य, प्रेम और बदले की एक कालातीत कहानी
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

Film Karz Story: 1980 में रिलीज़ हुई सुभाष घई कृत फ़िल्म 'कर्ज़' वो क्लासिक फ़िल्म मानी जाती है जिसने भारतीय सिनेमा पर एक लेडी क्रिमिनल की रहस्यम कहानी की अमिट छाप छोड़ी। इस फ़िल्म में ऋषि कपूर मुख्य भूमिका में हैं, साथ में है युवा टीना मुनीम, राज किरण, प्राण और सदाबहार सिमी ग्रेवाल। यह एक रोमांटिक थ्रिलर है जिसमें प्रेम, बेवफ़ाई, अपराध, रहस्य, पुनर्जन्म, बदला और मधुर संगीत शामिल हैं, जो इसे अपने समय की अनूठी पेशकश बनाता है। अतीत में झाँक कर देखा जाय तो फ़िल्म 'कर्ज़' का निर्माण उतना ही आकर्षक है जितना कि इसकी कहानी। यह फिल्म, समय से आगे और रचनात्मक चुनौतियों तथा यादगार पलों से भरी हुई है।

KARZFILM

मॉडर्न जमाने के सपनों का सौदागर माने जाने वाले तथा अपनी अद्भुत ढंग से कहानी कहने की कला में माहिर मशहूर फिल्म मेकर सुभाष घई को इस फ़िल्म को बनाने का आइडिया एक खास दृश्य की कल्पना करने के बाद 'कर्ज़' लिखने की प्रेरणा मिली। उन्होंने एक कहानी में उस भावनात्मक पल को याद किया, जिसमें एक माँ अपने मृत बेटे की आत्मा को पहचानती है। इस छवि की कल्पना फ़िल्म बनाने की वह आधार बन गई जिस पर उन्होंने पूरी पटकथा लिख डाली। घई का विज़न एक ऐसी फ़िल्म बनाना था जो न केवल पब्लिक का मनोरंजन करे बल्कि दिलों को भी छू जाय। वह पुनर्जन्म की दिलचस्प संकल्पना को शामिल करते हुए प्यार और विश्वासघात के विषयों पर एक फिल्म बनाने की ठान चुके थे।

Released in 1980 Subhash Ghai film Karz is a timeless story of mystery love and revenge

'कर्ज़' की कहानी ऋषि कपूर द्वारा निभाए गए मोंटी ओबेरॉय के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक अमीर परिवार द्वारा पाला गया एक अनाथ युवक है।अचानक एक दिन वह रवि वर्मा (राज किरण) के रूप में अपने पिछले जन्म के जीवन को फ्लैशबैक के साथ अनुभव करना शुरू कर देता है। रवि अपनी पत्नी कामिनी (सिमी ग्रेवाल) से बेहद प्यार करता था लेकिन उसकी हत्या उसकी पत्नी कामिनी ने ही कर दी थी। कहानी मोंटी के अपने अतीत को जानने और उन लोगों से बदला लेने के साथ शुरू होती है जिन्होंने उसके और उसके परिवार के साथ बहुत गलत किया। जैसे-जैसे वह अपने पिछले जीवन में गहराई से उतरता है, उसे एहसास होता है कि उसे सब हिसाब बराबर करने के लिए पहले सब परिस्थिति सही करना पड़ेगा। इसके लिए उसे अपने पिछले जन्म की पत्नी कामिनी का सामना भी करना होगा। कामिनी अब बूढ़ी हो चुकी है लेकिन फिर भी नकली बाल और मेकअप के मुखौटे में जवान बनी रहती है और घर के अकेले एकांत में उसका असली रूप दिखता है जिसे वो दुनिया से छुपा कर रखती है। फिल्म ने संगीत को कहानी कहने के साथ बहुत ही सफाई से जोड़ा है, जिसमें यादगार गाने हैं जो कालातीत हिट बन गए हैं।

D

पर्दे के पीछे, 'कर्ज़' का निर्माण कठिनाइयों से भरी हुई थी। सुभाष घई को फ़िल्म के कुछ अभिनेताओं को कास्ट करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। उदाहरण के लिए, सिमी गरेवाल को शामिल करना उनके लिए थोड़ा मुश्किल था क्योंकि उस समय सिमी के पास अन्य प्रतिबद्धताएँ थीं। हालाँकि, घई के दृढ़ संकल्प और सिमी को समझाने के स्टाइल ने अंततः उन्हें जीत लिया। ऋषि कपूर और टीना मुनीम के बीच की केमिस्ट्री ने फिल्म में एक ऐसा आकर्षक जादू जोड़ा जो मीडिया वालों की नज़रों में चुभने लगा था और उसे लेकर खूब खट्टी मीठी अफवाहें भी उड़ी थी। लेकिन उनके अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा।

'कर्ज़' के दिल को छूने वाले संगीत ने इसकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और चार चांद लगा दिया। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित और आनंद बक्शी द्वारा लिखे गए इस साउंडट्रैक में "ओम शांति ओम, एक हसीना थी, ", "दर्द-ए-दिल", 'तू कितने बरस की' , 'कमाल है कमाल है 'जैसे कई हिट गाने शामिल थे। इन गानों ने न केवल फिल्म के आत्मा को झींझोड़ा , बल्कि अपने आप में चार्ट-टॉपर भी बन गए। किशोर कुमार ने अधिकांश ट्रैक में अपनी आवाज़ दी, जबकि मोहम्मद रफ़ी ने "दर्द-ए-दिल" गाया। फ़िल्म के सिग्नेचर संगीत (एक हसीना थी) ने फिल्म के भावनात्मक क्षणों को बढ़ाने में मदद की और इसकी लोकप्रियता में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

RISHI

इस फ़िल्म के फिल्मांकन प्रक्रिया के साथ एक दिलचस्प किस्सा भी जुड़ा है। कहानी फ़िल्म के सुपर हिट गीत "एक हसीना थी" से जुड़ा हुआ है। इस गाने को विशाल सेट और कोरियोग्राफी के साथ बड़े पैमाने पर शूट किया गया था। घई चाहते थे कि यह सीन देखने में अद्भुत और शानदार लगे। उन्होंने अपने समय से आगे के नए कैमरा एंगल और लाइटिंग तकनीकों को शामिल करके इस दृश्य का फिल्मांकन किया। सुभाष घई और उनके टीम टेक्नीशियन का यह प्रयास सफल रहा और ये गाना फिल्म के सबसे ज्यादा हाइलाइटेड मुख्य आकर्षणों में से एक साबित हुआ।

KARZFILM

'कर्ज़' के बारे में एक और कम ज्ञात बात यह है कि रिलीज़ होने पर इसे बॉक्स ऑफ़िस पर कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। सबसे अजब बात ये है कि रिलीज़ होने पर शुरुआत में इस फ़िल्म को औसत प्रदर्शन करने वाला फ़िल्म माना गया था, लेकिन धीरे धीरे इसने लोकप्रियता की शिखर को छूते हुए ऐसी कारवट ली कि कल्ट फिल्म का दर्जा हासिल कर लिया। उस समय कई आलोचकों को लगा था कि यह अपने समय से आगे की फिल्म है, जिसकी वजह से शुरुआत में यह दर्शकों के पल्ले नहीं पड़ी लेकिन बाद में दर्शकों ने इसकी अनूठी कहानी और आकर्षक संगीत की सराहना करना शुरू कर दिया और फ़िल्म सुपर हिट हो गई।

KARZFILM

इस अवधि के दौरान सुभाष घई की निर्देशन शैली में रचनात्मकता की अनोखी छटा साफ दिखाई देने लगी थी। उन्होंने अक्सर अभिनेताओं को दृश्यों में अपनी खुद की इंप्रोवाइजेशन लाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे सबके परफॉर्मेंस यादगार बन गए। यह दृष्टिकोण 1980 के दशक की फिल्म निर्माण में नई बात थी जिस वजह से दृश्य में सहजता साफ दिखाई देने लगी।

फिल्म का प्रभाव इसकी शुरुआती रिलीज़ से आगे निकल गई। इसे कई बार अलग-अलग भाषाओं में रीमेक किया गया है और आज भी लोकप्रिय संस्कृति में इसका संदर्भ दिया जाता है। समय से परे, प्रेम, विश्वासघात और रहस्यमय पुनर्जन्म का अनोखा विषय नए ज़माने के ऑडियंस के साथ प्रतिध्वनित होने से यह एक कालातीत कहानी बन गई है जो नई पीढ़ियों को आज भी आकर्षित करती है।

KARZFILM

चार दशक से ज़्यादा समय के बाद जब 'कर्ज़' आज भी अपनी विरासत का जश्न मना रहा है, तो हाल ही में सुभाष घई ने सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए इस फ़िल्म की मेकिंग पर विचार किया, जहाँ उन्होंने फ़िल्मांकन से जुड़ी परदे के पीछे की तस्वीरें और यादें साझा कीं। उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि इतने साल पहले बनी उनकी यह फ़िल्म आज भी दर्शकों को कैसे प्रभावित करती है।

हालाँकि पुनर्जन्म के विषय को पहले मधुमती (1958), महबूबा (1976) और कुदरत (1981) में उठाया गया था, लेकिन हत्या और बदले की नई दिशा के आधुनिक मोड़ के कारण, कर्ज (1980) को यूनिक फिल्म माना जाता है।

KARZFILM

फ़िल्म के क्लासिक कर्ज़ धुन को (डेविड ब्रूनो) डीबी ने अंतर्राष्ट्रीय एल्बम "ब्लैक कोबरा" के लिए सैंपल किया था। रीमिक्स का शीर्षक "बाय बाय बॉलीवुड" था। बोनी एम. का गाना लेट इट ऑल बी म्यूजिक फिल्म में इस्तेमाल किया गया था। ,

खबरों के अनुसार इस फिल्म में सुभाष घई ने संवाद खुद लिखे क्योंकि वे उन्हें सरल बनाना चाहते थे। हालांकि राही मासूम रजा को साइन किया गया था और उन्हें श्रेय भी दिया गया।

फिल्म के निर्माण के दौरान कई लोगों ने सुभाष घई से कहा था कि यह फिल्म मुनाफे का सौदा नहीं है क्योंकि इसमें सिर्फ़ एक स्टार है- ऋषि कपूर। उस समय टीना मुनीम नई थी और उनकी फिल्म देस परदेस रिलीज़ नहीं हुई थी। राज किरण भी स्टार नहीं थे। सिमी ग्रेवाल का भी कोई कमर्शियल लाभ नहीं था। और उन दिनों बनने वाली ज़्यादातर बड़ी फ़िल्में अमिताभ बच्चन स्टारर या मल्टी कास्ट होती थीं। लेकिन सुभाष भाई अपनी पसंद पर अड़े रहे।

KARZFILM

सिमी ग्रेवेल और ऋषि कपूर 'मेरा नाम जोकर' के लगभग 10 साल बाद 'कर्ज़' में फिर पति-पत्नी की भूमिका में साथ आए। मेरा नाम जोकर में ऋषि कपूर एक बच्चे की भूमिका में थे और सिमी ग्रेवाल टीचर की भूमिका में थी।

देस परदेस के बाद टीना मुनियम की यह पहली फ़िल्म थी।

सुभाष घई ने 'पैसा ये पैसा' गाने के लिए एक मोटे जूनियर आर्टिस्ट को एक दिन की शूटिंग के लिए बुलाया था, लेकिन वह व्यक्ति उस दिन शूटिंग के लिए नहीं आया और सुभाष घई ने खुद ही यह किरदार निभाने का फैसला किया और उसके बाद से वह अपनी निर्देशित फिल्मों में अक्सर नजर आने लगे।

KARZFILM

फ़िल्म में बार-बार दिखाया जाने वाला काली माता मंदिर काफी प्रसिद्ध हो गया और ऊटी आने वाले कई पर्यटक इस स्थान के बारे में पूछते थे, लेकिन वास्तव में यह मंदिर कभी अस्तित्व में था ही नहीं क्योंकि इसका सेट बम्बई के एक स्टूडियो में बनाया गया था।

फिल्म का चार्ट-बस्टर गीत, ओम शांति ओम, जिसे किशोर कुमार ने गाया था, बिनाका गीतमाला की वार्षिक सूची 1980 में दूसरे स्थान पर पहुंच गई थी, जबकि लता और किशोर के बीच एक और युगल गीत, तू कितने बरस की, पहले स्थान पर पहुंचा।

Read More

Aishwarya Rai की इस हरकत से घबरा जाते हैं Abhishek Bachchan, एक्टर ने भरी महफिल में किया खुलासा

Toilet: Ek Prem Katha: Jaya Bachchan ने 'टॉयलेट एक प्रेम कथा' को बताया फ्लॉप, फिल्म निर्माता ने दिग्गज एक्ट्रेस को दिया करारा जवाब

Ekta Kapoor Slams Anurag Kashyap: Ekta Kapoor ने Anurag Kashyap को दिया मुंहतोड़ जवाब, बोलीं- 'खुद का पैसा इस्तेमाल करें'

Sikandar UA Certificate: सिकंदर के मेकर्स के लिए खुशखबरी, Salman Khan की फिल्म को CBFC से मिला UA सर्टिफिकेट

Tags : Celebrate 45 Years of Iconic Film Karz | CELEBRATE 45 YEARS OF ICONIC FILM KARZ WITH SUBHASH GHAI | Subhash Ghai | about SUBHASH GHAI | filmmaker Subhash Ghai | Shri Subhash Ghai | Subhash Ghai films | Subhash Ghai company Mukta Arts | subhash ghai first tv serial | Subhash Ghai news | subhash ghai story | SUBHASH GHAI article 

#Subhash Ghai #Shri Subhash Ghai #subhash ghai first tv serial #Subhash Ghai films #Subhash Ghai company Mukta Arts #filmmaker Subhash Ghai #about SUBHASH GHAI #Subhash Ghai news #CELEBRATE 45 YEARS OF ICONIC FILM KARZ WITH SUBHASH GHAI #subhash ghai story #Celebrate 45 Years of Iconic Film Karz
Advertisment
Latest Stories