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Sanskar Bharti: कला जगत की दो दिग्गज हस्तियां. दोनों को बचपन से मिले भारतीय संस्कार. दोनों की नसों में बहती है राष्ट्रभक्ति की धारा. एक ने अपनी प्रतिभा से क्लासिक फिल्में बनाकर चलचित्र जगत को समृद्ध किया, तो दूसरे ने कैनवास पर चित्रकला के इंद्रधनुषी रंगों की छटा बिखेर कर कलाप्रेमियों को चमत्कृत किया. ये हैं प्रसिद्ध फिल्मकार राजदत्त और प्रख्यात चित्रकार वासुदेव कामत. भारतीय कला एवं संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने के अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए इन दोनों ने जिस लगन, समर्पण एवं सतत परिश्रम का परिचय दिया है, वह अपने आप में एक मिसाल और भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है. इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए भारत सरकार ने राजदत्त को पद्मभूषण से जबकि वासुदेव कामत को पद्मश्री से अलंकृत किया. कला, साहित्य एवं संस्कृति की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष के रूप में भी अपने उल्लेखनीय योगदान से दोनों ने अपनी एक अलग छाप छोड़ी. उनके इस योगदान को याद करते हुए संस्कार भारती कोंकण प्रांत ने इन दोनों ऋषितुल्य कला साधकों की सृजन यात्रा के सम्मान में भव्य समारोह 'अभ्यासोनी प्रकटावे' का आयोजन किया. रवींद्र नाट्य मंदिर, प्रभादेवी के सभागार में आयोजित यह रंगारंग समारोह किसी उत्सव से कम नहीं था. इन गौरव मूर्तियों को सम्मानित करने के लिए जानी-मानी पार्श्वगायिका उषा मंगेशकर तथा महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार विशेष रूप से मौजूद थे.
राजदत्त की अधिकतर फिल्में राष्ट्रवाद तथा सामाजिक विषयों पर केंद्रित रहीं और दर्शकों के दिलों को छुआ. संत गाडगे बाबा के जीवन पर आधारित उनकी फिल्म 'देवकीनंदन गोपाला' ने राजदत्त को न केवल अनेक पुरस्कार दिलाए बल्कि अनेक अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भी मराठी सिनेमा को अलग पहचान दिलाई. उनकी उम्र 93 वर्ष की है लेकिन सिनेमा के प्रति लगाव और सिनेमा के माध्यम से सामाजिक बदलाव लाने की ऊर्जा किसी युवा से कम नहीं. पांच दशक की सृजन यात्रा में उन्होंने 28 मराठी और दो हिंदी फिल्में बनाईं जिनमें से चौदह फिल्मों के लिए उन्होंने महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार तथा फिल्मफेयर पुरस्कार जीते जबकि तीन फिल्मों 'शापित', 'पुढचा पाऊल' तथा 'सर्जा' ने राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल किए. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तथा संस्कार भारती के वर्तमान अखिल भारतीय अध्यक्ष मैसूर मंजूनाथ ने अपने वीडियो संदेश में पद्मभूषण राजदत्त और पद्मश्री वासुदेव कामत के ऋषितुल्य व्यक्तित्व को नए कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया. रामायण, महाभारत, मेघदूत, कालिदास, छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे पौराणिक एवं ऐतिहासिक विषयों को कैनवास पर उतारने वाले वासुदेव कामत की खूबसूरत चित्रकारी, विशेषकर लैंडस्केप और व्यक्तिपरक चित्र देश-विदेश में चर्चित रहे हैं. पोर्ट्रेट सोसायटी ऑफ अमेरिका के ड्रेपरग्रैंड पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं. महत्वाकांक्षी चित्रकारों का मार्गदर्शन करने में वह हमेशा आगे रहे हैं. अभिजीत दादा गोखले, सुनील बर्वे, मुकुंद मराठे, गणेश वाणी ने पुष्पगुच्छ से सत्कार किया जबकि अंत में विद्याधर निमकर (चतुरंग प्रतिष्ठान) ने सत्कार मूर्तियों से बातचीत की और उनकी कला यात्रा के अनुभव तथा सुझाव आमजन तक पहुंचाए.
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