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संगीत अलबम ‘बीट्स और विंड्स’ के लिए प्रतिष्ठित सीएमए क्लेफ म्यूजिक अवॉर्ड से ऋषिकेश मजूमदार और शिखर नाद कुरैशी हुए सम्मानित भारतीय संगीत जगत में महज पांच वर्षों में ‘‘क्लेफ म्यूजिक अवॉर्ड्स’’ बहुत बड़ा सम्मान बन गया है। यह मंच भारत भर से संगीतकारों, गीतकारों, संगीतकारों, बैंड और रिकॉर्ड लेबल सहित विविध प्रतिभाओं को एक साथ लाता है। 50 से अधिक श्रेणियों के साथ, क्लेफ म्यूजिक अवॉर्ड्स भारतीय संगीत उद्योग में एक स्वतंत्र, विश्वसनीय और प्रतिष्ठित पुरस्कार समारोह के रूप में अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। क्लेफ अवॉर्ड्स के लिए इस बार 1 मई 2024 से 30 जून 2025 तक की अवधि के दौरान संगीत कलाकारों की उत्कृष्ट उपलब्धियों को सम्मानित किया गया। और इस बार संगीत जगत की तीसरी पीढ़ी के दो युवा संगीतज्ञों ऋषिकेश मजूमदार और शिखर नाद कुरैशी को उनके अलबम ‘‘बीट्स और विंड्स’ के लिए पुरस्कृत किया गया। जी हाँ! ‘‘बीट्स और विंड्स’ अलबम के साथ संगीत विरासत की तीसरी पीढ़ी एक साथ आई है। (Shikhar Naad Qureshi tabla virtuoso)
बांसुरी और तबला के युवा सितारे: ऋषिकेश मजूमदार और शिखर नाद कुरैशी की CMA क्लेफ अवार्ड जीत
बांसुरी के जादूगर पद्मश्री रोनू मजूमदार के बेटे ऋषिकेश मजूमदार और प्रसिद्ध तालवादक तौफीक कुरैशी के बेटे शिखर नाद कुरैशी एक साथ आए हैं। ‘बीट्स और विंड्स’ अलबम के लिए शिखर नाद कुरैशी और ऋषिकेश मजूमदार द्वारा प्रतिष्ठित ‘सीएमए क्लेफ’ अवॉर्ड जीतने पर पद्मश्री रोनू मजूमदार ने कहा-‘‘मुझे दोनों संगीतकारों के एक साथ आने, बीट्स और विंड्स बनाने और ‘क्लेफ म्यूजिक अवॉर्ड’ जीतने पर बहुत गर्व है। शिखर नाद कुरैशी और ऋषिकेश मजूमदार, उस्ताद अल्ला रक्खा और मेरे पिता डॉ. भानु मजूमदार की महान विरासत की तीसरी पीढ़ी हैं। मुझे यकीन है कि वह आने वाले भविष्य में कई बेहतरीन प्रोजेक्ट्स बनाएंगे और हमें गौरवान्वित करेंगे।’’ विलक्षण प्रतिभा के धनी और बांसुरी वादक ऋषिकेश मजूमदार को संगीत विरासत में मिला है। उनके पिता पंडित रोनू मजूमदार इंटरनेशनल ख्याति प्राप्त बांसुरी वादक व संगीतकार तथा उनके बड़े ताउ पंडित दुर्गाप्रसाद मजुमदार तबला वादक व संगीतकार हैं। ऋषिकेश मजूमदार ने तीन साल की उम्र में स्टेज पर तबला की आवाज निकाली थी। जबकि छह साल की उम्र से बांसुरी वादन करते आ रहे हैं और तेरह साल की उम्र में पहला पुरस्कार अर्जित किया था। (Rishikesh Majumdar flute virtuoso)
शास्त्रीय संगीत से परे, ऋषिकेश मजूमदार ने समकालीन संगीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसमें ‘सेवन कलर्स ऑफ़ लाइफ़’ जैसी अन्य परियोजनाओं के लिए रचना करना शामिल है। उन्होंने ‘फ़्लूट ट्रांस’ की अभिनव अवधारणा की शुरुआत की, जो ट्रान्स के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक संयोजन है, जिसे व्यापक प्रशंसा मिली। नियमित रूप से एकल संगीत कार्यक्रम और सहयोग करते हुए, ऋषिकेश भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित समारोहों में शोभा बढ़ा चुके हैं। ऋषिकेश को उस्ताद तौफीक कुरैशी, विदुषी बॉम्बे जयश्री, विद्वान राजेश वैद्य, विदुषी अनुराधा पाल, विदुषी अरुणा साईराम और विजय प्रकाश जी जैसे प्रख्यात संगीतकारों के साथ लाइव शो करने का सौभाग्य मिला है। ऋषिकेश अपनी असाधारण प्रतिभा से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने के साथ ही शास्त्रीय और समकालीन संगीत में भी योगदान दे रहे हैं। शिखर नाद कुरैशी के साथ काम करने और पुरस्कार जीतने से उत्साहित ऋषिकेश मजूमदार कहते हैं- (Shikhar Naad Qureshi tabla maestro)
CMA क्लेफ म्यूजिक अवार्ड जीत और संगीत विरासत: ऋषिकेश मजूमदार और शिखर नाद कुरैशी का अनुभव
‘‘शिखर नाद कुरैशी के साथ ‘बीट्स और विंड्स’ पर काम करना एक बेहद समृद्ध अनुभव रहा है। वह लय के एक गहन परिवार से आते हैं, और जिस तरह से वह तालवाद्यों को अपनाते हैं वह पारंपरिक और अभिनव दोनों है। हमारा सहयोग बहुत ही सहज था, बांसुरी और तालवाद्यों में एक स्वाभाविक संवाद था, लगभग ताल और धड़कन के बीच बातचीत जैसा। यह संगीत रचना कम और साथ मिलकर संगीत की खोज ज्यादा लग रहा था।’’ विरासत को आगे बढ़ाने की चर्चा करते हुए ऋषिकेश मजूमदार ने कहा-‘‘मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे परिवार से आता हूँ जहाँ संगीत सिर्फ़ प्रदर्शन नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। लेकिन दबाव के बजाय, मैं इसे एक आशीर्वाद और ज़िम्मेदारी के रूप में देखता हूँ कि जो विरासत में मिला है उसका सम्मान किया जाए और साथ ही उसे आज की पीढ़ी के लिए आकार दिया जाए। मेरे लिए, फ्यूज़न परंपरा और आधुनिकता के बीच एक सेतु है, और यह परियोजना बिल्कुल उसी भावना को दर्शाती है। (CMA Clef Music Award winners)
‘बीट्स और विंड्स’ के साथ, शिखर और मैं यह दिखाना चाहते थे कि कैसे दो अलग-अलग लेकिन पूरक आवाज़ें विरासत से जुड़े रहते हुए भी कुछ नया रच सकती हैं। यह पुरस्कार सिर्फ़ हमारे लिए नहीं, बल्कि इस विचार के लिए है कि परंपराएँ विकसित हो सकती हैं और फिर भी शाश्वत बनी रह सकती हैं।’’ प्रसिद्ध तालवादक तौफीक कुरैशी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं-‘‘मुझे अपने बेटे शिखर नाद कुरैशी और ऋषिकेश मजूमदार दोनों पर गर्व है, जिन्होंने इस एल्बम के लिए हाथ मिलाया और यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता। (Beats and Winds album collaboration)
शिखर मेरा बेटा है और ऋषिकेश भी मेरे बेटे जैसा है। दोनों लड़कों ने हमें गौरवान्वित किया है और मुझे यकीन है कि वे भविष्य में भी ऐसी ही शानदार रचनाएँ पेश करेंगे।’’ शिखर नाद तालवाद्य गुरु और संगीतकार तौफीक कुरैशी के पुत्र और शिष्य हैं। वह तबला के दिग्गज उस्ताद अल्ला रक्खा के पोते और ताल प्रतिभा उस्ताद जाकिर हुसैन के भतीजे हैं। वह एक ड्रमर, तालवादक और संगीत निर्माता हैं, जो तबला के प्रदर्शनों की सूची को अफ्रीकी ड्रम जेम्बे में रूपांतरित करने की अपने पिता की अवधारणा को आगे बढ़ा रहे हैं। शिखर को भारतीय संगीत के उस्तादों जैसे कि विद्वान विक्कु विनायकराम जी और उस्ताद जाकिर हुसैन के साथ मंच पर प्रस्तुति देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होंने लुइस बैंक्स, रंजीत बारोट, शंकर महादेवन जैसे अन्य उस्तादों के साथ भी प्रस्तुति दी है। (Rishikesh Majumdar early musical achievements)
वह नियमित रूप से नीलाद्रि कुमार, पुरबायन चटर्जी, कौशिकी चक्रवर्ती, विजय प्रकाश, रवि चारी, गायत्री अशोकन जैसे प्रमुख भारतीय संगीतकारों के साथ संगीत और ताल निर्माता के रूप में काम करते हैं और जॉर्ज ब्रूक्स, मैकॉय मृबता, टॉस्र्टन डी विंकेल जैसे कई विज्ञापन जिंगल्स, गैर-फिल्मी एल्बमों और परियोजनाओं पर संगीत निर्माता के रूप में और कई बॉलीवुड फिल्मों के साउंडट्रैक पर सत्र कलाकार के रूप में काम करते हैं। अपनी संगीत विरासत और ऋषिकेश के साथ सहयोग के बारे में शिखर नाद कुरैशी कहते हैं-‘‘एक संगीतज्ञ परिवार में जन्म लेना मेरे लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद रहा है। मैं खुद को संगीत का एक छात्र मानता हूँ और जो भी ज्ञान मुझे मिला है, उसका सर्वोत्तम उपयोग करना अपना कर्तव्य समझता हूँ। ऋषिकेश मजूमदार मेरे लिए भाई जैसे हैं। वह उन शानदार समकालीन संगीतकारों में से एक हैं जिनके साथ मुझे काम करने का मौका मिला। यह हमारे सफ़र की शुरुआत है। हम दोनों को अभी लंबा सफ़र तय करना है और उम्मीद है कि भविष्य में हम एक-दूसरे के साथ और भी ज्यादा काम करेंगे। इस शानदार सहयोग के लिए मुझे चुनने के लिए मैं ऋषिकेश का शुक्रगुजार हूँ।’’ शांतिस्वरूप त्रिपाठी