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तलत महमूद उत्तम दर्जे के गायक और अभिनेता का जन्म 24 फरवरी को लखनऊ में हुआ था और 9 मई 1998 में दुनिया को अलविदा कह दिया था. तलत ने Marris Music College, अब भातखंडे कॉलेज, लखनऊ में पं. भट के तहत शास्त्रीय संगीत सीखा था. तलत ने आकाशवाणी पर 16 की उम्र में गाना शुरू किया, रोमांस के दर्द को तलत-द मैन विद सिल्कन वॉयस से बेहतर कोई नहीं पकड़ सकता था.
तलत महमूद ने लोगों के दिलों पर छोड़ी अमिट छाप
मानव ह्रदय की रूमानी लालसा को यदि श्रव्य रूप दिया जा सके, तो यह महसूस करने के लिए तलत की आवाज़ होगी कि कैसे तलत की आवाज़ दर्द और चीड़ शेली की पंक्तियों के लिए खिड़की को फुसफुसा रही है - 'प्लेजर दैट्स इन गम इज स्वीटर देन प्लेजर ऑफ खुशी ही' तलत के गायन का उपयुक्त सारांश है.'
'हैं सबसे मधुर वो गीत जिनहें हम दर्द के सुर में गाते हैं' में तलत की दबी हुई आवाज जीवंत हो उठी है और इसमें एक दुखी लड़की को सांत्वना देने वाले प्रेमी को दर्शाया गया है. 'जाएं तो जाएं कहां', 'तस्वीर बनता हूं', 'शाम ए गम की कसम', 'मेरी याद में तुम', 'फिर वही शाम वही गम', 'ऐ मेरे दिल कहीं और चल', 'जिंदगी देने वाले सुन' जैसे रत्न उस समय के गीत हैं जब मेलोडी किंग था, तलत अमर है और रहेगे.
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