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The Bengal Files trailer launch विवेक अग्निहोत्री ने कहा, "बॉलीवुड ने लोगों के मन में विभाजन को लेकर आधा सच गढ़ने में योगदान दिया है।

विवेक रंजन अग्निहोत्री जिन्हें आँखे खोलने वाली फिल्मों 'द कश्मीर फाइल्स' और 'द ताशकंद फाइल्स' के लिए जाना जाता है, अपनी "फाइल्स ट्रिलॉजी" की अंतिम किस्त, "द बंगाल फाइल्स" के लिए तैयार हैं।

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विवेक रंजन अग्निहोत्री जिन्हें आँखे खोलने वाली फिल्मों 'द कश्मीर फाइल्स' और 'द ताशकंद फाइल्स' के लिए जाना जाता है, अपनी "फाइल्स ट्रिलॉजी" की अंतिम किस्त, "द बंगाल फाइल्स" के लिए तैयार हैं। लेकिन अब यह फ़िल्म रिलीज़ से पहले ही चर्चा और घोर विवाद पैदा कर रही। दरअसल इसमें  भारत के विभाजन के एक दफ्न किए गए निर्मम अध्याय पर प्रकाश डालने का लक्ष्य रखा गया है।(The Bengal Files trailer)

विवेक अग्निहोत्री का बयान: बॉलीवुड ने गढ़ा विभाजन का आधा सच, असली कुरुक्षेत्र था बंगाल

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गौतम ठक्कर फिल्म्स द्वारा निर्मित "द राइट एंगल विद सोनल कालरा" के दूसरे सीज़न में बोलते हुए विवेक अग्निहोत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे बॉलीवुड इंडस्ट्री ने पंजाब के नज़रिए से विभाजन के बारे में लोगों की धारणा को एक आकार दिया है। उन्होंने कहा, "जब मैं लोगों से पूछता हूँ कि उनके मन में विभाजन को लेकर पहली छवि क्या है? तो हर कोई ट्रेनों में आती लाशों और पंजाब में हो रही इन सब घटनाओं के बारे में कहते है। बॉलीवुड ने लोगों के मन में एक आधा सच गढ़ने में योगदान दिया है। लेकिन वास्तव में पूरा खेल यानी कुरुक्षेत्र, बंगाल में खेला गया है। बंगाल तीन बार विभाजित हो चुका है।(Partition literature festival) पहला 1905 में, हिंदू बंगाली और मुस्लिम बंगाली में, फिर 1947 में पूर्वी बंगाल और पश्चिम बंगाल के बीच, और फिर 1971 में जब इसे सांस्कृतिक रूप से नष्ट कर दिया गया था।"(Partition victims stories)

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द बंगाल फाइल्स के द्वारा अग्निहोत्री कहते हैं कि उनका इरादा एक ऐसी सच्चाई कहने का है जो बंगाल के विभाजन के अनदेखे और दर्दनाक इतिहास को उजागर कर दे ।(Barisal archival photos) विवेक अग्निहोत्री की फिल्म "द बंगाल फाइल्स" की रिलीज़ के करीब आते ही फिल्म निर्माताओं, राजनेताओं और शिक्षाविदों, सभी ने इस पर अपनी अपनी राय व्यक्त करना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर उत्सुकता का माहौल है। भारत और बांग्लादेश दोनों में कई बंगालियों ने अपने परिवार की कहानियाँ ऑनलाइन साझा करना शुरू कर दिया है। कुछ लोग दूसरों से जुड़ने के लिए 'बंगालपार्टिशनट्रुथ' हैशटैग का इस्तेमाल कर रहे हैं। कोलकाता के एक सेवानिवृत्त शिक्षक ने लिखा, "दशकों से हमने अपने दर्द को खामोशी की परतों में छिपाया है। अब इतने दशकों के बाद शायद विभाजन की कहानी का हमारा पक्ष सामने आएगा।"(The Bengal Files release news)

विभाजन पीड़ितों ने फिल्म निर्माता का किया स्वागत, ढाका विश्वविद्यालय में फिल्म पर होगा सेमिनार

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हाल ही में सिलीगुड़ी में विभाजन पीड़ितों के एक संघ ने एक बयान जारी किया, "हम आभारी हैं कि एक निडर फिल्म निर्माता आखिरकार यह दिखाने के लिए तैयार है कि हम और हमारे माता-पिता ने क्या-क्या सहा। हमें उम्मीद है कि यह फिल्म शांति ले कर आएगी  गुस्सा नहीं।" इस बीच ढाका के एक विश्वविद्यालय के छात्रों ने फिल्म की रिलीज़ के बाद इसके विषयों पर चर्चा के लिए एक सेमिनार की भी घोषणा की है। एक छात्र आयोजक ने कहा, "यह फ़िल्म हमें अपने इतिहास को नई नज़र से देखने का मौका दे रही है। हम चाहे कोई भी भाषा बोलते हों या सीमा के किसी भी पार मे रहते हों हमें समझना होगा कि समग्र रूप से बंगाल के साथ क्या हुआ।"(Bollywood partition films)

खबरों के मुताबिक एक टेलीविज़न चर्चा में पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने कहा, "हमें अपने इतिहास का सामना करना होगा वर्ना यह सच्चाई बचे हुए लोगों के साथ ही खो जाएँगे। मैं ऐसे किसी भी काम का स्वागत करता हूँ जो ज़्यादा से ज़्यादा सच्चाई सामने लाए बशर्ते वह सावधानी और सच्चे प्रमाणों के साथ किया जाए।" कई इतिहासकारों ने भी इस फ़िल्म को कॉलेजों में शिक्षण उप-करण के रूप में इस्तेमाल करने की माँग की है ताकि यह इशू छात्र बहस में शामिल हो सकें और बंगाल के अतीत की जटिलता को समझ सकें।(The Bengal Files controversy)

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‘द बंगाल फ़ाइल्स’ पर बंगाली निर्देशकों की प्रतिक्रिया: अपर्णा सेन ने कहा- फिल्म देती है आत्मचिंतन की चुनौती, कौशिक गांगुली ने की संतुलन की अपील

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द बंगाल फ़ाइल्स ने स्थानीय फ़िल्म निर्माताओं के बीच भी चर्चा को जन्म दिया है। प्रसिद्ध बंगाली निर्देशक अपर्णा सेन ने कहा, "इस तरह की फ़िल्में हमें अपनी संस्कृति अपनी राजनीति और अपने ज़ख्मों पर फिर से गौर करने की चुनौती देती हैं। अगर हम अपनी कहानी में विनम्रता और ईमानदारी बरतें तो हम परिवारों को इस मुश्किल घड़ी में मदद कर सकते हैं।" साथ ही कुछ लोगों ने संतुलन और सावधानी बरतने की भी अपील की है। फिल्म निर्माता कौशिक गांगुली कहते हैं, "विभाजन की कहानियाँ हर जगह दुखद हैं। हमें किसी भी तरह के दोषारोपण से बचना चाहिए। इसके बजाय हमें दर्द बाँटने और समझदारी बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।"

‘द बंगाल फ़ाइल्स’ का ट्रेलर साहित्य महोत्सव में होगा लॉन्च, फिल्म में शामिल हो सकते हैं दुर्लभ अभिलेखीय दस्तावेज़

मुंबई से मिली खबरों के अनुसार फिल्म का ट्रेलर विभाजन साहित्य को समर्पित एक साहित्य महोत्सव में लॉन्च किया जाएगा जहाँ लेखकों और पीड़ितों को अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। अफवाह यह भी है कि हाल ही में बारीसाल के एक घर में मिले कुछ दुर्लभ अभिलेखीय दस्तावेज़ और तस्वीरें जनता के लिए अज्ञात नई जानकारियाँ पेश करने के लिए फिल्म में दिखाई जाएँगी। सच है या झूठ यह फ़िल्म के रिलीज़ पर पता लगेगा।

हर हफ़्ते नए लेखों के साथ जनता और आलोचकों की अपेक्षाओं पर नज़र रखते हुए यह स्पष्ट है कि 'द बंगाल फाइल्स' बंगाल में विभाजन पर बातचीत को व्यापक बना रही है। नवीनतम समाचार रिपोर्ट में साक्षात्कार किए गए एक 90 वर्षीय पीड़ित के शब्दों में "इतने लंबे समय तक हमारी कहानियाँ हमारे साथ ही दबी रहीं। शायद अब लोग जानेंगे कि हम क्या थे और हमने क्या खोया।"(Barisal archival photos)

FAQ

प्रश्न 1: ‘द बंगाल फ़ाइल्स’ का ट्रेलर कहाँ लॉन्च किया जाएगा?(Where will the trailer of 'The Bengal Files' be launched?)
उत्तर: ट्रेलर का लॉन्च एक साहित्य महोत्सव में किया जाएगा, जो विभाजन साहित्य को समर्पित होगा।

प्रश्न 2: इस साहित्य महोत्सव में कौन शामिल होंगे?(Who will participate in this literary festival?)
उत्तर: इसमें विभाजन से जुड़े लेखक और पीड़ित आमंत्रित होंगे, जो अपने विचार और अनुभव साझा करेंगे।

प्रश्न 3: फिल्म में क्या खास दिखाया जा सकता है?(What special can be shown in the film?)
उत्तर: अफवाह है कि फिल्म में बारीसाल के एक घर से मिले दुर्लभ अभिलेखीय दस्तावेज़ और तस्वीरें शामिल की जाएँगी, जो पहले कभी जनता के सामने नहीं आईं।

प्रश्न 4: क्या यह जानकारी पुष्ट है?(Is this information confirmed?)
उत्तर: यह अभी केवल अनुमान है। असली जानकारी फिल्म के रिलीज़ के समय ही सामने आएगी।

प्रश्न 5: ‘द बंगाल फ़ाइल्स’ किस विषय पर आधारित है?(On what subject is ‘The Bengal Files’ based?)
उत्तर: यह फिल्म बंगाल विभाजन की ऐतिहासिक सच्चाइयों और पीड़ितों की अनकही कहानियों पर आधारित है।

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