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Aandhi 1975 Film: आंधी (1975) भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक उल्लेखनीय और अद्वितीय फिल्म के रूप में दर्ज है, जिसका निर्देशन गुलजार ने किया था. इस फ़िल्म में संजीव कुमार और सुचित्रा सेन ने मुख्य भूमिका निभाई थी. यह राजनीतिक ड्रामा, 1975 के भारतीय राजनीति की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जो रिश्तों की पेचीदगियाँ और समाजिक अपेक्षाओं की गहरी संतुलन को उजागर करता है. इस फ़िल्म में आरती (सुचित्रा सेन) एक करियर-उन्मुख महिला के रूप में दिखाई देती हैं, जो उस राजनीतिक क्षेत्र में काम कर रही हैं जहां मुख्य रूप से पुरुषों का दबदबा है. आरती अपने महत्वाकांक्षी राजनेता पिता के नक्शेकदम पर आगे बढ़ती हैं, लेकिन अपने दाम्पत्य जीवन के प्रति अपनी भूमिका को लेकर संघर्ष करती रहती हैं. अंत में, उन्हें यह तय करना होता है कि वे अपने दाम्पत्य जीवन को प्राथमिकता दें या दांपत्य जीवन त्याग करें. वो दाम्पत्य जीवन का त्याग करती है. नौ साल बाद एक सफल राजनेता के रूप में आरती की अचानक अपने पति जे.के (संजीव कुमार) से मुलाकात हो जाती हैं, तो वे दोनों अपने पुरानी रिश्ते को फिर से एक नयी नजर से देखने लगते हैं. यह वो जोड़ी है जिसने कभी समाज के विरुध्द जाकर प्रेम विवाह किया था लेकिन अपने जीवन की प्राथमिकताओं को सहेजने के चलते एक दूसरे से अलग हो गए थे. फिल्म में यह कहानी है कि किस तरह उनकी यह आकस्मिक मुलाकात उनके मन में फिर से एक आंधी का सैलाब ले आते हैं और किस तरह वे एक-दूसरे के प्रति मन में अब भी अपनी छिपी हुई भावनाओं को महसूस करते हैं.
Aandhi 1975 Full Movie:
1975 में जब इस फ़िल्म को लेकर चर्चा और बहस जोरों पर थी तो यह माना जा रहा था कि 'आंधी' फिल्म, तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और उनके पति के बीच के रिश्ते पर आधारित है. हालांकि, तब गुलजार साहब ने स्पष्ट किया था कि फिल्म का इंदिरा गांधी के जीवन से केवल रूप रेखा तक ही सतही मेल था, और उन्होंने अपने चरित्र के रूप में इंदिरा गांधी और बिहार की सांसद तर्केश्वरी सिन्हा से प्रेरणा ली थी.
फ़िल्म 'आंधी' की शुरुआत निर्माता जे.ओम प्रकाश के विचार से हुई थी, जिन्होंने संजीव कुमार और सुचित्रा सेन को लेकर एक फिल्म बनाना चाहा था और इसलिए वे एक थ्रिलर फ़िल्म की कहानी की पेशकश के लिए गुलजार से मिले लेकिन गुलजार ने महसूस किया कि कोलकाता से इस महा नायिका को मुंबई बुलाने के लिए यह थ्रिलर ठीक नहीं है, यह सुचित्रा सेन के अभिनय के अनुरूप नहीं थी और वो थ्रिलर के लिए हरगिज़ नहीं आएगी. गुलजार ने तब अपनी एक नई कहानी सुझाई, जिसमें दो पात्रों के टूटे हुए रिश्ते को राजनीतिक पृष्ठभूमि में दिखाने का विचार था, जो उस समय एक नवीन और प्रभावशाली विषय था.
गुलजार और प्रसिद्ध हिंदी लेखक कमलेश्वर ने मिलकर इस फिल्म की पटकथा तैयार किया. बाद में कमलेश्वर ने 'काली आंधी' नामक उपन्यास भी लिखा, जो इसी प्रेरणा पर आधारित थी, हालांकि उसमें बहुत कुछ भिन्नताएँ थीं. माना जाता है कि गुलजार साहब चाहते थे कि वह भारतीय राजनेता पर कोई फिल्म बनाएं, जो आधुनिक भारतीय राजनीति को दर्शाता हो, इसलिए उन्होंने अपने चरित्र को इंदिरा गांधी और तर्केश्वरी सिन्हा से प्रेरित किया था.
'आंधी' में कास्टिंग एक दिलचस्प प्रक्रिया थी. संजीव कुमार, जो गुलजार के साथ पहले 'कोशिश' (1973) में भी काम कर चुके थे, को आरती देवी के टूटे हुए पति के रूप में चुना गया था. कुछ अफवाहें यह भी उड़ी थी कि पहले इस फिल्म में मुख्य भूमिका के लिए वैजयंतिमाला को प्रस्तावित किया गया था, लेकिन उन्होंने इसलिए इस फ़िल्म को करने से मना कर दिया क्योंकि फ़िल्म की नायिका की पोशाक और लुक इंदिरा गांधी से मिलती जुलती थी. हालांकि यह सरासर गलत लॉजिक लगता है क्योंकि यह फ़िल्म सुचित्रा सेन के लिए ही लिखी गई थी.
यह फिल्म जम्मू और कश्मीर के विभिन्न स्थानों पर शूट की गई थी. 'तुम आ गए हो' गीत को श्रीनगर के परी महल गार्डन में शूट किया गया था, जबकि 'तेरे बिना जिंदगी से' गीत को अनंतनाग के मर्टंड सूर्य मंदिर के खंडहरों में फिल्माया गया था. फिल्म के कई सुंदर हिस्से पहलगांव के सुंदर स्थानों पर शूट किया गया था. इस फिल्म की कहानी में फ्लैशबैक तकनीक का उपयोग खूब किया गया, जो गुलजार की फिल्मों में एक विशेष शैली थी जो उनकी बुद्धिजीवी होने का प्रमाण था.
आंधी' का संगीत आर.डी.बर्मन ने तैयार किया और इसके बोल गुलजार ने लिखे थे. इसका संगीत फिल्म का एक प्रमुख आकर्षण था. गीतों में लता मंगेशकर और किशोर कुमार ने अपनी आवाज़ दी, जो फिल्म की भावनाओं और घटनाओं के साथ पूरी तरह से मेल खाती हैं. "तेरे बिना जिंदगी से" एक ऐसा गीत है जो आज भी दिल में एक हूक पैदा करती.
फिल्म 'आंधी' को रिलीज़ के समय एक राजनीतिक विवाद का सामना करना पड़ा था . फिल्म को 1975 के राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान प्रतिबंधित कर दिया गया था. फ़िल्म पर यह आरोप लगाया गया कि फिल्म ने चुनाव आयोग के आचार संहिता का उल्लंघन किया था और कांग्रेस पार्टी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाया था. लेकिन इस प्रतिबंध का फ़िल्म के प्रचार में उल्टा असर पड़ा और इस प्रतिबंध के कारण फिल्म देशभर में चर्चा का विषय बन गई. इससे पहले कि मामला और तूल पकड़ता, श्रीमति गांधी की 1977 के चुनावों में हार के बाद, जनता पार्टी ने फिल्म को हरी झंडी दी और इसे राज्य द्वारा संचालित टेलीविजन पर प्रीमियर किया गया.
विवाद के बावजूद, 'आंधी' को आलोचकों और दर्शकों से खूब सराहना मिली. सुचित्रा सेन ने आरती देवी के रूप में अपनी शानदार भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का नामांकन प्राप्त हुआ. वहीं संजीव कुमार को फिल्मफेयर अवार्ड में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रूप में सम्मानित किया गया. फिल्म ने फिल्मफेयर अवार्ड में सर्वश्रेष्ठ फिल्म (समालोचक) का पुरस्कार भी जीता. 'आंधी' फिल्म दोनों ही कलाकारों के करियर में एक मील का पत्थर साबित हुई.
हालांकि सुचित्रा सेन ने इस फ़िल्म के साथ बॉलीवुड में अपनी पहली फ़िल्म 'देवदास' से लगभग पच्चीस साल बाद दोबारा कदम रखा था लेकिन यही उनकी अंतिम हिंदी फिल्म भी साबित हुई. उन्होंने इस फ़िल्म के बाद फिल्मों से संन्यास ले लिया था. जबकि इस फ़िल्म के पश्चात, संजीव कुमार ने गुलजार के साथ आगे चलकर 'मौसम' (1975), 'अंगूर' (1981), और 'नमकीन' (1982) जैसी फिल्मों में भी काम किया.
इस फ़िल्म में महानायिका सुचित्रा सेन और संजीव कुमार के अलावा ओम शिवपुरी (चंद्रसेन), मनमोहन (एस.के. अग्रवाल), ए.के. हंगल (बृंदा काका), कमलदीप (चौधरी), सी.एस. दुबे ( गुरुसरण), ओम प्रकाश (लालू लाल), मास्टर बिट्टू (आरती की बेटी मनु) भी ने भी अभिनय किया.
आंधी फ़िल्म महिलाओं के राजनीतिक और करियर में आने वाली चुनौतियों पर रोशनी डालती है कि कैसे अक्सर महिलाएँ अपने करियर के लिए बहुत कुछ छोड़ देती हैं, विशेषकर जब उनके पतियों का समर्थन उपलब्ध नहीं होता. इस प्रकार, 'आंधी' एक ऐसी फ़िल्म है जो महिला सशक्तिकरण, राजनीति और व्यक्तिगत संघर्षों की गहरी कहानी पेश करती है.
फ़िल्म भारतीय लोकतंत्र में राजनीतिक अवसरवाद को भी दर्शाती है. इसमें एक गाना है "सलाम किजिये आली जनाब, आएं हैं, ये पांच सालों के देने हिसाब आएँ हैं," जो दिखाता है कि नेता चुनावों के समय ही जनता के पास आते हैं.
Aandhi 1975 Songs:
1975 में प्रदर्शित हिंदी फ़िल्म 'आंधी' भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. इस फ़िल्म ने न केवल अपने कथानक और संवादों के लिए, बल्कि इसके द्वारा चित्रित सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों के लिए भी दर्शकों का ध्यान खींचा. 'आंधी' एक ऐसी फ़िल्म है जो आम आदमी की जिंदगियों में राजनीति के गहरे प्रभाव और व्यक्तिगत संकटों को दर्शाती है.
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