ना जाने वक्त पंख फैलाकर कैसे उड़ जाता है. अजय देवगन और आमिर खान ने याद किया, उन दिनों को जब नब्बे-दशक के अंतिम चरणों में, दोनों एक्टर, फ़िल्म मेकर इंद्र कुमार की बहुचर्चित और बहुप्रत्याशित फ़िल्म 'इश्क' की शूटिंग कर रहे थे, जो 1997 की एक सुपर हिट फिल्म साबित हुई थी.
आमिर खान, अजय देवगन निर्देशक इंद्र कुमार, काजोल, जूही चावला सब अपनी अपनी जगह आज भी वही स्टार्स है, लेकिन बीच में से सरक गए सत्ताईस साल.
लगता है कल की ही बात है, 1997 में युवा आमिर खान, युवा अजय देवगन, युवा जूही चावला, युवा काजोल और निर्देशक इंद्र कुमार की पूरी टीम कभी नासिक के लोकेशन में, कभी मुंबई, कभी एवीएम स्टूडियो मद्रास में, कभी अन्नपूर्णा स्टूडियो हैदराबाद में शूटिंग के दौरान मस्तियों का पिटारा खोल कर बैठ जाते थे. शूटिंग के साथ-साथ पूरी टीम मिलकर इतनी शैतानियां करते थे कि हँस हँस कर सभी लोटपोट हो जाते थे. कभी जूही और काजोल चुपके से आमिर और अजय के जूतों के फीते आपस में बांध कर दोनों को गिरा देते थे, तो कभी आमिर और अजय, कागज़ के पुड़िये में समुन्द्र किनारे पड़े कचरे भरकर जूही और काजोल को ताजी भुनी मूंगफली कहकर थमा देते थे और पकड़े जाने पर काजोल जूही उन दोनों को दौड़ा देते थे. आह! क्या दिन थे.
आज वो सारे कलाकार, समय के अंतराल में परिपक्व हो चुके हैं और पिछले दिनों वे निर्देशक इंद्र कुमार के युवा हो चुके बेटे, अमन इंद्र कुमार की बतौर हीरो डेब्यू फ़िल्म, 'तेरा यार हूं मैं' के मुहूर्त लॉन्च में अपना आशीर्वाद देने इकट्ठा खड़े हुए.
आमिर खान और अजय देवगन दोनों कलाकार शनिवार शाम को अपने जिगरी दोस्त इंद्र कुमार के फ़िल्म 'तेरा प्यार हूं मैं' के इवेंट में शामिल हुए. निर्माता निर्देशक इंद्र कुमार के बेटे अमन इंद्र कुमार हीरो बन गए हैं, आमिर खान के पुत्र जुनैद भी बॉलीवुड में कदम रख चुके हैं, अजय देवगन के बेटे तुल्य भांजा भी अभिनय जगत में आ चुके हैं. सब कुछ बदल गया लेकिन द शो मस्ट गो ऑन के इस तर्ज पर शो जारी है, जारी रहेगी.
पुरानी यादों में खोए आमिर ने कहा, “मैं जब भी अजय से मिलता हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है. हम वैसे पहले की तरह बार बार नहीं मिलते हैं लेकिन जब भी हम मिलते हैं तो बहुत गर्मजोशी और प्यार के साथ मिलते हैं, मुझे वह लड़का (लड़का?? आमिर की नजर में होगा) बहुत पसंद है.
इस पर अजय देवगन ने भी कहा कि उन्हें परफेक्शनिस्ट आमिर खान के साथ 'इश्क' में काम करने में बहुत अच्छा लगा, जिसका निर्देशन इंद्र कुमार ने किया था और इसमें मुख्य भूमिका में काजोल और जूही चावला भी थीं."
अजय देवगन और आमिर खान ने अपनी 1997 की हिट फ़िल्म 'इश्क' का सीक्वल बनाने की बात छेड़ते हुए कहा, "हमने 'इश्क' के सेट पर बहुत मजा किया, हमें एक और सेट करना चाहिए," देवगन जो अपनी नवीनतम रिलीज "सिंघम अगेन" की धमाकेदार सफलता का आनंद ले रहे हैं ने कहा," हम दोनों फिर इश्क़ के सीक्वल कर सकते हैं. "
यह सुनकर आमिर खान ने कहा, "हां, हमें फिर से ऐसा करना चाहिए." खान ने यह भी बताया कि कैसे "इश्क" की शूटिंग के दौरान एक चिंपैंजी ने उस पर हमला कर दिया था, जिससे अजय ने उसे बचाया था.
आमिर ने कहा, "फिल्म में एक दृश्य के दौरान एक बार एक चिंपैंजी ने मुझ पर हमला किया. आखिर अजय ने मुझे बचाया और बाहर निकाला."
देवगन ने चुटकी लेते हुए कहा, "लेकिन यह सब आमिर की शरारत से ही हुआ था . वह चिंपैंजी पर पानी छिड़क रहा था और फिर 'बचाओ बचाओ' चिल्लाते हुए इधर-उधर भागा."
दोनों सुपरस्टार्स ने अमन को "तेरा यार हूं मैं" के लिए शुभकामनाएं दीं, जिसका निर्देशन मिलाप मिलन जावेरी कर रहे हैं.
इस फिल्म के मुहूर्त लॉन्च में इंद्र कुमार की बहन, यानी बॉलीवुड की सुपर स्टार वेटेरन एक्ट्रेस अरुणा ईरानी के साथ-साथ अभिनेता जावेद जाफरी, आफताब शिवदासानी और फिल्म निर्माता बोनी कपूर, राजकुमार संतोषी और आज की तारीख के निर्देशक मुघल अनीस बज़्मी जैसी हस्तियां भी मौजूद थे.
इंद्र कुमार के पुत्र, नवोदित अभिनेता अमन ने कहा कि वह उनकी पहली फिल्म के मुहूर्त पर आए सभी लोगों के आभारी हैं.
“मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे करियर की शुरुआत, मेरे बचपन से आज तक के दो सबसे महान आदर्श, मेरे सुपरहीरो और इस देश के सुपरस्टार, अजय सर और आमिर सर द्वारा की जाएगी. यह किसी नवागंतुक को अब तक मिला सबसे बड़ा सम्मान है और मैं इसके लिए बहुत आभारी हूं."
अनिल कपूर, रणवीर सिंह, बॉबी देओल, जेनेलिया डिसूजा और रितेश देशमुख सहित कई अभिनेताओं ने भी अपना अपना ऑडियो-विज़ुअल संदेशों के माध्यम से अमन को शुभकामनाएं दीं.
'तेरा यार हूं मैं' में परेश रावल और आकांक्षा शर्मा भी हैं.
1990 का दशक बॉलीवुड के लिए एक जादुई दशक था, यह एक ऐसा समय था जब सिल्वर स्क्रीन पर सितारों का जमावड़ा लगा रहता था, जिनके करिश्मे और प्रतिभा ने पूरे भारत और एन आर आई दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था. 'आमिर खान' , 'अजय देवगन', 'शाहरुख खान, सैफ अली खान, रवीना टंडन, जूही चावला, काजोल, चंकी पांडे, श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ और अक्षय कुमार, ये सिर्फ कोई समान्य एक्टर नहीं थे, वे अभिनय की दुनिया में एक सांस्कृतिक प्रतीक थे जिन्होंने एक युग को परिभाषित किया. उनकी ज्यादातर फ़िल्में सफलता के मानक बन गए थे , जिनमें अक्सर रोमांस, एक्शन, रहस्य, रोमांच, ड्रामा और कॉमेडी का ऐसा मिश्रण होता था जो लाखों लोगों के दिलों पर छा जाता था.
नब्बे का वो दशक सिनेमा की एक नई लहर का दशक था जहां इन सुपर स्टार्स का राज हुआ करता था.
90 के दशक में भारतीय सिनेमा में एक मॉडर्न आउटलुक का आगमन हुआ, जिसे यह सुपरस्टार्स ही लेकर आए. आमिर खान ने फ़िल्म, 'दिल है कि मानता नहीं, रंगीला, राजा हिन्दुस्तानी, सरफरोश, जो जीता वही सिकंदर, अंदाज़ अपना अपना राजा हिंदुस्तानी 'दिल' और 'लगान' जैसी फिल्मों में अपने गहन अभिनय से अपनी बहुमुखी प्रतिभा और अपनी भूमिकाओं के प्रति प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया. रोमांटिक भूमिकाओं से लेकर सामाजिक रूप से प्रासंगिक पात्रों तक, बेहद सहजता से बदलाव करने की उनकी अद्भुत क्षमता ने बॉलीवुड में अभिनय के लिए एक नया मानक स्थापित किया.
शाहरुख खान, जिन्हें बॉलीवुड में "रोमांस का राजा" कहा जाता है, ने अपने चंचल आकर्षण, खिलन्दड़ हरकतों और चुंबकीय स्क्रीन उपस्थिति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. 'दीवाना, बाजीगर, डर, 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' दिल तो पागल है,, चक दे इंडिया, और 'कुछ कुछ होता है' जैसी फिल्में, मनोरंजन की दुनिया में एक सांस्कृतिक कसौटी बन गईं. ये शाहरुख ही है जिन्होंने फैशन, संगीत और यहां तक कि भारतीय सिनेमा में प्यार को चित्रित करने के तरीके, भाव और बांहें फैलाकर प्रेम की अभिव्यक्ति को नया आइकॉन का रूप दिया और दुनिया शाहरुख की दीवानी हो गई.
एक्शन और ड्रामा के डेडली कॉम्बिनेशन तथा मिश्रण से अजय देवगन ने नब्बे के दशक में हंगामा मचा दिया और अपनी पुख्ता जगह बनाई. 'फूल और कांटे' जिगर, सुहाग, दिलवाले, कच्चे धागे, इश्क़, प्यार तो होना ही था, हम दिल दे चुके सनम,, ज़ख़्म, जैसी फिल्मों में उनके अभिनय ने उन्हे एक्शन हीरो से लेकर कॉमेडी रिलीफ तक उनकी रेंज को प्रदर्शित किया. उसी नब्बे के दशक में अक्षय कुमार प्रतिभा के पावरहाउस के रूप में उभरे, उन्होंने खिलाड़ी, एलान, मोहरा, मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, सुहाग, ये दिल्लगी, खिलाड़ियों का खिलाड़ी, दिल तो पागल है, जानवर, जैसी हिट फ़िल्में दीं, जिसमें रोमांचकारी एक्शन दृश्यों के साथ रिब टिकलिंग कॉमेडी और हास्य का मिश्रण था.
उसी दौर, यानी नब्बे के दशक, नए युग की अभिनेत्रियों के लिए भी नया दौर था.
इस युग की महिला सितारे भी उतनी ही जबरदस्त थीं. श्रीदेवी, को कला और प्रकृति की एक मिसाल के रूप में देखी जाती थीं, जो 'चांदनी' लम्हे, खुदा गवाह, जुदाई, और मिस्टर इंडिया 'जैसी क्लासिक फिल्मों में अपनी भूमिकाओं में कुछ इस तरह से छा गई कि कॉमेडी और ड्रामा के बीच स्विच करने की उनकी क्षमता ने उन्हें भारतीय सिनेमा की सबसे पसंदीदा और चोटी की अभिनेत्रियों में से एक बना दिया.
उसी जमाने में 'जूही चावला' भी स्क्रीन पर एक ताज़ा आकर्षण ले कर आई थी. मायापुरी के एक अंक में उनका एक विस्तृत इंटरव्यू मैंने ही लिया था, टाइटल था, 'चहकती महकती जूही चावला'. फ़िल्म स्वर्ग, बेनाम बादशाह, बोल राधा बोल, राजू बन गया जेंटलमैन हम है राही प्यार के, लुटेरे, डर, आईना, अंदाज़, यस बॉस, इश्क, जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से दिल जीतने वाली जूही सचमुच हमेशा चहकती महकती रही . उनकी प्रभावशाली मुस्कान और विश्वसनीय किरदारों ने उन्हें दर्शकों के बीच पसंदीदा बना दिया.
शाहरुख खान के साथ अक्सर जोड़ी बनाने वाली सुपर स्टार अभिनेत्री, 'काजोल' ने फिल्म बाज़ीगार उधार की जिंदगी, करण अर्जुन, हलचल, गुंडाराज, गुप्त, प्यार किया तो डरना क्या, प्यार तो होना ही था, कुछ कुछ होता है, हम आपके दिल में रहते हैं, 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' और 'कभी खुशी कभी गम' जैसी फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से स्क्रीन पर जादू बिखेरा. जटिल और गहरी भावनाओं को व्यक्त करने की उनकी अपूर्व क्षमता दर्शकों को हैरान कर देती थी जिससे वह अपने समय की लीडिंग अभिनेत्रियों में से एक बन गईं और आज भी वो जब कोई भूमिका निभाती है तो वह लीक से हटकर होती है.
माधुरी दीक्षित, जिन्हें अक्सर "धक-धक गर्ल" के नाम से पुकारा जाता है, ने भी नब्बे के दशक में कई सुपर हिट फिल्मों के साथ एक शानदार करियर बनाकर एक्टिंग क्वीन कहलाती थी. उस दौर की उनकी कुछ हिट फिल्मों में दिल, बेटा, साजन, खलनायक, राजा, हम आपके हैं कौन, पुकार, दिल तो पागल है, शामिल हैं. उनके मंत्रमुग्ध कर देने वाले नृत्य प्रदर्शन और बहुमुखी अभिनय कौशल ने उन्हें नब्बे और दो हजार के दशक की सबसे अधिक मांग वाली अभिनेत्रियों में से एक बना दिया.
एवरग्रीन एक्टर अनिल कपूर, जो अपने करिश्मा और जीवंत ऑन-स्क्रीन उपस्थिति के लिए जाने जाते हैं, ने भी नब्बे के दशक में कई सफल फिल्मों के साथ एक शानदार पारी खेली थी और उनका प्रदर्शन मिसाल बन गया था . उस दौर की उनकी कुछ हिट फिल्मों में बेटा, अंदाज़, लाडला, विरासत, जुदाई, दीवाना मस्ताना, घरवाली बाहर वाली, हम आपके दिल में रहते है, ताल शामिल हैं. गंभीर भूमिका और हल्की-फुल्की कॉमेडी के बीच सहजता से बदलाव करने की कपूर की क्षमता ने उन्हे बॉलीवुड में एक लीडिंग अभिनेता के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत किया.
जैकी श्रॉफ ने अपने जबरदस्त आकर्षण और प्रभावशाली अभिनय से नब्बे के दशक में कई यादगार फिल्मों से अपनी एक अलग पहचान बनाई. उस दशक की उनकी कुछ हिट फिल्मों में "खलनायक," "100 डेज़," अग्नि साक्षी, रंगीला, और "बॉर्डर" शामिल हैं. खलनायक भूमिकाओं से लेकर प्यारे नायकों तक, उनकी विभिन्न प्रकार के किरदारों को चित्रित करने की श्रॉफ की क्षमता ने उन्हें दर्शकों का प्रिय बना दिया और उन्हें फ़िल्म इंडस्ट्री में एक बहुमुखी अभिनेता के रूप में स्थापित किया.
उसी दशक में सैफ अली खान एक बहुमुखी अभिनेता के रूप में उभरे जो रोमांटिक लीड और कॉमेडी दोनों भूमिकाएँ निभा सकते थे. ये दिल्लगी, मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, हम साथ साथ है, कच्चे धागे, जैसी फिल्मों में उनके अभिनय ने भारतीय सिनेमा में दोस्ती को फिर से परिभाषित किया, साथ ही हल्की-फुल्की कॉमेडी के लिए उनकी प्रतिभा भी प्रदर्शित की.
और उसी जमाने में आए 'चंकी पांडे' , जिनकी कॉमिक टाइमिंग ने कई फिल्मों में क्लासिक कॉमेडी ला दी थी. खिलाफ, विश्वआत्मा, 'आंखें' लुटेरे, भूत बंगला जैसी फिल्मों में यादगार भूमिकाओं के साथ, वह बॉलीवुड में कॉमेडी का पर्याय बन गए.
ये सारे के सारे स्टार्स ने नब्बे के दशक और दो हजार के दशकों में अपने जलवे बिखेरे, लेकिन वक्त और उम्र के साथ अब ये सारे नायक अपने अपने रोल्स में परिवर्तन करते जा रहे हैं.
उधर बॉलीवुड में भी ढेर सारे परिवर्तनों ने अपना रंग जमाया. विश्व स्तर पर तकनीकी उन्नति, विश्व स्तर के हाई ऑक्टेन एक्शन दृश्यों के चलते अब नए नायक नायिकाओं का बॉलीवुड में अबिर्भाव हुआ और मजे की बात यह है कि ये ज्यादातर नव युवा एक्टर एक्ट्रेस, इन्ही नब्बे के दशक के सुपर स्टार्स के बच्चे हैं. यस. द शो मस्ट गो ऑन. है न?
अब पिछले कुछ सालों से और आने वाले सालों में अभिनेताओं और अभिनेत्रियों की अगली पीढ़ी अपनी पुरानी पीढ़ी से बॉलीवुड की लगाम को टेक ओवर करने के लिए कमर कस चुके हैं. यह स्टार किड्स या तो ऑलरेडी अपने विरासत की तरह बॉलीवुड में चमक रहें हैं या तो चमकने के लिए के लिए तैयार हैं.
जैसे-जैसे हम एक नए युग में कदम रख रहे हैं, इन दिग्गज अभिनेताओं के बच्चे सिल्वर स्क्रीन पर अपनी जगह या तो बनाते जा रहे हैं या बनाने के लिए तैयारी कर रहे हैं.
अब आइए देखें इन नब्बे के दशक के स्टार्स की अगली पीढ़ी में कौन कौन बॉलीवुड में शामिल हैं या होने वाले हैं :
इरा खान (आमिर खान की बेटी) अमन देवगन (अजय देवगन के भांजे) सुहाना खान और आर्यन खान (शाहरुख खान के बच्चे) इब्राहिम अली खान (सैफ अली खान का बेटा) उनकी बहन- सारा अली खान तो ऑलरेडी पिछले दो सालों से बॉलीवुड पर जलवा बिखेर रही है) राशा थडानी टंडन (रवीना टंडन की बेटी), जान्हवी मेहता और अर्जुन मेहता (जूही चावला के बच्चे) फिलहाल फिल्मों से दूर ही रहना चाहते हैं. निसा देवगन (काजोल अजय देवगन की बेटी) आरव कुमार (अक्षय कुमार का बेटा), ये स्टार किड्स भी हाल फ़िलहाल फिल्मों में कदम नहीं रखना चाहते.
आमिर खान के बेटे ज़ुनैद खान अपनी डेब्यू फिल्म 'महाराज' से सुर्खियों में है. शाहरुख की बेटी सुहाना 'द आर्चीज़, द ग्रे पार्ट ऑफ ब्लू' और द किंग (जिसमें वो पापा शाहरुख खान के साथ काम कर रही है) के कारण चर्चित है. शाहरुख के बड़े बेटे आर्यन खान एक वेब सिरीज़ 'स्टारडम' डायरेक्ट कर रहे हैं. वे करन जौहर की एक आने वाली फिल्म में अभिनय भी करने वाले हैं.
अजय देवगन और काजोल के पुत्र युग फिलहाल किसी फ़िल्म में काम नहीं कर रहे हैं लेकिन अजय के भांजे अमन देवगन बतौर हीरो फ़िल्म 'आज़ाद' में एंट्री ले रहें हैं. रवीना टंडन थाडानी की बेटी राशा थाडानी भी अपनी पहली फिल्म 'आज़ाद' में बतौर नायिका अमन देवगन के साथ डेब्यू कर रही है. चंकी पांडे के भतीजे अहान पांडे भी मोहित सूरी की आने वाली फिल्म 'यंग लव स्टोरी' से बॉलीवुड फिल्मों में डेब्यू कर रहे हैं. संजय कपूर की बेटी शनाया कपूर जल्द ही बतौर नायिका पैन इंडिया फ़िल्म 'वृषभा' में आ रही है. श्रीदेवी की छोटी बेटी खुशी कपूर, जल्द ही आमिर खान के बेटे ज़ुनैद खान के ऑपोज़िट में डेब्यू करने वाली है.
जान्हवी कपूर (श्रीदेवी की बड़ी बेटी ), अनन्या पांडे (चंकी पांडे की बेटी) टाइगर श्रॉफ, (जैकी श्रॉफ के बेटे) हर्षवर्धन कपूर (अनिल कपूर के बेटे) अभिमन्यु दसानी (भाग्यश्री का बेटा) हालांकि पिछले कुछ वर्षों से बॉलीवुड के कैनवास पर ऑलरेडी छा चुके है लेकिन आने वाले वर्षों में इनके और ज्यादा निखरने की भरपूर उम्मीद है.
इन युवा प्रतिभाओं को न केवल अपने माता-पिता की विरासत मिली है बल्कि वे तेजी से विकसित हो रहे हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में अपना रास्ता खुद बनाने के लिए तैयार हैं.
लेकिन रास्ता इतना आसान भी नहीं है. आगे की चुनौतियाँ भारी है.
हालाँकि, स्टार किड्स के रूप में सुर्खियों में आना अपनी अनूठी और विचलित करने वाली चुनौतियों के साथ आता है. बॉलीवुड के कई पुराने सुपर स्टार्स के बच्चे चाहकर और फ़िल्म इंडस्ट्री में आसान एंट्री के बावजूद यहां टिक नहीं पाए, मिसाल के तौर पर राजेंद्र कुमार के बेटे कुमार गौरव, राज कुमार के बेटे राजीव कपूर, शशि कपूर के बच्चे कुणाल, करण, संजना, शम्मी के बेटे आदित्य, महमूद के बेटे लकी, माला सिन्हा की बेटी प्रतिभा, फिरोज खान के बेटे फरदीन, मिथुन चक्रवर्ती के बेटे मीमोह, देव आनंद के बेटे सुनील आनंद, जितेंद्र के बेटे तुषार कपूर, मनोज कुमार के बेटे कुणाल गोस्वामी, शर्मिला टैगोर की बेटी सोहा अली, ये सारे के सारे खूबसूरत और टैलेंटेड थे लेकिन बात नहीं बनी.
अब बात आती है दर्शकों के उम्मीदों पर खरा उतरने की.
इसमें एक बड़ी बाधा अपने माता-पिता की महान सफलता के अनुरूप जीने का अत्यधिक दबाव भी है. प्रत्येक स्टार किड की तुलना, लगातार उनके बहुप्रतिष्ठित माता-पिता से की जाती है, जो आशीर्वाद और अभिशाप दोनों हो सकता है. उदाहरण के लिए, सुहाना खान की तुलना अनिवार्य रूप से उनकी मां शर्मिला टैगोर से की जाती रही है. आर्यन खान की तुलना जीवन भर अपने पिता शाहरुख खान के शानदार करियर से की जाएगी - जिसे पूरा करना इतना आसान नहीं है . इसी तरह, सारा अली खान को न केवल सैफ अली खान की बेटी के रूप में क्रिटिकल जांच का सामना करना पड़ता है, बल्कि उसे एक ऐसे व्यक्ति के रूप में भी स्थापित होना होता है , जिसे उच्च उम्मीदों के बीच अपनी पहचान स्थापित करनी है.
इसे आप विरासत का भार भी कह सकते हैं.
विरासत का बोझ कभी-कभी घुटन भरा महसूस हो सकता है. कई स्टार बच्चे अपने माता-पिता की महान उपलब्धियों के कारण अपनी खुद की अलग आवाज़ ढूंढने में संघर्ष करते हैं. उदाहरण के लिए, जान्हवी कपूर ने अपनी पहचान बनाई है लेकिन फिर भी उन्हें लगातार श्रीदेवी के अद्वितीय स्टारडम के साथ तुलना का सामना करना पड़ता है. यह एक प्रश्न बना हुआ है. क्या वे इस विरासत को पार करने में सक्षम होंगे या क्या उन्हें हमेशा अपने शानदार और सुपर हिट परिवारों के विस्तार के रूप में ही देखा जाएगा?
ऐसे में इन युवा कलाकारों को जनता की नज़र को नेविगेट करना जरूरी है.
हालांकि ऐसी प्रसिद्धि के बीच व्यक्तिगत पहचान बनाना मुश्किल हो सकता है. मीडिया जांच के रडार पर वे निरंतर तौले जा सकते है. इन स्टार किड्स के हर कदम का प्रशंसकों और विरोधियों द्वारा समान रूप से विश्लेषण, आलोचना या टिप्पणी की जाती है. इस निरंतर स्क्रूटिनी से अत्यधिक तनाव और चिंता हो सकती है क्योंकि वे सुर्खियों में रहते हुए अपना रास्ता खुद बनाने का प्रयास करते हैं.
लेकिन सच्चे कलाकार अपनी राह खुद बना लेते हैं, एक उज्ज्वल भविष्य का निर्माण खुद कर लेते हैं.
इन चुनौतियों के बावजूद, इस नई पीढ़ी में एक निर्विवाद उत्साह है. वे नए दृष्टिकोण, समकालीन संवेदनाएं और विविध प्रतिभाएं ला रहे हैं जो आने वाले वर्षों में बॉलीवुड को फिर से परिभाषित कर सकते हैं.
नए युग के इन नए स्टार्स को नए परिवर्तन को अपनाना होगा.
सिनेमा में बदलती कहानियों के साथ-यथार्थवाद, और मजबूत महिला प्रधान कंटेंट पर अधिक ध्यान देने के साथ-इन आधुनिक संवेदनाओं से भरपूर युवा सितारों के पास पारंपरिक ढाँचे से अलग होने का अवसर भी है जो आज के दर्शकों को पसंद आती हैं.
जैसा कि हम आगामी वर्ष की ओर देखते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि आमिर खान, शाहरुख खान, अजय देवगन, इंद्र कुमार और इन तमाम 90 के दशकों के स्टार्स की विरासत में उनकी नई पीढ़ी को हमेशा संजोया जाएगा.
निष्कर्ष के तौर पर, जबकि इन स्टार किड्स के करियर, वाकई चुनौतियों से भरी हो सकती है, लेकिन द शो मस्ट गो ऑन. शो अवश्य चलना चाहिए—क्या ये युवा सितारे इस अवसर पर खरे उतरेंगे?
ख़ैर, ये तो केवल समय ही बताएगा, लेकिन अगर बॉलीवुड के इतिहास ने हमें इस ग्लैमर जगत की चिर स्थायी भावना के बारे में कुछ सिखाया है, तो वह यह है कि हर पीढ़ी के नए और युवा कलाकार, दर्शकों के दिलों को लुभाने का अपना रास्ता खुद ही खोज लेती है.