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कई दशकों तक बॉलीवुड में “लीडिंग एक्टर” का मतलब बड़े सेट, हीरोइज़्म और तय फॉर्मूले वाले किरदारों से जोड़ा जाता रहा। लेकिन अब एक नई पीढ़ी के कलाकार इस सोच को बदल रहे हैं। ये कलाकार पारंपरिक स्टारडम की जगह अलग कहानियां, जटिल किरदार और भावनात्मक कहानियों को चुन रहे हैं। आज पर्दे पर लीडर बनने का मतलब है हिम्मत, संवेदनशीलता और सच्चाई।
ये सभी कलाकार मिलकर बॉलीवुड में स्टारडम की नई समझ बना रहे हैं। वे साबित कर रहे हैं कि आज का लीडिंग एक्टर सिर्फ चमक-दमक से नहीं, बल्कि मज़बूत कंटेंट, ईमानदारी और ज़रूरी कहानियां कहने के साहस से पहचाना जाता है।
यहां ऐसे बॉलीवुड कलाकार हैं जो लीडिंग एक्टर होने का मतलब नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं:
अभिषेक बच्चन - 'कालीधर लापता' और 'बी हैप्पी'
अभिषेक बच्चन लगातार पारंपरिक हीरो वाले किरदारों से हटकर दर्शकों को चौंका रहे हैं। कालीधर लापता और बी हैप्पी में उन्होंने ऐसे किरदार निभाए हैं जो अधूरे, आत्ममंथन करने वाले और बेहद मानवीय हैं। स्टार पावर पर निर्भर रहने के बजाय, वे कहानी और भावनाओं को आगे रखते हैं और साबित करते हैं कि बदलाव जोखिम लेने से आता है। (changing star system in Hindi cinema)
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अभिषेक बनर्जी - ' स्टोलेन'
अपनी कॉमेडी के लिए पहचाने जाने वाले अभिषेक बनर्जी ने ' स्टोलेन' में एकदम अलग और साहसी कदम उठाया। उन्होंने पूरी तरह गंभीर और बेचैन करने वाला अभिनय किया, जिसने दर्शकों की उम्मीदों को तोड़ा। इस भूमिका के ज़रिए उन्होंने दिखाया कि एक सच्चा लीडिंग एक्टर वही है जो अलग-अलग तरह के किरदार निभा सके।
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यामी गौतम – ' हक़ '
'हक़ ' में यामी गौतम ने अपने करियर का सबसे मज़बूत अभिनय दिया। उनका किरदार भावनात्मक, सधा हुआ और असरदार है। यह उनकी पिछली भूमिकाओं से अलग है। यामी ने बिना ज़्यादा शोर किए, अपने शांत लेकिन मज़बूत अभिनय से कहानी को आगे बढ़ाया और दिखाया कि लीडरशिप हमेशा ऊंची आवाज़ में नहीं होती। (new definition of leading actor in Bollywood)
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सान्या मल्होत्रा - ' Mrs'
'Mrs 'में सान्या मल्होत्रा ने एक गृहिणी का किरदार बेहद गहराई से निभाया। उन्होंने उस महिला के दर्द को बहुत सादगी से दिखाया, जो उम्मीदों के साथ नए घर में आती है, लेकिन धीरे-धीरे अनकही ज़िम्मेदारियां और असमानता के बोझ तले दब जाती है। सान्या का अभिनय दिखाता है कि आम ज़िंदगी की कहानियां भी लीड रोल बन सकती हैं।
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आमिर खान - 'सितारे ज़मीन पर'
जब ज़्यादातर बड़े सितारे एक्शन फिल्मों की ओर बढ़ रहे हैं, तब आमिर खान ने सितारे ज़मीन पर जैसी भावनात्मक और पारिवारिक फिल्म चुनी। उन्होंने फिर साबित किया कि दिल से कही गई कहानी भी बड़े स्तर पर लोगों से जुड़ सकती है। यह फिल्म आमिर की सोच और संवेदनशीलता को दर्शाती है। (emotional and complex roles in Hindi films)
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ईशान खट्टर - 'होमबाउंड'
होमबाउंड में ईशान खट्टर का अभिनय उनके करियर का एक अहम मोड़ है। शोएब के किरदार में उन्होंने एक ऐसे युवक को दिखाया है जो महामारी के समय समाज की बेरुखी से जूझ रहा है। उनका शांत, सच्चा और भावनात्मक अभिनय उन्हें अपनी पीढ़ी के सबसे उभरते कलाकारों में शामिल करता है। (evolution of star power in Indian cinema)
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