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भारत और पाकिस्तान के बॉर्डर पर एकबार फिर मिसाइलों का मुंह एक दूसरे की तरफ तन गया है. पाकिस्तानी- टेरर छावनियों में पल रहे आतंकियों को नेस्त नामुद कर देने के लिए कृत संकल्प भारतीय फ़ौज ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया है. जम्मू और कश्मीर के टूरिस्ट प्लेस पहलगाम में आतताइयों ने कुछदिन पहले जो दुर्दांत कांड किया था, उसका जवाब है 'ऑपरेशन सिंदूर'. यह घटना याद दिलाती है विभाजन की विभीषिका को जब तमाम मां-बहनों के माथे का सिंदूर मिट गया था और बड़ी संख्या में लोग भागकर पाकिस्तान से भारत में आकर बस गए थे.पाकिस्तान आज भी नहीं सुधरा है, जबकि भारत मे आकर बस गए लोग आज बड़े गर्व से खुद को 'हिंदुस्तानी' कहते हैं. उन्होंने कामयाबी की मिसाल कायम किया है. यहां हम फिल्मी दुनिया मे स्थापित कुछ व्यक्तियों की चर्चा करना चाहेंगे जो पाकिस्तान से भारत आए थे, और आज वे एक हस्ती हैं:
कपूर परिवार की जड़ें: पेशावर से बॉलीवुड तक
भारतीय फिल्म उद्योग में सबसे बड़ा परिवार कपूर परिवार माना जाता है. जिसके मुखिया पृथ्वीराज कपूर का जन्म 1906 में फैसलाबाद (पाकिस्तान) में हुआ था. उनके पुत्र राजकपूर पेशावर में 1924 में पैदा हुए थे. बॉलीवुड के सुप्रीमो स्टार दिलीप कुमार पेशावर में (1922) में पैदा हुए थे. जुबली कुमार राजेन्द्र कुमार का जन्म (1929) सियालकोट में हुआ था. मनोज कुमार एटावाद में पैदा हुए थे, जहां आतंकवादी सरगना बिन लादेन को अमेरिका ने मारा था. मशहूर फिल्मकार बी आर चोपड़ा और उनके भाई यश चोपड़ा जिनको भारत सरकार ने दादा साहब फाल्के अवार्ड से नवाजा, वे भी पाकिस्तान से भारत आनेवाले लोगों में रहे हैं.बी आर चोपड़ा, यश चोपड़ा और धर्म चोपड़ा का जन्म लाहौर में हुआ था. तीनो भाईयों ने हिंदी सिनेमा में एकसाथ शुरुवात किया और कामयाब शख़्शियतें बनें.
Chopra Brothers
मशहूर संगीतकार रोशन (रितिक रोशन के दादाजी और राकेश रोशन, राजेश रोशन के पिता) का जन्म 1917 मे गुजरनवाला में हुआ था. गीतकार शायर साहिर लुधियानवी 1943 में लाहौर में पैदा हुए थे. बलात्कार विषय पर फिल्म 'बैंडिट क्वीन' बनाकर अंतराष्ट्रीय चर्चित हुए फिल्मकार शेखर कपूर भी लाहौर से आए हुए रिफ्यूजी रहे हैं. गीतकार -फिल्मकार गुलज़ार 1934 में दीना में पैदा हुए थे.मुम्बई आकर मोटर गैरेज में काम करते हुए फिल्म इंडस्ट्री के टच में आए और आज वे भारत के ऑस्कर अवार्ड विजेता गीतकार हैं. एक समय मे फिल्मों के ट्रेंड चेंज करनेवाले गोविंद निहलाणी भी पाकिस्तान से भारत मे आकर रहने वाले फिल्मकार रहे हैं.
रोशन और साहिर लुधियानवी: लाहौर के दिग्गज
अभिनेता- फिल्मकार और राजनयिक सुनील दत्त (संजय दत्त के पिता) का जन्म झेलम में 1929 में हुआ था.उनका फिल्म इंडस्ट्री में कितना बड़ा नाम हुआ बताने की ज़रूरत नही है. विनोद खन्ना पेशावर में 1946 में पैदा हुए थे और प्रेम चोपड़ा लाहौर में 1935 में पैदा हुए थे, वहां से आकर बॉलीवुड में अपना आसमान बनाने वाले व्यक्ति रहे हैं.
Gulzar & Govind Nihalani
रोचक किस्सा है फिल्मकार और 'रामायण' फेम निर्देशक रामानंद सागर उर्फ चंद्रमौलि चोपड़ा का. वह भारत को आज़ादी मिलने के चंद दिनोंबाद जब भारत-पाक में पहले युद्ध की परिस्थियी बनी हुई थी, फाइटर प्लेन में भारत तक कि यात्रा करके आए थे. कश्मीर पर पाकिस्तानी सेना की घेराबंदी बढ़ी हुई थी.वहां के तत्कालीन राजा हरि सिंह के अनुरोध पर दिल्ली से तीन लड़ाकू जहाज श्रीनगर भेजे गए थे.यह घटना है 28 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि में 2 बजे की.इसी एक प्लैन में कुछ लोगों को पाकिस्तान से भारत लाया गया था-जिनमे एक रामानंद सागर भी थे.ये सभी अपनी जमीन तलाशने भारत आये थे.सागर साहब बॉलीवुड में एम्परर बनकर राज किए, जग जाहिर है.
सुनील दत्त, विनोद खन्ना और प्रेम चोपड़ा: बॉलीवुड आइकन
मायापुरी मैगज़ीन के प्रमुख श्री ए.पी.बजाज भी लाहौर से भारत आए थे। उन्होंने बच्चों की प्रसिद्ध पत्रिका 'लोटपोट' (जिसमें मोटू-पतलू जैसे लोकप्रिय किरदार हैं) की शुरुआत की और भारतीय फिल्म पत्रकारिता को एक नई दिशा दी। साथ ही, मायापुरी को दशकों से देश की सबसे लोकप्रिय और विश्वसनीय फिल्म पत्रिकाओं में बनाए रखा।
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यानी- भारत वह धरती है जो वसुधैव कुटुम्बकम की सोच के साथ पुष्पित पल्लवित होती है. यहां सबके लिए समान अधिकार व सहूलियतें हैं. जो लोग पाकिस्तान की नापाक जमीन से भारत आए, वे गर्व से खुद को हिंदुस्तानी कहते हैं और स्थापित हुए हैं. इसके वावजूद अगर कोई दूसरा देश हमें तंग करने की हरकत करता है तो उसके लिए हमारे पास तमाम ऑपरेशन के रास्ते खुले हैं, खुले हैं मिसाइल के मुंह...जय हिन्द!