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’रेटिंग:ढाई स्टार
निर्माता:टीवीएफ के लिए अरूणाभ कुमार
लेखक:शिवांकित सिंह परिहार, विश्वास शर्मा, हरीश पेडीनी
निर्देशक:दिव्यांषु मल्होत्रा
कलाकार:सव्या सेठी, मानसिंह करामाती, अजय वाघमारे, शिवांकित सिंह परिहार, प्रजेश मिश्रा, करिश्मा सिंह, प्रवीण राज, अभिषेक श्रीवास्तव, अखिल जैन, शुभांगी लाटकर, साहिल, दर्शिल सिसोदिया, अथर्व मकवाणा, दीपक कुमार व अन्य
अवधि:लगभग चार घंटे, पांच एपिसोड
ओटीटी प्लेटफॉर्म:अमेजन एमएक्स प्लेयर
'सिक्सर सीजन 2': अरूणाभ कुमार की कंपनी टीवीएफ की विखरी वेब सीरीज और इसकी कहानी की समीक्षा
2020 में अरूणाभ कुमार व चंदन कुमार मिलकर टीवीएफ कंपनी के तहत ग्रामीण जीवन, ग्रामीण राजनीति और उनकी समस्याओं को उकेरने वाला सीरियल ‘पंचायत’ लेकर आए थे, जो इतना रियल था कि लोग ‘पंचायत’ के दीवाने हो गए थे. देखते ही देखते इसके तीन सीजन आ गए और हर सीजन कामयाब. लेकिन यह कामयाबी अरूणाभ कुमार और चंदन कुमार के सिर इस कदर चढ़कर बोली कि ये दोनों अलग हो गए. उसके बाद अरूणाभ कुमार ‘पंचायत’ का सीजन 4 लेकर आए, पर लेखक व निर्देशक नए थे, इस सीजन को पहले जैसी सफलता नसीब नहीं हुई. मतलब यह कि जोड़ी टूटने के बाद अरूणाभ कुमार वह कमाल नहीं दिखा पा रहे हैं. 2022 में ही टीवीएफ एक ‘सिक्सर’ नामक जमीन से जुड़ी तीखी सीरीज भी लेकर आया था, अब वही अरूणाभ कुमार की कंपनी टीवीएफ उसी का सिक्वल वेब सीरीज ‘सिक्सर सीजन 2’ लेकर आए हैं, पर यह सीरीज पूरी तरह से विखरी हुई है. अंडरडॉग की कहानी बयां करते समय लेखक व निर्देशक पूरी तरह से कन्फ्यूज्ड हो गए हैं. बहरहाल, पांच एपिसोड की लगभग चार घंटे लंबी वेब सीरीज ‘सिक्सर सीजन 2’ 24 सितंबर से एमएक्स प्लेयर अमेजन पर स्ट्रीम हो रही है. (Sixer Season 2 Indore cricket story)
कहानीः
इस वेब सीरीज की कहानी इंदौर के एक क्रिकेट के मैदान से शुरू होती है. जहां क्रिकेट मैच अपने निर्णायक दौर में पहुंच चुका है. तभी एक खिलाड़ी अपने दूसरे सहखिलाड़ी निक्कू उर्फ डिस्टायर (शिवांकित सिंह परिहार) से कहता है कि हमें यह मैच जानबूझकर हारना है, अन्यथा जाति का मसला है और विरोधी टीम की जाति से जुड़े लोग हमारी हड्डी पसली तोड़ देंगे. निक्कू मैदान के चारों तरफ नजर दौड़ाता है, जहां लाठी लेकर खड़े लोग उसे धमकाते हुए नजर आते हैं. (TVF web series Sixer Season 2 review) मगर हर गेंद पर छह रन बनाने की आदत से मजबूर निक्कू का बल्ला काम कर जाता है. मैच जीतते ही विरोधी टीम के समर्थक मारपीट करने मैदान पर आ जाते हैं. निक्कू चुपचाप क्रिज पर निडरता से खड़ा रहता है. मैदान पर जमकर मारपीट होती है. पर निक्कू को कोई हाथ नहीं लगा पाता. पता चलता है कि निक्कू ने दो दिन पहले ही पार्षद का चुनाव लड़ रहे नरेश्वर उर्फ नागू भाई से हाथ मिला लिए थे और नागू भाई ने उसे सुरक्षा का पूरा आश्वासन दिया था. उसके बाद क्रिकेट के खेल में नागू भाई की दखलंदाजी, नरेश्वर के इशारे पर एक नई क्रिकेट टीम का बनना, एक लड़की गार्गी (करिश्मा सिंह) जो कि टेनिस प्लेयर है, उसका भी क्रिकेट खेलना, मशहूर क्रicket कोच खान की दादागिरी, एक सफल खिलाड़ी संजय सोनी को टीम से बाहर किए जाने से लेकर कहानी बुंदेलखंड के बागियों के गांव तक जाती है. अंततः क्रिकेट के मैदान पर हर मोर्च पर निक्कू और पार्षद के चुनाव में नरेश्वर की जीत होती है. गार्गी के किरदार के साथ न्याय नहीं किया गया. बल्कि एक समझदार लड़की के किरदार को पेंडुलम की तरह डालते हुए दिखाया गया है. (Nikku Distair character analysis Sixer 2)
रिव्यूः
टीवीएफ के अरूणाभ कुमार की अब पकड़ हर स्तर पर ढीली पड़ती जा रही है. उनकी कंपनी टीवीएफ जिस तरह से वेब सीरीज बना रही है, उसे देखकर लगता है कि वह फैक्टरी की तरह काम कर रही है, जहां क्रिएटिविटी पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है. (Bundelkhand village cricket drama) तीन साल पहले आई वेब सीरीज ‘सिक्सर’ में जो तीखापन था, वह तीखापन तथा वैसा व्यंग ‘सिक्सर सीजन 2’ से गायब है. तीन साल बाद आए सीजन दो में केंद्रीय चरित्र निक्कू विकसित हुआ है और साथ ही उसके मुद्दे और व्यक्तिगत उथल-पुथल भी. लेकिन अभी भी सब कुछ गड़बड़ ही है. पहले सीजन में भस्मासुर, भगवान शिव और भगवान विष्णु का उल्लेखनीय संदर्भ था. जबकि दूसरे सीजन में लंका विजय के बाद राम की अयोध्या वापसी का जिक्र करते हुए जिस तरह पुष्पक विमान से लटककर दो राक्षसों के आने का जिक्र है, वह मनगढ़ंत कहानी लगती है. मतलब टीवीएफ की सीरीज में जो गंभीरता होती थी, उससे अब पलायन हो चुका है. सीरीज में किरदारों की भरमार है, मगर कई किरदार ठीक से लिखे ही नहीं गए. (Sixer Season 2 plot twists and chaos) कहानी जिस तरह से बुंदेलखंड में बागियों के गांव पहुंचती है, वह सब बड़ा अजीब सा लगता है. किसी इंसान का अपहरण कर उससे फिरौती के तौर पर वसूली गई धनराशि को जिस तरह से निक्कू स्वीकार करता है, वह गले नहीं उतरता. इतना ही नहीं यह पूरा एपिसोड पैबंद सा लगता है. क्रिकेट व राजनीति का गंदा गठजोड़ जगजाहिर है, पर इसे बहुत गहराई से पेश नहीं किया गया. क्रिकेट को केंद्र में रखकर अतीत में कई फिल्में बन चुकी हैं, जो कि कभी भी न्यायसंगत नहीं रही. टीवीएफ से जुड़ी टीम से तो काफी उम्मीदें थीं, पर निराशा ही मिली. किसी भी एपिसोड में रोचकता नहीं है कि दर्शक टकटकी बांधकर देखता रहे. यह पूरी तरह से लेखन व निर्देशन की कमजोर कड़ी का नतीजा है. जबकि कैमरामैन ने अपनी तरफ से बेहतरीन काम किया है. फिर भी इस सीजन की खासियत यह है कि निक्कू और उसके पूर्व प्रतिद्वंद्वी, शानू के बीच की गतिशीलता के साथ-साथ उनके दोस्तों के सर्कल के भीतर भावनात्मक उलझनों पर गहराई से बात की गई है. (Sanjay Soni removed from cricket team storyline)
एक्टिंगः
सीरीज में कलाकारों की भरमार है. लगभग हर कलाकार ने ठीक-ठाक अभिनय किया है. पर निक्कू के किरदार में शिवांकित सिंह परिहार लोगों को अपनी तरफ खींचते हैं. वैसे भी सीरीज की मूल कहानी भी उन्होंने लिखी है और इसके लेखन में दूसरे लेखकों के साथ उनकी भी भागीदारी है. गार्गी के किरदार में करिश्मा सिंह भी प्रभावित करती है. और उम्मीदें जगाती हैं.
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