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अमिताभ बच्चन ने अपने सोशल मीडिया पर मशहूर अदाकारा कुमिनी कौशल के निधन (98 साल की उम्र में) उन्हें याद करते हुए एक लंबा और दिल को छू जाने वाला नोट लिखा जिसमें उन्होंने भावुकता के साथ कामिनी जी के जीवन के कई पहलुओं को छूते हुए कहा कि कामिनी कौशल एक लीजेंड थीं, एक ऐसी कलाकार जिन्होंने हिंदी सिनेमा को नई पहचान दी।
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अमिताभ जी ने कहा, कामिनी कौशल, जिनसे जुड़ी यादें हर उस दौर में मिलती हैं जब सिनेमा काले और सफेद पर्दे पर होता था, अब इस दुनिया से चली गईं। लेकिन उनकी मुस्कान, उनकी अदाएं, उनकी सादगी आज भी करोड़ों दिलों में ज़िंदा हैं। 98 साल की उम्र में उनका जाना एक पूरे युग के खत्म होने जैसा है। अमिताभ बच्चन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि कामिनी जी के रूप में उन्होंने सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि एक पुराने पारिवारिक दोस्त को खो दिया। उन्होंने कहा कि जब देश का बंटवारा भी नहीं हुआ था, तब से उनके माता पिता और कामिनी जी के परिवार के बीच गहरी दोस्ती रही है । (Amitabh Bachchan emotional note on Kamini Kaushal death)
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कामिनी कौशल का असली नाम उमा था, लेकिन जब उन्होंने फिल्मों में कदम रखा तो उनका नाम बदलकर कामिनी कौशल रखा गया। उनका सफर शुरू हुआ 1946 की फिल्म नीचा नगर से। यह फिल्म न सिर्फ भारत की पहली इंटरनेशनल अवॉर्ड जीतने वाली फिल्म बनी, बल्कि इसने देश में रियलिस्टिक सिनेमा की शुरुआत भी कर दी थी । इतने सालों तक एक्टिंग करना, वो भी लगातार अलग-अलग किरदारों में, अपने आप में एक मिसाल है।
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50 के दशक में कामिनी जी ने दिलीप कुमार, देवानंद और राज कपूर जैसे बड़े- बड़े सितारों के साथ काम किया। उस दौर में जब महिलाएं, खुलकर ज्यादा काम नहीं कर पाती थीं, कामिनी कौशल ने अपने टैलेंट और आत्मविश्वास से सबको दिखा दिया कि एक अदाकारा भी सिनेमा की रीढ़ बन सकती है। उन्होंने दिलीप कुमार के साथ “शहीद” और “नदिया के पार” जैसी यादगार फिल्में कीं। राज कपूर के साथ “आपका” और “जेल यात्रा” जैसी कहानियों से लोगों का दिल जीत लिया।
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बिमल राय की फिल्म “बिराज बहू” में उनका अभिनय तो ऐसा था कि दर्शक भूल ही नहीं पाए। इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार और फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। उन्होंने प्रेमचंद के प्रसिद्ध उपन्यास “गोदान” के फिल्मी रूपांतरण में भी अकाल्पनीय भूमिका निभाई। इन फिल्मों से वे सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं रहीं, बल्कि हिंदी सिनेमा की उस बुनियाद का हिस्सा बन गईं जिस पर आगे का सिनेमा खड़ा हुआ। (Kamini Kaushal 98 years tribute by Amitabh Bachchan)
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Ashish Chanchlani ने Varanasi फिल्म इवेंट में महेश बाबू के साथ एक पल साझा किया
1967 में आई फिल्म “उपकार” से उनका दूसरा पड़ाव शुरू हुआ। यहां उन्होंने मां का रोल किया और यह किरदार ऐसा हिट हुआ कि आने वाले दशकों में उन्हें मां के किरदारों की पहचान मिल गई। उस समय उनकी उम्र सिर्फ चालीस साल थी, लेकिन उनकी शालीनता और भावनात्मक अभिव्यक्ति ने इस किरदार को सजीव बना दिया। उन्होंने मनोज कुमार के साथ कई सफल फिल्मों में काम किया जैसे “पूरब और पश्चिम”, “शोर”, “संतोष”, “दस नंबर” और “रोटी कपड़ा और मकान”।
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कामिनी जी का करियर लगभग 76 सालों तक चला। इतने लंबे वक्त तक फिल्मों में सक्रिय रहना बहुत बड़ी बात है। उनका आखिरी काम आमिर खान की फिल्म “लाल सिंह चड्ढा” में 2022 में देखा गया, जब वे 95 साल की थीं। उस उम्र में भी कैमरे के सामने वही चमक, वही ऊर्जावान मुस्कान दिखी जिससे लोग उन्हें पहचानते थे। (Amitabh Bachchan remembers legendary actress Kamini Kaushal)
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अमिताभ बच्चन ने अपने नोट इस में लिखा कि उन्हें कामिनी जी की मां और उनके परिवार की पुरानी यादें बहुत प्यारी लगती थीं। उनका कहना था कि कामिनी जी की बड़ी बहन उनकी माता जी की क्लासमेट थीं और दोनों परिवारों में बहुत आत्मीयता थी। बच्चन साहब ने कामिनी जी को बेहद प्यारी, गर्मजोशी से भरी और हुनरमंद इंसान बताया। उन्होंने लिखा कि उनके जाने से एक युग खत्म हो गया।
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आज जब सिनेमा चमक-धमक में खो रहा है, कामिनी कौशल का काम असली कला क्या होती है, इस बात की गवाह बन गई है । वो दौर जब चेहरे पर एक्सप्रेशन ही कहानी बताते थे, जब आंखों में जज़्बात बोलते थे, उसी दौर की वो प्रतीक थीं। उन्होंने कभी ग्लैमर का सहारा नहीं लिया, बस अपने अभिनय से सबका दिल जीत लिया। (Amitabh Bachchan heartfelt message for family friend Kamini Kaushal)
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Aparshakti Khurana birthday: एक अभिनेता जिसने मेहनत और ह्यूमर से जीता करोड़ों दिल
कामिनी जी ने न सिर्फ फिल्मों में, बल्कि लोगों के दिलों में भी अपनी जगह बनाई। वे बेहद सादगी भरी और जमीन से जुड़ी हुई इंसान थीं। शूटिंग के दौरान वे हमेशा यूनिट के लोगों से अपनेपन से बात करतीं, अपने घर से लाए टिफिन से सबको खाना खिलातीं और सबका दिल जीत लेतीं थी । (Kamini Kaushal contribution to Hindi cinema remembered)
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उनका जाना सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री का नुकसान नहीं है, बल्कि उन सभी लोगों के लिए दुःख की बात है जो पुराने सिनेमा से जुड़ी यादों को अपने दिल में संजोए हुए हैं। जैसा अमिताभ बच्चन ने कहा, एक युग चला गया, लेकिन उनकी कला अमर रहेगी।
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