बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन अपनी हालिया फिल्म 'आई वांट टू टॉक' के लिए खूब तारीफें बटोर रहे हैं. शूटजीत सरकार द्वारा निर्देशित यह फिल्म एक पिता और बेटी के रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती एक भावनात्मक कहानी है. हाल ही में शूजित सरकार ने बताया कि फिल्म में अभिषेक के अभिनय में उनकी मां जया बच्चन की कई खूबियां झलकती हैं.
अभिषेक को लेकर बोले शूजित सरकार
दरअसल, अपनी हालिया बातचीत में शूजित सरकार ने कहा, "अभिषेक इस फिल्म में आपका दिल जीत लेते हैं, मैंने उनके अभिनय में जयाजी को खूब देखा. आप फिल्म में उनके किरदार में उनकी गर्मजोशी और आकर्षण भी देखेंगे. मुझे सत्यजीत रे की एक फिल्म में जयाजी याद हैं, जो दीवार के पास खड़ी होकर घूर रही थीं, आप उनकी आंखों में भी वही घूरने वाली झलक पाएंगे."
अभिषेक बच्चन ने दी प्रतिक्रिया
वहीं शूजित सरकार की इस तारीफ पर प्रतिक्रिया देते हुए अभिषेक बच्चन ने यह भी कहा कि उन्हें हमेशा उनके पिता अमिताभ बच्चन के काम का संदर्भ दिया जाता रहा है, यह उनकी मां जया बच्चन से पहली तुलना थी. उन्होंने कहा, "मेरे 25 साल के करियर में मेरे पिता और उनके अद्भुत काम का बहुत बड़ा संदर्भ रहा है, लेकिन बहुत कम लोग मेरी खूबसूरत मां को कुछ भी श्रेय देते हैं. मुझे खुशी है कि शूजित ने ऐसा किया, वह बहुत खुश होंगी. वह कहती रहती हैं, 'तुम मेरे बेटे भी हो'. मैं इन महान अभिनेताओं के साथ एक ही वाक्य में बात करने के योग्य नहीं हूं".
फिल्म आई वांट टू टॉक ने किया इतना कलेक्शन
वहीं कई लोगों ने फिल्म में अभिषेक बच्चन के अभिनय की तुलना पीकू में अमिताभ बच्चन से की है. हालांकि, शूजित ने जूनियर बच्चन की तुलना इरफान खान और जया बच्चन से की. फिल्म को समीक्षकों द्वारा सराहा गया है, और अभिषेक को फिल्म में उनके दिलचस्प अभिनय के लिए सराहा गया है, हालांकि, शूजित सरकार की फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रही है. अब तक, आई वांट टू टॉक ने घरेलू बाजार में केवल 1.68 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया है. बता दें पिछले कुछ सालों में अभिषेक बच्चन अपनी भूमिकाओं के साथ प्रयोग कर रहे हैं. 2023 में, उन्हें स्पोर्ट्स ड्रामा घूमर में देखा गया था, और 2022 में ओटीटी फिल्म दसवीं में एक राजनेता के रूप में उनके प्रदर्शन को काफी पसंद किया गया था.
ये हैं आई वांट टू टॉक की कहानी
आई वांट टू टॉक, अर्जुन (अभिषेक बच्चन) की कहानी है, जो एक सफल आईआईटी और एमबीए स्नातक है, जो अमेरिका में अपने सपनों को जी रहा है, जब उसकी ज़िंदगी अचानक एक ऐसा मोड़ लेती है जो सब कुछ बदल देता है. उसे लेरिंजियल कैंसर का पता चलता है और डॉक्टर भविष्यवाणी करते हैं कि उसके पास जीने के लिए 100 दिन से भी कम समय बचा है. अर्जुन अपनी नौकरी खो देता है, सर्जरी का दर्द और मौत का साया झेलता है, लेकिन हार मानने से इनकार कर देता है. यह एक ऐसे शख्स की कहानी है जो मौत को धोखा देने और जीने के अपने दृढ़ संकल्प में अपने जीवन के हर पल को जीतने की कोशिश करता है. 20 से अधिक सर्जरी, व्यक्तिगत ज़िम्मेदारियाँ और अंत तक ज़िंदगी जीने की उसकी इच्छा ही फ़िल्म की आत्मा है. यह जानने के लिए कि वह अपने जीवन में और किन कठिन परिस्थितियों का सामना करता है और उनसे लड़ता है, आपको पूरी फ़िल्म देखनी होगी.
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