/mayapuri/media/media_files/ZPx8dzhcrDC7W4A8zzjN.jpg)
ताजा खबर:बैंगलोर में हर साल होने वाले क्वीयर फिल्म फेस्टिवल का 14वां संस्करण 23 अगस्त से शुरू हो रहा है यह फेस्टिवल समलैंगिकता, ट्रांसजेंडर, और LGBTQ+ समुदाय के विभिन्न पहलुओं पर आधारित फिल्मों को प्रदर्शित करता है इस साल का फेस्टिवल विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें दुनिया भर से आईं 50 फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी यह फेस्टिवल न केवल मनोरंजन का मंच है, बल्कि LGBTQ+ समुदाय के मुद्दों, संघर्षों, और कहानियों को दर्शाने का भी एक माध्यम है
फेस्टिवल का इतिहास और महत्व
बैंगलोर क्वीयर फिल्म फेस्टिवल (BQFF) की शुरुआत 2009 में हुई थी, और तब से यह लगातार हर साल आयोजित होता आ रहा है इस फेस्टिवल का उद्देश्य LGBTQ+ समुदाय से जुड़े मुद्दों को समाज के सामने लाना है इस मंच के माध्यम से, LGBTQ+ समुदाय की कहानियों को उनकी सही पर्सपेक्टिव में दिखाने का प्रयास किया जाता है फेस्टिवल के आयोजक इस बात पर जोर देते हैं कि सिनेमा समाज में परिवर्तन का एक सशक्त माध्यम है, और LGBTQ+ समुदाय की आवाज को बुलंद करने का यह एक महत्वपूर्ण मंच है
50 फिल्मों की स्क्रीनिंग
इस साल के फेस्टिवल में 50 फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी, जो विभिन्न शैलियों और भाषाओं में होंगी इनमें फीचर फिल्म्स, डॉक्यूमेंट्रीज, शॉर्ट फिल्म्स और एनिमेटेड फिल्म्स शामिल हैं। ये फिल्में LGBTQ+ समुदाय के जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूती हैं—जैसे कि प्यार, पहचान, संघर्ष, और समाज में स्वीकृति,
इन फिल्मों में कुछ चर्चित अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के अलावा, भारतीय फिल्में भी शामिल हैं, जो इस फेस्टिवल का मुख्य आकर्षण होंगी। इन फिल्मों के माध्यम से दर्शक LGBTQ+ समुदाय के विभिन्न दृष्टिकोणों को समझ सकेंगे और उनके अनुभवों से रूबरू हो सकेंगे,फेस्टिवल में कई प्रमुख फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी, जिनमें से कुछ को पहले ही अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल्स में सराहना मिल चुकी है इसके अलावा, फेस्टिवल में फिल्म निर्माताओं के साथ बातचीत, पैनल डिस्कशन, और वर्कशॉप्स भी आयोजित की जाएंगी ये कार्यक्रम न केवल फिल्म निर्माण की प्रक्रिया को समझने में मदद करेंगे, बल्कि LGBTQ+ समुदाय के मुद्दों पर गहरी बातचीत का भी अवसर प्रदान करेंगे,बैंगलोर क्वीयर फिल्म फेस्टिवल LGBTQ+ समुदाय की आवाज को बुलंद करने का एक महत्वपूर्ण मंच है यह फेस्टिवल समाज में समलैंगिकता, ट्रांसजेंडर, और अन्य यौनिक पहचानों के प्रति संवेदनशीलता और समझ को बढ़ावा देने का काम करता है यहां प्रदर्शित फिल्मों के माध्यम से समाज में मौजूद पूर्वाग्रहों, भेदभाव, और अस्वीकृति को चुनौती दी जाती है
फेस्टिवल का प्रभाव
फेस्टिवल के आयोजक उम्मीद करते हैं कि इस आयोजन के माध्यम से समाज में LGBTQ+ समुदाय के प्रति जागरूकता और स्वीकृति बढ़ेगी वे मानते हैं कि सिनेमा की ताकत लोगों के दिलों और दिमागों को बदलने में सक्षम है इस फेस्टिवल में शामिल होने वाले दर्शकों को LGBTQ+ समुदाय के जीवन को करीब से समझने का अवसर मिलेगा, जो कि समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में एक कदम हो सकता है
Read More
क्या पठान की सक्सेस पार्टी में न आने पर SRK ने जॉन को गिफ्ट की थी बाइक
क्रिकेटर युवराज सिंह पर बनने जा रही है फिल्म,भूषण कुमार ने किया अनाउंस
रणदीप हुड्डा का लिन लैशाराम से मुलाकात का नसीरुद्दीन शाह से है कनेक्शन
अमेरिकी तैराकी टीम ने ऐश्वर्या के गाने 'ताल से ताल' पर किया परफॉर्म