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ताजा खबर: बॉलीवुड में हमेशा से ही विविधता रही है चाहे वो रोमांस हो, एक्शन, थ्रिलर या फिर सामाजिक मुद्दे. लेकिन एक जॉनर जो हर बार दर्शकों का ध्यान खींचता है, वह है कोर्टरूम ड्रामा. इन फिल्मों में न सिर्फ क़ानूनी लड़ाई दिखाई जाती है, बल्कि इंसाफ, नैतिकता और समाज की जटिलताओं पर भी गहरी नजर डाली जाती है. आइए जानते हैं कुछ मशहूर और प्रभावशाली बॉलीवुड कोर्टरूम ड्रामा फिल्मों के बारे में, जो न सिर्फ एंटरटेन करती हैं बल्कि सोचने पर मजबूर भी करती हैं.
1. पिंक (Pink)
2016 में आई इस फिल्म ने समाज में महिलाओं की आज़ादी और सहमति के मुद्दे पर बड़ी बहस छेड़ दी थी. अमिताभ बच्चन ने एक उम्रदराज वकील की भूमिका निभाई जो तीन लड़कियों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ते हैं. फिल्म की टैगलाइन "नो मतलब नो होता है" ने समाज में नई चेतना जगाई.
2. जॉली एलएलबी (Jolly LLB)
अरशद वारसी और बाद में अक्षय कुमार द्वारा निभाई गई वकील की भूमिका ने इस फिल्म को दर्शकों का चहेता बना दिया. यह फिल्म दिखाती है कि कैसे एक छोटा वकील भी बड़े और रसूखदार लोगों के खिलाफ लड़कर न्याय दिला सकता है. इसकी कहानी कॉमेडी और गंभीरता का बेहतरीन मिश्रण है.
3. रुस्तम (Rustom)
अक्षय कुमार की इस फिल्म ने 1959 के मशहूर नानावटी केस को पर्दे पर जीवंत कर दिया. यह फिल्म प्यार, धोखा और बदले की भावना से भरी है, और कोर्टरूम सीक्वेंस दर्शकों को सीट से बांधकर रखते हैं.
4. मुल्क (Mulk)
ऋषि कपूर और तापसी पन्नू स्टारर यह फिल्म एक मुस्लिम परिवार की कहानी है जो आतंकवाद के आरोपों से जूझ रहा होता है. कोर्ट में धर्म, राष्ट्रभक्ति और पूर्वाग्रहों पर उठे सवालों ने दर्शकों को झकझोर कर रख दिया था.
5. धारा 375 (Section 375)
इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे कानून का दुरुपयोग भी किया जा सकता है। अक्षय खन्ना और ऋचा चड्ढा की दमदार एक्टिंग और तर्कों से भरे कोर्टरूम सीन्स इस फिल्म को खास बनाते हैं।
6. शाहिद (Shahid)
यह फिल्म वकील शाहिद आज़मी की बायोपिक है, जो निर्दोष आतंकवाद के आरोपियों की वकालत करते हैं. राजकुमार राव की बेहतरीन परफॉर्मेंस और फिल्म की यथार्थता ने इसे क्रिटिक्स की सराहना दिलाई.
कोर्टरूम ड्रामा फिल्में केवल मनोरंजन नहीं हैं, बल्कि यह समाज में फैले पूर्वाग्रहों, अन्याय और सामाजिक सच्चाइयों को भी उजागर करती हैं. इन फिल्मों के जरिए दर्शक न सिर्फ न्याय प्रणाली को समझते हैं, बल्कि संवेदनशील मुद्दों पर सोचने के लिए भी प्रेरित होते हैं. बॉलीवुड ने इस जॉनर को गंभीरता और सटीकता के साथ पर्दे पर उतारा है, और आगे भी ऐसे विषयों पर और बेहतरीन फिल्में देखने को मिलेंगी
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