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HBD चित्रगुप्त: संगीत की सादगी और भारतीयता का अमर प्रतीक

ताजा खबर:चित्रगुप्त, हिंदी सिनेमा के एक जाने-माने संगीत निर्देशक, का जन्म 16 नवंबर 1917 को बिहार के गोपालगंज जिले में हुआ था. संगीत की दुनिया में उनका योगदान अमिट है.

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Chitragupt: An immortal symbol of simplicity of music and Indianness
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ताजा खबर:चित्रगुप्त, हिंदी सिनेमा के एक जाने-माने संगीत निर्देशक, का जन्म 16 नवंबर 1917 को बिहार के गोपालगंज जिले में हुआ था. संगीत की दुनिया में उनका योगदान अमिट है. वे भारतीय संगीतकारों में एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने संगीत में औपचारिक शिक्षा प्राप्त की थी. उनकी शिक्षा पटना और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से हुई, जहां उन्होंने संगीत और इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की थी.

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शुरू किया था करियर 

चित्रगुप्त

चित्रगुप्त ने अपने करियर की शुरुआत स्वतंत्रता संग्राम के दौरान की और बाद में संगीत निर्देशन में अपना करियर बनाया. उन्होंने अपनी पहली फिल्म "लद्दाख" (1946) में संगीत दिया, लेकिन उन्हें पहचान 1950 और 60 के दशक में मिली, जब उनके संगीत ने दर्शकों का दिल जीता. उनकी धुनें सरल और कर्णप्रिय थीं, जो श्रोताओं को तुरंत पसंद आ जाती थीं.

उनके कुछ प्रसिद्ध गाने हैं:

"चली चली रे पतंग" (फिल्म: भाभी, 1957)

"लगी छुटे न अब तो सनम" (काली टोपी लाल रुमाल, 1959)

"तुम ही हो माता, पिता तुम ही हो" (मैं चुप रहूंगी, 1962)

tum hi ho mata pita tum-hi ho..Main Chup Rahungi 1962_Lata_Rajinder  Krishan_Chitragupt..a tribute

चित्रगुप्त ने अपने करियर में मोहम्मद रफी, किशोर कुमार, लता मंगेशकर, और आशा भोंसले जैसे प्रसिद्ध गायकों के साथ काम किया. उनके संगीत में भारतीय लोकसंगीत और शास्त्रीय संगीत का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है. वे अपनी सादगी और अनुशासन के लिए भी जाने जाते थे, जो उनकी रचनाओं में झलकता है.चित्रगुप्त का योगदान सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित नहीं था, उन्होंने संगीत के जरिए लोगों के दिलों में जगह बनाई. उनका निधन 14 जनवरी 1991 को हुआ, लेकिन उनके संगीत के माध्यम से वे आज भी जीवित हैं

राजेंद्र कृष्ण के साथ विशेष संबंध

Chitragupta songs, Chitragupta song MP3 download

चित्रगुप्त के करियर में गीतकार राजेंद्र कृष्ण का बड़ा योगदान था। दोनों ने मिलकर कई अमर गीत बनाए. कहा जाता है कि राजेंद्र कृष्ण ने उन्हें फिल्मों में बेहतर मौके दिलाने में मदद की.उनकी इस जोड़ी ने भारतीय सिनेमा को कई हिट गाने दिए.

Rajinder Krishan — Hum Kuchh Nahi Kehte (Part 1) | By Monica Kar |  Silhouette

कम बजट की फिल्मों का स्टार

Teri duniya se... - Imprints and Images of Indian Film Music | Facebook

चित्रगुप्त को कम बजट की फिल्मों में काम करने का विशेषज्ञ माना जाता था. वे अपनी मधुर धुनों से ऐसी फिल्मों को भी हिट बना देते थे, जिन्हें बड़े संगीत निर्देशकों ने नजरअंदाज किया होता.

लोगों को जोड़ने वाला संगीत

चली चली रे पतंग | Chali Chali Re Patang | Nanda Song | Bhabhi Movie Songs |  Rafi | Lata Mangeshkar - YouTube

चित्रगुप्त ने अपने संगीत में भारतीयता को हमेशा बरकरार रखा. उनकी धुनें भारतीय लोकसंगीत पर आधारित थीं, जिससे हर वर्ग के श्रोता उनसे जुड़ पाते थे. उदाहरण के लिए, फिल्म भाभी का गाना "चली चली रे पतंग" गांवों और शहरों दोनों में समान रूप से लोकप्रिय हुआ.

बॉक्स ऑफिस

आकाशदीप, 1965

भाभी, 1957

चित्रगुप्त ने बॉक्स ऑफिस पर अपने संगीत के ज़रिए जो प्रभाव डाला, वह उनकी विलक्षण प्रतिभा का प्रमाण है. उन्होंने मध्यम और छोटे बजट की फिल्मों को अपनी धुनों से सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 'तूफ़ान क्वीन', 'इलेवन ओ क्लॉक', 'भक्त पुंडलिक', 'नीलमणि', 'नाचे नागिन बाजे बीन', और 'सैमसन' जैसी फिल्मों का संगीत उनकी सादगी और भारतीयता का प्रतीक था.उनके रचे हुए गाने जैसे 'लागी छूटे ना अब तो सनम' (काली टोपी लाल रुमाल), 'दगाबाज़ हो बांके पिया' (बर्मा रोड), और 'एक बात है कहने की आँखों से कहने दो' (सैमसन) श्रोताओं के दिलों में अमर हो गए. 'दिल का दिया जला के गया' (आकाशदीप) और 'आ जा रे मेरे प्यार के राही' (ऊँचे लोग) जैसे गीत उनकी धुनों की गहराई और सरलता को उजागर करते हैं.

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