HBD:गुनीत मोंगा: भारतीय सिनेमा को दिया अंतरराष्ट्रीय मंच ताजा खबर:गुनीत मोंगा, भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है. उनका जन्म 21 नवंबर 1983 By Preeti Shukla 21 Nov 2024 in ताजा खबर New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Follow Us शेयर ताजा खबर:गुनीत मोंगा, भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है. उनका जन्म 21 नवंबर 1983 को नई दिल्ली में हुआ. आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम उनकी जीवन यात्रा और उनके संघर्षों पर नजर डालते हैं, जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा गुनीत मोंगा का जन्म 1983 में दिल्ली में हुआ था. उनका बचपन बेहद मुश्किलों से भरा था. वह एक ऐसे परिवार से आती हैं जहां आर्थिक तंगी थी, और इस स्थिति में उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ा. एक वक्त ऐसा भी आया था जब गुनीत मोंगा की मां की जिंदगी में संकट आ गया था. एक दिन उनकी मां को जिंदा जलाने की कोशिश की गई थी. इस घटना ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया. इस घटना ने गुनीत को मानसिक रूप से बहुत मजबूत बना दिया, और उन्होंने ठान लिया कि वह किसी भी हालत में अपने परिवार को संजीवनी देने के लिए संघर्ष करेंगी.उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली से पूरी की और बाद में मास कम्युनिकेशन में डिग्री हासिल की.उनकी पढ़ाई के दौरान ही फिल्म निर्माण के प्रति उनकी रुचि बढ़ने लगी. सड़कों पर पनीर बेचना गुनीत की संघर्ष भरी जिंदगी में कई ऐसे पल आए जब उन्होंने आर्थिक तंगी का सामना किया. उनके परिवार के पास बहुत कम पैसे थे और गुनीत ने खुद को इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए कड़ी मेहनत की. एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने सड़कों पर पनीर बेचा, ताकि वह अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें. ये अनुभव उनके जीवन के कठिन और संघर्षपूर्ण थे, लेकिन इनसे उन्होंने खुद को एक नई दिशा में प्रेरित किया. फिल्मी करियर की शुरुआत गुनीत मोंगा ने अपने करियर की शुरुआत छोटे बजट की फिल्मों और डॉक्युमेंट्री के निर्माण से की. उन्होंने "शेखर कपूर की बैंडिट क्वीन" और "मोती नंदी" जैसी फिल्मों में बतौर प्रोडक्शन असिस्टेंट काम किया. हालांकि, उनकी पहचान एक फिल्म निर्माता (प्रोड्यूसर) के रूप में तब बनी जब उन्होंने "लंचबॉक्स" और "गैंग्स ऑफ वासेपुर" जैसी फिल्मों का निर्माण किया. ऑस्कर तक का सफर गुनीत मोंगा की फिल्म "पीरियड. एंड ऑफ सेंटेंस." ने 2019 में ऑस्कर जीता. यह फिल्म महिलाओं के मासिक धर्म और उससे जुड़ी वर्जनाओं पर आधारित थी. इस जीत ने न केवल भारतीय सिनेमा को गौरवान्वित किया, बल्कि समाज में एक बड़ा संदेश भी दिया. यह उनके करियर का सबसे बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ.उन्हें अकादमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज (ऑस्कर अकादमी) में शामिल किया गया, जो भारतीय सिनेमा के लिए गर्व का पल था.उन्होंने ऑस्कर अवॉर्ड्स जूरी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.'मसान', इस फिल्म को कान्स फिल्म फेस्टिवल में स्टैंडिंग ओवेशन मिला. "लंचबॉक्स" का संघर्ष फिल्म "लंचबॉक्स" को बनाने के दौरान गुनीत मोंगा को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. फिल्म के लिए फाइनेंस जुटाना बेहद मुश्किल था. कई प्रोडक्शन हाउस ने इस प्रोजेक्ट को ठुकरा दिया. लेकिन गुनीत ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपने जुनून और कड़ी मेहनत से इसे सफल बनाया. आज यह फिल्म भारतीय सिनेमा की सबसे चर्चित फिल्मों में से एक है. महिला सशक्तिकरण की मिसाल गुनीत मोंगा हमेशा से महिलाओं के मुद्दों पर काम करने के लिए जानी जाती हैं. उनकी फिल्मों में महिलाओं की कहानियों को प्रमुखता से दिखाया जाता है. उनका मानना है कि महिलाओं को अपनी आवाज उठाने और समाज में बदलाव लाने के लिए सशक्त होना चाहिए. फेमस फिल्म गुनीत मोंगा ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में कई ऐसी फिल्में प्रोड्यूस की हैं, जो अपने विषय, कहानी और प्रस्तुतिकरण के लिए जानी जाती हैं. उनकी फिल्में मुख्य रूप से समाज के अनछुए पहलुओं और मानवीय भावनाओं को बखूबी उजागर करती हैं. यहां उनकी कुछ प्रसिद्ध फिल्मों के बारे में बताया गया है: 1. लंचबॉक्स (2013) निर्देशक: रितेश बत्राकलाकार: इरफान खान, निमरत कौर, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकीकहानी: यह फिल्म एक डब्बावाले की गलती से शुरू होती है, जब एक लंचबॉक्स गलत व्यक्ति तक पहुंचता है. इससे दो अनजान लोगों के बीच एक अनोखा रिश्ता बनता है.खासियत: लंचबॉक्स न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी खूब सराही गई. इसे कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कार मिले. 2. गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012) निर्देशक: अनुराग कश्यपकलाकार: मनोज बाजपेयी, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, ऋचा चड्ढाकहानी: यह फिल्म धनबाद के कोयला माफिया और उनके बीच चल रहे पारिवारिक संघर्ष पर आधारित है.खासियत: फिल्म अपनी कसी हुई कहानी और दमदार अभिनय के लिए जानी जाती है. यह फिल्म दो भागों में रिलीज़ हुई थी.गुनीत की भूमिका: बतौर प्रोड्यूसर, गुनीत ने इस फिल्म को एक क्रांतिकारी प्रोजेक्ट बनाया और इसे बड़े स्तर पर प्रस्तुत किया. 3. पीरियड. एंड ऑफ सेंटेंस. (2018) निर्देशक: रायका जेहताबचीकहानी: यह डॉक्युमेंट्री फिल्म मासिक धर्म से जुड़ी वर्जनाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण की कहानी है।खासियत: इस फिल्म ने 2019 में ऑस्कर अवॉर्ड जीता, जिससे गुनीत मोंगा भारतीय सिनेमा का एक बड़ा नाम बन गईं.महत्व: यह डॉक्युमेंट्री महिलाओं के स्वास्थ्य और उनके अधिकारों पर आधारित है, जो समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देती है. 4. मसान (2015) निर्देशक: नीरज घेवनकलाकार: विक्की कौशल, ऋचा चड्ढा, संजय मिश्राकहानी: यह फिल्म वाराणसी की पृष्ठभूमि पर आधारित है और समाज के विभिन्न वर्गों के संघर्षों को दर्शाती है.खासियत: इसे कान्स फिल्म फेस्टिवल में स्टैंडिंग ओवेशन मिला.गुनीत की भूमिका: गुनीत ने इस फिल्म को एक अंतरराष्ट्रीय मंच दिलाने में मदद की. 5. शादीस्थान (2021) निर्देशक: राज सिंह चौधरीकलाकार: कीर्ति कुल्हारी, मेधा शंकर, निखिल द्विवेदीकहानी: यह फिल्म एक रोड ट्रिप पर आधारित है, जिसमें पारंपरिक सोच और आधुनिक विचारों के बीच टकराव दिखाया गया है.खासियत: शादीस्थान महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके निर्णय लेने के अधिकार पर एक मजबूत संदेश देती है. 6. सोयाबीन (आगामी प्रोजेक्ट) निर्देशक: अजय बहलकहानी: इस फिल्म की कहानी अभी पूरी तरह से सामने नहीं आई है, लेकिन यह एक थ्रिलर ड्रामा है.महत्व: यह गुनीत मोंगा की उन परियोजनाओं में से एक है, जो दर्शकों को समाज के नए पहलुओं से जोड़ने का वादा करती है. 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