ताजा खबर:कादर खान, जो भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के सबसे प्रसिद्ध और प्रतिभाशाली अभिनेताओं में से एक थे, का जन्म 22 अक्टूबर 1937 को काबुल, अफगानिस्तान में हुआ था, उनके जीवन से जुड़े कई अनसुने किस्से और दिलचस्प बातें हैं आइए जानते हैं कुछ ऐसे किस्से जो शायद आप नहीं जानते होंगे:
माता-पिता का तलाक
कम उम्र में अपने माता-पिता का तलाक देखना कादर के लिए बेहद कठिन था, वह इस स्थिति को समझने में असमर्थ थे और इसे अपने जीवन का सबसे कठिन अनुभव मानते थे तलाक के बाद, उनकी मां ने अपने बच्चों की देखभाल के लिए संघर्ष किया,इस कठिन समय में, कादर खान ने अपनी मां की भावनाओं और स्थिति को समझा और उनका सहारा बनने की कोशिश की लेकिन उनकी मां की मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं थी, जिससे कादर को और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा
जबरन शादी
जब कादर खान की मां ने फिर से शादी करने का फैसला किया, तो यह भी एक मुश्किल समय था परिवार के अन्य सदस्यों ने उनकी मां को जबरन शादी के लिए राजी किया, जो कादर के लिए और भी चुनौतीपूर्ण साबित हुआ वह अपने घर में असुरक्षित और असहाय महसूस करते थे, क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि उनकी मां किसी और के साथ जीवन बिताए,कादर खान ने इस समय को अपने लिए एक कठिनाई और संघर्ष के रूप में देखा उन्होंने न केवल अपनी मां का समर्थन किया, बल्कि अपनी शिक्षा और करियर पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया
शुरुआत में इंजीनियर बनना चाहते थे
कादर खान का सपना इंजीनियर बनने का था, उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन बाद में उन्हें अभिनय के प्रति आकर्षण हुआ और उन्होंने थिएटर में काम करना शुरू किया. उनकी इस यात्रा ने उन्हें भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया
रह चुके हैं टीचर
कादर खान इंडस्ट्री के सबसे बेहतरीन कलाकारों में से एक थे। साल 2018 में कादर खान ने दुनिया को अलविदा कह दिया पर क्या आप जानते हैं कादर खान भी एक्टिंग करने से पहले एक टीचर थे। साल 1970 से 1975 तक कादर खान ने मुंबई के भायखला के एक कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग पढ़ाई है
रुचि थी लिखाई में
कादर खान न केवल एक महान अभिनेता थे, बल्कि वे एक प्रतिभाशाली लेखक भी थे, उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों के लिए संवाद और पटकथा लिखी उनके लिखे हुए संवादों में हास्य और गहराई होती थी, जो उन्हें अन्य लेखकों से अलग बनाती थी, बॉम्बे टू गोवा (1972),अमर अकबर एंथनी (1977),कुली (1983),हेराफेरी (2000),खुदा गवाह (1985),बक्शी (1973),कर्ज (1980),राजू बन गया जेंटलमैन (1992),सत्ते पे सत्ता (1982),दुल्हन वही जो पिया मन भाए,उनकी लिखाई ने कई फिल्मों को सफलता दिलाई
पिता के साथ मुश्किल समय
कादर खान के पिता एक मुस्लिम थे और उन्हें एक कठिन जीवन जीना पड़ा उनके पिता ने घर चलाने के लिए बहुत मेहनत की, लेकिन आर्थिक स्थिति हमेशा कमजोर रही कादर खान ने इस कठिन समय को देखा और ठान लिया कि वे अपने परिवार की मदद करेंगे उन्होंने कठिनाइयों का सामना करते हुए अपनी शिक्षा पूरी की और अपने करियर की शुरुआत की
प्रारंभिक संघर्ष
कादर खान का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था, और उन्हें अपने परिवार की जिम्मेदारियों को समझते हुए बचपन से ही काम करने की आदत डालनी पड़ी, उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन उनके दिल में हमेशा से अभिनय का ख्वाब था,शुरुआत में, जब कादर खान ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा, तो उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा कई बार उन्होंने कब्रिस्तान के पास स्थित झुग्गियों में गुजारा किया और हफ्ते में सिर्फ तीन दिन खाना खाया उस समय, उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ा
दिलीप कुमार का सहारा
कादर खान के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्होंने महान अभिनेता दिलीप कुमार से मुलाकात की, दिलीप कुमार ने कादर खान को एक अवसर दिया, जिससे उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में पहचान मिली,दिलीप कुमार ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें कई फिल्मों में काम करने का मौका दिया.दिलीप कुमार के साथ काम करने से कादर खान ने न केवल अभिनय में बल्कि संवाद लेखन में भी अपने कौशल को निखारा उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों के लिए संवाद और पटकथा लिखी, जो उन्हें एक सफल लेखक के रूप में स्थापित किया
शोहरत की शुरुआत
कादर खान की फिल्मी करियर की शुरुआत 1973 में फिल्म दाग से हुई, इसके बाद, उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया और अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई अमर अकबर एंथनी, बक्शी, और कुली जैसी फिल्मों में उनके अभिनय को बेहद पसंद किया गया
नेगेटिव रोल से जीता था दिल
इसके बाद, उन्होंने कई फिल्मों में नकारात्मक किरदार निभाए, जैसे कि कर्ज (1980) और अमर अकबर एंथनी (1977), उनकी विलेन की भूमिकाएँ हमेशा दर्शकों को प्रभावित करती थीं, और उन्हें एक मजबूत अदाकारा के रूप में पहचान मिली,कादर खान के नकारात्मक किरदारों में एक गहराई और भावनात्मक वजन था, जो उन्हें एक विलेन के रूप में अद्भुत बनाता था, लेकिन समय के साथ, फिल्म इंडस्ट्री में परिवर्तन आया, और दर्शकों के मनोरंजन के तरीके भी बदले , जिसके बाद उन्होंने धीरे धीरे कॉमेडी की ओर रुख किया
कॉमेडी के बादशाह
कादर खान को मुख्य रूप से कॉमेडी फिल्मों में उनके शानदार अभिनय के लिए जाना जाता है उन्होंने अनेक कॉमेडी भूमिकाएँ निभाईं, जिनमें उनके संवादों और शारीरिक कॉमेडी ने दर्शकों को हंसाया। उनकी जोड़ी गोविंदा के साथ बेहद लोकप्रिय थी, और उनके साथ की गई फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाई,कादर खान की कॉमिक टाइमिंग और अदाकारी का कोई सानी नहीं था उन्होंने हर फिल्म में अपने संवादों और अदाओं के जरिए दर्शकों को हंसाने का काम किया,उनकी कॉमेडी का एक खास पहलू यह था कि वे अपने पात्रों में इतनी गहराई डालते थे कि दर्शक उन पर विश्वास करने लगते थे उनकी जोड़ी शत्रुघ्न सिन्हा, जितेंद्र, और गोविंदा के साथ खासतौर पर याद की जाती है
कई पुरस्कारों से सम्मानित
कादर खान को उनके काम के लिए कई पुरस्कार मिले, जिसमें फिल्मफेयर अवार्ड भी शामिल है उन्हें भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए "पद्म श्री" से भी सम्मानित किया गया था
फिल्मी करियर
कादर खान का असली नाम 'कादर खान' ही था, लेकिन उन्होंने अपने करियर के दौरान कई नामों से भी काम किया, 1970 के दशक में उन्होंने कई फिल्में कीं, लेकिन उन्हें असली पहचान 1980 के दशक में मिली उनकी प्रमुख हिट फिल्में जैसे अमर अकबर एंथनी, कुली, हेराफेरी और बुल्लेट राजा हैं,कादर खान ने शत्रुघ्न सिन्हा, जितेंद्र, और गोविंदा के साथ कई हिट फिल्मों में काम किया, उनके द्वारा निभाए गए किरदारों में हास्य, गंभीरता, और एक विशेष प्रकार की शरारत होती थी उनका अभिनय देखकर दर्शकों ने उन्हें एक अद्वितीय अभिनेता के रूप में पहचान लिया
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