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एक लंबे समय से जयाप्रदा पर्दे से दूर रही हैं. पिछले कुछ सालों से वह राजनीति में सक्रिय रही हैं.अब वह राजनीति से दूर, एकबार फिर एक्टिंग की ओर मुड़ी हैं. ओटीटी के लिए तैयार संजीव राय निर्देशित वेब सीरीज "फातिमा" से वह दर्शकों के सामने लौटी हैं. 'फातिमा' का प्रसारण भारत मे रिलायंस एंटरटेनमेंट और ओवरसीज में अमेज़ॉन चैनल पर 23 मई से 12 बजे निर्धारित हुआ है. जिसका ट्रेलर पहले ही लोगों द्वारा पसंद किया जा रहा है.
एक समय खूब सुरती का पर्याय कही जानेवाली जयाप्रदा कभी साउथ की फिल्मों का स्टारडम पीछे छोडकर बॉलीवुड में आई थी. फिर बॉलीवुड के कामयाब कैरियर और टॉप की स्टारडम से दूर होकर वह पॉलिटिक्स से जुड़ गई.पहले राज्यसभा सांसद फिर लोकसभा और अब पूर्व सांसद के रूप में राजनीति में वह अपना अलग मुकाम रखती हैं. अब वह फिर एकबार पर्दे पर वापसी ली हैं. वेब सीरीज 'फातिमा' में वह मुख्य प्रोटोगोनिस्ट 'फातिमा' का किरदार निभा रही हैं. इस सीरीज के द्वारा जयाप्रदा अपने जीवन मे पहली बार किसी मुस्लिम कैरेक्टर को पर्दे पर अभिनित की हैं. 'फातिमा' के प्रथम सीजन की दस कड़ियां टेलीकास्ट पर हैं. फिल्मों में अपनी वापसी पर वह कहती हैं - "बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री मेरा घर है. मैं हमेशा यहां अपने लिए एक कम्फर्ट जोन महसूस करती हूं."
वेब सीरीज 'फातिमा' के दूसरे कलाकार हैं हितेन तेजवानी, कायनात अरोरा, बरखा बिष्ट, बंटी चोपड़ा, अमित जे.शर्मा आदि. सीरीज के लेखक निर्देशक हैं संजीव राय और निर्माता हैं फर्स्ट हैंड एंटरटेनमेंट और डी एस चावला.
यह सीरीज आज के जोनर की कहानी है. रेप रिवेंज ड्रामा है. "एक मां अपनी बेटी से बलात्कार करने वालों के पीछे रिवेंज लेने के लिए लगी है." बताते हैं लेखक निर्देशक संजीव राय. हितेन तेजवानी एक ईमानदार पोलिस अधिकारी हैं जो तहकीकात पर हैं और शक के फंदे में उनकी पत्नी कायनात अरोरा आगयी हैं. बरखा बिष्ट का एक महत्वपूर्ण किरदार है.सारी कड़ियाँ जुड़ती हैं फातिमा की तरफ. जयाप्रदा कहती हैं- "आज का सिनेमा बदल गया है. तकनीक मेकिंग और स्टोरी टेलिंग सब अलग है बट इसेन्स इज सेम !"
जयाप्रदा को 'फातिमा' का रोल कराने के लिए तैयार कैसे कराया ? इसपर संजीव राय बताते हैं- "जया जी पहली बार पर्दे पर मुस्लिम किरदार कर रही हैं. वह अपने जीवन मे पहले कभी मुलिम रोल नहीं की हैं. आजकल वह बीजेपी में हैं और कोई बीजेपी नेता पर्दे पर मुस्लिम करेक्टर करे यह भी एक आकर्षण की बात है !" संजीव कहते हैं. " एक मुलाकात में उनको कहानी सुनाया और उनको पसंद आगया.बोली- 'मेरी वापसी के लिए अब कोई और कहानी सुनने की जरूरत नहीं रह गयी है. इस कहानी में एक मैसेज है, मैं चाहूंगी इसे करुं '... और इस तरह जया जी 'फातिमा' बन गयी." संजीव राय इससे पहले हिंदी और बंगाली में फिल्मे दे चुके हैं. उनकी हिंदी फिल्म थी - 'जी लेने दो एक पल' और बंगला फिल्म थी 'अमी जो तोमार' जो फिल्म समारोहों में बहुत सराही गयी हैं. संजीव राय का भी किसी वेब सीरीज के प्लेटफॉर्म पर उनका डेब्यू है. "सभी कलाकारों ने मुझे भरपूर सहयोग दिया है.जया जी का सपोर्ट तो बहुत ज्यादा रहा.वह फ़िल्म और पॉलिटिक्स दोनो जगह स्टार रही हैं वावजूद इसके शूटिंग के सैट पर बहुत ज्यादा कोऑपरेटिव होती हैं. अच्छा से अच्छा रिजल्ट देने के लिए वह मेहनत से पीछे नही हटती और हमें उत्साहित करती हैं."
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