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ताजा खबर: नीरज वोरा का जन्म 22 जनवरी 1963 को गुजरात के भुज में हुआ था. उनका परिवार थिएटर से जुड़ा हुआ था, जिसने नीरज को अभिनय और लेखन की ओर आकर्षित किया. उन्होंने गुजराती रंगमंच में अपने करियर की शुरुआत की और बाद में हिंदी थिएटर में भी अपनी पहचान बनाई.
फैमिली
नीरज वोरा का परिवार कला और संगीत से गहराई से जुड़ा हुआ था. उनके पिता, पंडित विनायक राय एन वोरा, एक मशहूर क्लासिकल संगीतकार और तार-शहनाई वादक थे. पिता से मिली प्रेरणा ने नीरज को रचनात्मकता और संगीत की गहरी समझ दी. उन्होंने बचपन में तबला वादन सीखा और थिएटर से अपने करियर की शुरुआत की. नीरज के भाई, उत्तंक वोरा, एक प्रसिद्ध संगीतकार हैं, जिन्होंने कई फिल्मों में संगीत दिया और नीरज के साथ भी काम किया.
हालांकि नीरज ने अपने निजी जीवन को हमेशा पर्दे के पीछे रखा, उनकी शादी और परिवार के बारे में ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं है. 2016 में ब्रेन स्ट्रोक के बाद उनके इलाज के दौरान निर्माता फिरोज नाडियाडवाला ने उनका विशेष ख्याल रखा और उन्हें अपने घर में जगह दी. इस कठिन समय में परिवार और करीबी दोस्तों ने उनका साथ दिया. नीरज का पारिवारिक माहौल उनकी कला और फिल्मों में सादगी और गहराई के रूप में नजर आता था, जो उनके जीवन की एक महत्वपूर्ण पहचान थी
गुजराती रंगमंच से बॉलीवुड तक का सफर
नीरज वोरा ने अपने करियर की शुरुआत गुजराती रंगमंच से की थी. उनके नाटकों में हास्य का अद्भुत मिश्रण होता था.. यही कला बाद में बॉलीवुड में उनके काम में दिखाई दी.
बॉलीवुड में एंट्री
नीरज वोरा ने बॉलीवुड में सबसे पहले अभिनय होली (1984) में किया, लेकिन उन्हें पहचान 1995 में रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘रंगीला’ से मिली. इस फिल्म में उनका छोटा लेकिन मजेदार किरदार दर्शकों को खूब हंसाने में कामयाब रहा. इसके बाद वे ‘सत्या’, ‘मन’, ‘बादशाह’ और ‘आवारा पागल दीवाना’ जैसी हिट फिल्मों का हिस्सा बने.
लेखक और निर्देशक के रूप में योगदान
नीरज वोरा ने सिर्फ अभिनय तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्होंने लेखन और निर्देशन में भी खुद को साबित किया. उन्होंने प्रियदर्शन की फिल्म ‘हेरा फेरी’ के संवाद लिखे, जो आज भी भारतीय सिनेमा की सबसे लोकप्रिय कॉमेडी फिल्मों में गिनी जाती है. इसके बाद उन्होंने ‘फिर हेरा फेरी’ का निर्देशन किया, जिसने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया.उनकी अन्य लिखित फिल्मों में ‘चोरी चोरी चुपके चुपके’, ‘अवारा पागल दीवाना’ और ‘दीवाने हुए पागल’ शामिल हैं. नीरज की लेखनी की खास बात यह थी कि वे हर किरदार को उसके अनोखे अंदाज में पेश करते थे, जिससे उनकी कहानियां दर्शकों के दिलों तक पहुंचती थीं.
रामगोपाल वर्मा और ‘रंगीला’ का किस्सा
रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘रंगीला’ में नीरज वोरा ने एक छोटे लेकिन मजेदार किरदार को निभाया. यह किरदार फिल्म का मुख्य आकर्षण बन गया. एक इंटरव्यू में रामगोपाल वर्मा ने बताया कि नीरज ने अपने डायलॉग्स खुद लिखे और उन्हें अपने अंदाज में पेश किया. उनकी कॉमिक टाइमिंग ने इस फिल्म में जान डाल दी.
उन्होंने 'गरम मसाला' के मज़ेदार संवाद लिखे थे
अगर आपने प्रियदर्शन की गरम मसाला देखी हैं, तो आप वोरा की तारीफ़ करना चाहेंगे, जिन्होंने इसके मज़ेदार संवाद इस तरह से लिखे कि आज भी वे अपनी धार नहीं खोते.यह फ़िल्म अपने संवादों के कारण उतनी ही जीवंत हो गई जितनी कि अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम की दोस्ती के कारण.
क्या आप जानते हैं कि उन्होंने थ्रिलर 'अजनबी' भी लिखी थी?
अगर आपको लगता है कि वोरा की रचनात्मकता सिर्फ़ कॉमेडी के मामले में ही उभरती थी, तो आपको फिर से सोचना चाहिए.उन्होंने अब्बास-मस्तान की 2001 की बेहद मनोरंजक थ्रिलर फ़िल्म अजनबी की पटकथा और कहानी लिखी थी, जिसमें कुमार, बॉबी देओल, बिपाशा बसु और करीना कपूर खान ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई थीं.
फिर हेरा फेरी की स्क्रिप्ट पर मेहनत
नीरज वोरा ने ‘फिर हेरा फेरी’ के लिए स्क्रिप्ट लिखने में डेढ़ साल का समय लगाया. उन्होंने हर किरदार को इतनी बारीकी से उभारा कि यह फिल्म आज भी कॉमेडी के मामले में मास्टरपीस मानी जाती है. शूटिंग के दौरान, उनकी हंसी मजाक और संवादों के अलग अंदाज ने कलाकारों को भी प्रभावित किया.
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