ताजा खबर :शाहरुख़ ख़ान, जिन्हें "बॉलीवुड के बादशाह" और "किंग ख़ान" के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 2 नवंबर 1965 को नई दिल्ली में हुआ था. उनका जीवन और करियर प्रेरणादायक कहानियों और अनसुने किस्सों से भरा हुआ है, जो उनकी मेहनत, संघर्ष और असाधारण सफलता को दर्शाते हैं.
शुरुआती जीवन और जन्मदिन का जश्न
शाहरुख़ का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. उनके पिता मीर ताज मोहम्मद ख़ान एक स्वतंत्रता सेनानी थे, और उनकी माँ लतीफ फातिमा एक मज़बूत और देखभाल करने वाली महिला थीं. शाहरुख़ के जन्मदिन को उनके परिवार ने हमेशा खास तरीके से मनाया. बचपन में, यह एक साधारण लेकिन प्यार से भरा हुआ उत्सव होता था. उनके माता-पिता ने शाहरुख़ को हमेशा प्रोत्साहित किया कि वे अपने सपनों का पीछा करें, और उनकी माँ का उनके जीवन में गहरा प्रभाव था.
बचपन के दिनों में, उनके जन्मदिन का जश्न दोस्तों और पड़ोसियों के साथ एक छोटे समारोह के रूप में होता था, जिसमें घर का बना खाना और मिठाइयाँ शामिल होती थीं.हालांकि, समय के साथ, जब शाहरुख़ ने बॉलीवुड में नाम कमाया, उनके जन्मदिन का जश्न भी भव्य होता गया. हर साल, 2 नवंबर को शाहरुख़ के बंगले "मन्नत" के बाहर हजारों फैंस इकट्ठा होते हैं. वे शाहरुख़ की एक झलक पाने के लिए घंटों इंतजार करते हैं, और शाहरुख़ भी अपने प्रशंसकों को निराश नहीं करते. वह बालकनी में आकर अपने फैंस का अभिवादन करते हैं, जिससे यह दिन उनके प्रशंसकों के लिए एक यादगार अनुभव बन जाता है.
करियर की शुरुआत और संघर्ष
शाहरुख़ ख़ान का फिल्मी करियर एक संघर्षपूर्ण सफर रहा है. उनके माता-पिता की असमय मृत्यु ने उन्हें गहरा सदमा पहुँचाया, लेकिन उन्होंने अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने के लिए खुद को पूरी तरह से समर्पित कर दिया. एक अनसुना किस्सा है कि जब वह मुंबई में नए-नए आए थे, तब उनके पास सीमित पैसे थे और वह शहर में काम की तलाश कर रहे थे। उनके पास रहने के लिए जगह भी नहीं थी, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों में बहुत मेहनत की और अपने आत्मविश्वास और प्रतिभा के बल पर इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई.
शुरुआती संघर्ष और मेहनत
शाहरुख़ ख़ान का मुंबई में खुद को स्थापित करने का सफर संघर्ष, कड़ी मेहनत और दृढ़ विश्वास से भरा हुआ है.जब वे दिल्ली से मुंबई आए, उनके पास न तो ज्यादा पैसे थे और न ही कोई इंडस्ट्री में बड़ा संबंध. शाहरुख़ ने अपने करियर की शुरुआत टीवी सीरियल्स से की, जैसे "फौजी" और "सर्कस", जो उनके अभिनय को पहचान दिलाने में सहायक बने. इन शो में उनकी प्रतिभा ने फिल्म निर्माताओं का ध्यान आकर्षित किया. हालांकि, मुंबई आने के बाद, उन्हें फिल्मों में बड़ा ब्रेक पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा. वे एक साधारण इंसान थे, जिन्हें शुरुआती दिनों में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.
पहला ब्रेक और सफलता की सीढ़ी
शाहरुख़ का पहला बड़ा ब्रेक "दीवाना" (1992) फिल्म से आया, जो सुपरहिट साबित हुई. इसके बाद उनकी एक के बाद एक फिल्में, जैसे "बाज़ीगर", "डर", और "अंजाम", हिट होती चली गईं. इन फिल्मों में उनकी नकारात्मक भूमिकाओं ने उन्हें एक विविध और शक्तिशाली अभिनेता के रूप में स्थापित किया.
शाहरुख़ ख़ान के जीवन में एक समय ऐसा भी आया था जब वे भारी आर्थिक मुश्किलों से जूझ रहे थे. यह किस्सा तब का है जब उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा था और अपने बैनर रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट के तहत फिल्में बनानी शुरू कीं.एक बार, शाहरुख़ ने एक इंटरव्यू में साझा किया था कि उन्होंने अपने घर "मन्नत" को खरीदने के लिए एक बड़ा लोन लिया था. इसके लिए उन्हें हर महीने ईएमआई चुकानी पड़ती थी, लेकिन उनकी फिल्मों के व्यवसायिक प्रदर्शन और अन्य वित्तीय कठिनाइयों के कारण वे समय पर ईएमआई नहीं चुका पा रहे थे. यह स्थिति उनके लिए बेहद तनावपूर्ण हो गई थी, और शाहरुख़ इस चिंता में डूबे हुए थे कि वे किस तरह से इस भारी भरकम लोन को संभालेंगे.
ऐसे कठिन समय में शाहरुख़ ने अपनी करीबी दोस्त और सह-अभिनेत्री जूही चावला से मदद मांगी. जूही चावला न केवल उनकी दोस्त हैं, बल्कि उनके साथ कई हिट फिल्मों में काम कर चुकी हैं और उनकी कंपनी की सह-मालिक भी हैं. शाहरुख़ ने जूही से अपनी निराशा और चिंता साझा की, और जूही ने उन्हें भावनात्मक समर्थन दिया. जूही चावला ने न केवल शाहरुख़ को सांत्वना दी, बल्कि उनकी हिम्मत बढ़ाई और उन्हें यह भरोसा दिलाया कि हर मुश्किल समय बीत जाता है.
आइकॉनिक कपल बने गौरी और शाहरुख़
शाहरुख और गौरी ने 25 अक्टूबर 1991 को शादी की थी, दोनों की प्रेम कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है, इस कहानी में प्यार, संघर्ष, परिवार का विरोध, और आख़िरकार शादी की खूबसूरत यात्रा शामिल है, दोनों ने एक-दूसरे का साथ हर मुश्किल घड़ी में निभाया और आज उनकी जोड़ी बॉलीवुड की सबसे प्यारी और मजबूत जोड़ियों में गिनी जाती है.
पहली मुलाकात और प्यार की शुरुआत
शाहरुख और गौरी की पहली मुलाकात दिल्ली में एक दोस्त की पार्टी में हुई थी, शाहरुख उस समय केवल 18 साल के थे और गौरी 14 साल की, उस पहली मुलाकात में ही शाहरुख गौरी की तरफ आकर्षित हो गए थे, शाहरुख को गौरी की सादगी और मुस्कान ने बहुत प्रभावित किया. उस समय तक गौरी के परिवार को इस रिश्ते का कोई अंदाज़ा नहीं था. धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती गहरी होती गई और यह दोस्ती प्यार में बदल गई.
प्रेम में कठिनाईयाँ और पारिवारिक चुनौतियाँ
शाहरुख एक मुस्लिम परिवार से थे और गौरी का परिवार हिंदू था. यह एक ऐसा समय था जब दोनों परिवारों में धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेद थे. गौरी के परिवार को शाहरुख के इस्लामी पृष्ठभूमि से ऐतराज़ था. उन्हें लगता था कि यह रिश्ता गौरी के भविष्य के लिए सही नहीं रहेगा. इसके अलावा, शाहरुख की आर्थिक स्थिति भी स्थिर नहीं थी. वह अपने करियर की शुरुआत कर रहे थे और उनके पास कोई स्थायी नौकरी नहीं थी. गौरी के परिवार ने कई बार उसे शाहरुख से दूर रहने की सलाह दी, लेकिन गौरी का प्यार सच्चा था और उन्होंने शाहरुख का साथ छोड़ने से इनकार कर दिया.
प्यार की परीक्षा: मुंबई जाने की घटना
एक बार गौरी को ऐसा महसूस हुआ कि उनके रिश्ते में शाहरुख का प्यार बहुत ज्यादा 'कंट्रोलिंग' हो रहा है, इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए गौरी ने कुछ समय के लिए शाहरुख से दूर जाने का निर्णय लिया और मुंबई चली गईं, शाहरुख इस बात से बहुत दुखी हुए और बिना सोचे-समझे उनका पीछा करने के लिए मुंबई पहुँच गए. उस समय उनके पास गौरी का पता नहीं था, न ही कोई ठिकाना. शाहरुख ने पूरे मुंबई में गौरी को ढूंढा और आखिरकार उन्हें मुंबई के एक बीच (समुद्र किनारे) पर पाया. इस घटना ने दोनों के रिश्ते को और मजबूत बना दिया. गौरी ने महसूस किया कि शाहरुख का प्यार सच्चा और गहरा है और उन्होंने हमेशा के लिए उनका साथ देने का निर्णय ले लिया.
शादी और संघर्ष का सफर
1991 में, जब शाहरुख ने बॉलीवुड में कदम रखने का सपना देखा, उन्होंने गौरी से शादी करने का फैसला किया. शादी के दौरान दोनों परिवारों में बहुत सारी सांस्कृतिक और धार्मिक रुकावटें आईं, लेकिन शाहरुख और गौरी ने इस स्थिति का बखूबी सामना किया. उन्होंने दोनों परिवारों की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हुए इस्लामिक और हिंदू रीति-रिवाजों के साथ विवाह किया. इस शादी ने दोनों के रिश्ते को और भी मजबूत बना दिया और अब वे एक-दूसरे के परिवार के साथ भी अच्छे संबंध में थे.
शादी के बाद शाहरुख और गौरी ने अपने सपनों का पीछा किया और बॉलीवुड में जगह बनाने की कोशिश में लगे रहे. शुरुआती दौर में शाहरुख को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. उनके पास आर्थिक रूप से स्थिरता नहीं थी और उन्हें संघर्ष भरे दिनों से गुजरना पड़ा. गौरी ने हर मुश्किल में उनका साथ दिया. एक बार गौरी ने बताया था कि किस तरह उन्होंने बिना किसी शिकायत के शाहरुख के संघर्ष के दिनों में उनके साथ बनी रहीं और उन्हें हिम्मत देती रहीं. बता दे दोनों के तीन बच्चे हैं बड़े बेटे का नाम आर्यन खान हैं वहीँ दूसरी बेटी हैं जिसका नाम सुहाना खान हैं तीसरे बेटे का जन्म सरोगेसी के माध्यम से हुआ था जिसका नाम अबराम खान हैं.
सफलता और एक नई शुरुआत
शाहरुख की पहली हिट फिल्म के बाद से ही उनके करियर में उछाल आया, वह "बाजीगर", "डर", और "दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे" जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम कर चुके थे. उनकी मेहनत और गौरी के समर्थन ने उन्हें बॉलीवुड का "किंग खान" बना दिया.जैसे-जैसे शाहरुख की सफलता बढ़ती गई, गौरी ने भी अपने इंटीरियर डिजाइन के शौक को करियर में बदल दिया. गौरी ने कई मशहूर बॉलीवुड हस्तियों के घरों को सजाने का काम किया और आज वह एक सफल इंटीरियर डिजाइनर हैं. बता दे दोनों के तीन बच्चे हैं जिनका नाम आर्यन, सुहाना और अबराम खान हैं.
फेमस फिल्म
दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995)
यह फिल्म भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित रोमांटिक फिल्मों में से एक है. इसमें शाहरुख़ ने "राज" का किरदार निभाया, जो दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहा. यह फिल्म इतने लंबे समय तक चली कि इसे भारतीय सिनेमा में ऐतिहासिक दर्जा प्राप्त है.
कुछ कुछ होता है (1998)
इस रोमांटिक-ड्रामा फिल्म में शाहरुख़ के साथ काजोल और रानी मुखर्जी भी मुख्य भूमिकाओं में थीं. करण जौहर द्वारा निर्देशित यह फिल्म आज भी बेहद लोकप्रिय है और शाहरुख़ को रोमांस का किंग बनाने में मददगार रही.
कभी खुशी कभी ग़म (2001)
यह एक पारिवारिक ड्रामा है, जिसमें शाहरुख़ ने "राहुल रायचंद" की भूमिका निभाई. फिल्म में अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, काजोल, ऋतिक रोशन, और करीना कपूर भी थीं. यह फिल्म अपने भावुक दृश्यों और भव्यता के लिए जानी जाती है.
स्वदेस (2004)
आशुतोष गोवारिकर द्वारा निर्देशित यह फिल्म एक एनआरआई वैज्ञानिक की कहानी है, जो भारत लौटकर अपने गाँव की समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है. यह फिल्म शाहरुख़ के अब तक के सबसे बेहतरीन प्रदर्शन में से एक मानी जाती है.
चक दे! इंडिया (2007)
इस फिल्म में शाहरुख़ ने भारतीय महिला हॉकी टीम के कोच "कबीर ख़ान" का किरदार निभाया. यह प्रेरणादायक स्पोर्ट्स ड्रामा बॉक्स ऑफिस पर हिट रही और लोगों को देशभक्ति और खेल भावना का संदेश देने में सफल रही.
ओम शांति ओम (2007)
यह एक पुनर्जन्म पर आधारित फिल्म है, जिसमें शाहरुख़ ने दीपिका पादुकोण के साथ काम किया. फिल्म के गाने और संवाद आज भी यादगार हैं.
रब ने बना दी जोड़ी (2008)
इस फिल्म में शाहरुख़ ने दोहरी भूमिका निभाई और अनुष्का शर्मा के साथ उनकी जोड़ी को खूब पसंद किया गया. यह फिल्म प्यार और रिश्तों की कहानी को खूबसूरती से पेश करती है.
पठान (2023) और जवान (2023)
ये शाहरुख़ की हालिया बड़ी हिट फिल्में हैं, जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार प्रदर्शन किया. "पठान" में दीपिका पादुकोण और जॉन अब्राहम थे, जबकि "जवान" में नयनतारा और विजय सेतुपति के साथ शाहरुख़ का एक्शन अवतार देखने को मिला.
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