ताजा खबर:जसपिंदर नरूला, जो अपनी गायकी और भक्ति संगीत के लिए जानी जाती हैं, भारतीय संगीत जगत की एक मशहूर गायिका हैं. उनका जन्म 14 नवंबर 1970 को हुआ था. जसपिंदर नरूला का नाम आते ही मन में भक्ति संगीत, पंजाबी लोक संगीत और बॉलीवुड के बेहतरीन गीतों की छवि उभरती है. अपने अनोखे अंदाज और सशक्त आवाज के कारण वे न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक पहचाना हुआ नाम हैं. उनकी आवाज में एक ऐसा दम है, जिसे सुनकर सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.
शुरुआती जीवन और संगीत की यात्रा
जसपिंदर नरूला का संगीत से परिचय बचपन में ही हो गया था, और उनके पिता केके नरूला एक जाने-माने संगीतकार थे. उन्होंने घर पर ही अपनी बेटी को संगीत की शिक्षा दी और उन्हें इस क्षेत्र में प्रोत्साहित किया. जस्पिंदर ने अपनी गायकी की बुनियादी शिक्षा अपने पिता से ली और पंजाबी लोक संगीत में माहिर हो गईं. इसके अलावा, उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का भी प्रशिक्षण लिया, जिसने उनकी आवाज़ को और सशक्त बनाया.जसपिंदर नरूला ने अपने करियर की शुरुआत पंजाबी लोक गीतों से की थी. पंजाबी संगीत में उनका योगदान अहम है और उनके द्वारा गाए गए भक्ति गीतों ने उन्हें व्यापक लोकप्रियता दिलाई.
बॉलीवुड में सफलता की कहानी
जसपिंदर नरूला की बॉलीवुड में एंट्री 1999 में आई फिल्म प्यार तो होना ही था के हिट गाने “प्यार तो होना ही था” से हुई थी. हालांकि, इस गीत से उन्हें असली पहचान मिली, लेकिन बॉलीवुड में उनका सफर चुनौतीपूर्ण था. उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा, मगर उनकी मेहनत और उनके संगीत के प्रति प्रेम ने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई. उनके द्वारा गाया गया "बल्ले बल्ले" (बिच्छू) और "तुझे देख के" (बादल) , "अंखियो से गोली मारे"जैसे गाने आज भी श्रोताओं को गुदगुदा देते हैं और उनकी पहचान बने हुए हैं.
जब शाहरुख़ हुए थे इम्प्रेस
एक दिलचस्प किस्सा है कि जब उन्होंने "दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे" के गाने "मेरे ख्वाबों में जो आए" के लिए अपना वर्जन गाया, जिसे डायरेक्टर और म्यूजिक डायरेक्टर ने सिर्फ मजे के लिए रिकॉर्ड किया था. लेकिन जब शाहरुख खान ने इसे सुना, तो उन्होंने जसपिंदर नरूला के वर्जन की तारीफ की. हालांकि, फिल्म में लता मंगेशकर का गाया वर्जन ही रखा गया, पर यह वाकया उनके करियर के खास पलों में से एक था.
भक्ति संगीत में योगदान
जसपिंदर नरूला का भक्ति संगीत के क्षेत्र में भी बहुत बड़ा योगदान है. उन्होंने कई भक्ति गीत और गुरबानी को अपनी आवाज दी है. उनके भक्ति गीत जैसे “ओम जय जगदीश हरे” और “मेरा दिल ये पुकारे आजा” लोगों के दिलों में बसे हुए हैं. उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब से प्रेरित कई गीत भी गाए, जो धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं. उनके गाए हुए भक्ति गीतों में एक दिव्यता है जो श्रोताओं को शांति का अनुभव कराती है.
विवाह के बाद संगीत से दूरी
जसपिंदर नरूला की शादी 2008 में हुई, और शादी के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए संगीत से दूरी बना ली थी. उन्होंने खुद कहा था कि शादी के बाद उनकी प्राथमिकता उनके परिवार और घर के दायित्व थे. इसके कारण उन्होंने कुछ समय के लिए अपने करियर से ब्रेक लिया और अपने परिवार पर ध्यान केंद्रित किया. हालाँकि, उन्होंने जल्द ही संगीत की ओर वापस लौटने का निर्णय लिया क्योंकि संगीत उनके जीवन का एक अहम हिस्सा था. परिवार की जिम्मेदारियाँ निभाते हुए भी वे अपनी संगीत साधना में लगी रहीं और धीरे-धीरे फिर से परफॉरमेंस और रिकॉर्डिंग्स में सक्रिय हो गईं.
एक ‘फैन’ का प्यार और अनोखा प्रस्ताव
उनके जीवन का एक और अनोखा किस्सा तब का है, जब एक फैन ने उन्हें शादी का प्रस्ताव दिया था. वह फैन उनके गानों का दीवाना था और हर जगह उनकी परफॉरमेंस देखने जाता था. एक बार जब उन्होंने जस्पिंदर को व्यक्तिगत रूप से मिलने का मौका पाया, तो उसने सीधे तौर पर शादी का प्रस्ताव दे दिया. सिंगर इस पर हँसीं और विनम्रता से उसे समझाया कि वे एक सामान्य जीवन जी रही हैं और उनके लिए उनका परिवार ही सबसे पहले आता है. उस फैन ने इसे समझा और विनम्रता के साथ उनकी बात मान ली. इस किस्से के बाद वे दोनों अच्छे दोस्त बन गए, और वह फैन आज भी उनके प्रति गहरा सम्मान रखता है.
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