Razakar Review: हैदराबाद निजाम के बेतहाशा जुल्म, नेहरू की खामोशी देख..

आम लोगों की ख्वाहिशों को नजरअंदाज कर हैदराबाद को भारत में शामिल नहीं करने की जद्दोजहद के बीच मुस्लिम शासकों द्वारा अपने रजाकारों (निजी पुलिस) के हाथों हिंदुओं पर‌ किये जाने वाले अत्याचारों को इस खूबसूरती से...

Razakar Review Seeing the wanton atrocities of Hyderabad Nizam
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आपके लिए विशेष मूवी रिव्यू रजाकार

मेरी रेटिंग , 4 स्टार ,

चंद्र मोहन शर्मा

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आम लोगों की ख्वाहिशों को नजरअंदाज कर हैदराबाद को भारत में शामिल नहीं करने की जद्दोजहद के बीच मुस्लिम शासकों द्वारा अपने रजाकारों (निजी पुलिस) के हाथों हिंदुओं पर‌ किये जाने वाले अत्याचारों को इस खूबसूरती से पर्दे पर पेश किया गया है कि देखने‌ वालों की रूह तक कांप जाएगी. यह फिल्म आजादी के इतिहास के पन्ने को पलटते हुए भुला दिये गये इतिहास के जिसे अंश को पेश करती है, अंत में उसे फिल्म के रूप में देखना एक जबरदस्त अनुभव है.

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कैसी है फिल्म

अगर आप देश की आजादी के जश्न के दौरान देश के ही एक हिस्से में हिंदुओ को गाजर मूली की तरह काटने महिलाओ के साथ बलातकार और छोटे बच्चो को जलती आग ने फेंक कर जलाया जा रहा था और अपने शांति के दूत का चोला पहनकर देश के प्राइम मिनिस्टर की कुर्सी पर जमे नेहरू को इसकी जरा भी परवाह नहीं थी ऐसे में अगर उस वक्त के होम मिनिस्टर पटेल अगर अपने दम पर नेहरू को नाराज करके वहां सेना ना भेजते तो पाकिस्तान की तर्ज पर वहां का नवाब हैदराबाद को तुर्किस्तान बनाता जो आज भी पकिस्तान की तरह भारत को तबाह करने में लगा होता.

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अफसोस ऐसी फिल्म को सिनेमा मालिको ने लगाने से इंकार किया ऐसे में अगर यह फिल्म देखने की प्लानिंग कर रहे है तो आपको घर ऑफिस से 20 से 30 किलोमीटर दूर तक जाना होगा अगर आप हमारी माने तो जरूर जाए क्योंकि ऐसी बेहतरीन फिल्म बनाने का जज्बा किसी ने नहीं फिल्म के हर कलाकार ने अपने अपने क़िरदार के साथ पूरा न्याय किया है. राज अर्जुन, बॉबी सिम्हा, मकरंद देशपांडे, वेदिका, अनूसुया भारद्वाज, तेज सप्रू, इंद्रजा, सुब्बाराया शर्मा, अनुश्रिया त्रिपाठी सभी ने अपने‌-अपने किरदारों को बखूबी ढंग से निभाया है. तेलुगु में इस फिल्म को काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला और अब मेकर्स इस फिल्म को हिंदी में लेकर आए हैं,

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जरूर देखें.

फिल्म को सेंसर ने एडल्ट सर्टिफिकेट जारी किया जो फिल्म के मिजाज को देखते हुए जरूरी भी था, याद रखिए ऐसी फिल्म कभी मुंबई फिल्म में नहीं बनेगी और न ही बॉलीवुड के किसी बैनर मेकर में इतना दम है जो ऐसे सब्जेक्ट पर पूरी ईमानदारी के साथ फिल्म बनाए इस फिल्म को देख आप को कश्मीर फाइल, केरल स्टोरी की याद आयेगी, दुख होता है सिनेमा मालिको की सोच और कमाने की और ज्यादा भूख को देखकर जिन्होंने इस बेहतरीन फिल्म की परदे पर लाने के लिए अपना सिनेमा नही दिया.

कलाकार- मकरंद देशपांडे, तेज सप्रू,वेदिका भारद्वाज,अनुसूया, सेंसर सार्टिफिकेट, एडल्ट, अवधि 169 मिनट, पीआर, डैनी और लक्ष्य

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