Review Despatch: क्राइम रिपोर्टर नहीं सेक्स के भूखे इंसान की कहानी "तितली" और "आगरा" जैसी फिल्मों के सर्जक इस बार "डिसपैच" लेकर आए हैं,जो कि 13 दिसंबर से 'जी 5' पर स्ट्रीम होने वाली है. 'डिसपेच' कहानी व पटकथा के स्तर पर बेकार है... By Shanti Swaroop Tripathi 12 Dec 2024 in रिव्यूज New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Follow Us शेयर रेटिंगः दो स्टारनिर्माता: रॉनी स्क्रूवालालेखक: इशानी बनर्जी और कनु बहल निर्देशक: कनु बहलकलाकार: मनोज बाजपेयी, अर्चिता अग्रवाल, शहाना गोस्वामी, ऋतुपर्णा सेन, मामिक और पार्वती सहगल आदिअवधि: दो घंटा 27 मिनटओटीटी प्लेटफार्म: जी 5 पर 13 दिसंबर से स्ट्रीम होगी "तितली" और "आगरा" जैसी फिल्मों के सर्जक इस बार "डिसपैच" लेकर आए हैं,जो कि 13 दिसंबर से 'जी 5' पर स्ट्रीम होने वाली है. 'डिसपेच' कहानी व पटकथा के स्तर पर बेकार है. और यह यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि इस फिल्म के निर्देशक कनु बहल ने ही 'तितली' व 'आगरा' जैसी फिल्में निर्देशित की थीं. यॅूं तो यह एक जॉय नामक क्राइम रिपोर्टर की कहानी है, मगर फिल्म देखते हुए अहसास होता है कि यह जॉय नामक उस इंसान की कहानी है, जिसकी सेक्स की भूख खत्म होने का नाम ही नही ले रही है. कहानीः मुंबई से प्रकाशित डिस्पैच अंग्रेजी देनिक अब डिजिटल हो रहा है और डिजिटल के लिए एक जबरदस्त क्राइम स्टोरी देने की जिम्मेदारी इसी अखबार के काइम रिपोर्टर जॉय बाग (मनोज बाजपेयी) को दी गयी है. जॉय बाग निजी जिंदगी में काफी उठा पटक के दौर से गुजर रहा है. वह अपनी पत्नी श्वेता (शहाना गोस्वामी) से तलाक ले रहा है. तो वहीं वह अपने ही आफिस की पत्रकार प्रेरणा प्रकाश (अच्रिता अग्रवाल) संग अफेयर चला रहा है. और जब देखो तब प्रेरणा प्रकाश के साथ पार्किंग लॉट में खड़ी प्रेरणा प्रकाश की गाड़ी के अंदर उसके साथ सेक्स/संभोग करते नजर आते है. जॉय खुद को 'पार्किंग का शेर' मानते है. इतना ही नही जॉय का रोमांस आज भी पुरानी गर्लफ्रेंड के साथ भी चल रहा है. वह डिजिटल एडीशन के लिए शेट्टी की हत्या वाली स्टोरी पर काम शुरू करता है, जिसका संबंध अंडरवल्र्ड से है. लेकिन साथ ही 2जी घोटाले की खबर पर भी काम शुरू कर देते हैं. उसके बाद दिल्ली, नोएडा,लंदन तक की यात्राएं करते हुए खुद ऐसा फंसंते हैं कि एक दिन मुंबई में बीच सड़क पर उनकी हत्या हो जाती है, ठीक उसी तरह से जिस तरह से 2011 में क्राइम रिपोर्टर जे डी की हुई थी. तब अहसास होता है कि यह फिल्म जे डी हत्याकांड से प्रेरित है. रिव्यूः यह फिल्म किसी क्राइम रिपोर्टर की नही बल्कि निर्देशक के दीमागी दिवालिएपन की प्रतीक है. अति कमजोर कहानी व पटकथा के साथ ही यह एक ऐसे इंसान की कहानी नजर आती है जो कि सेक्स के पीछे भागता रहता है. फिल्म के अंदर विरोधाभासी द्रश्यों की भी भरमार है. जब पार्किंग एरिया में गाड़ी के अंदर प्रेरणा प्रकाश के संग शारीरिक संबंध बनाते हैं, तब उन्हे 'कंडोम' की याद नही आती, मगर घर पहुँचने पर जब पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना होता है, तब उन्हे 'कंडोम' की याद आती है? इसे क्या कहा जाए. आखिर फिल्मकार इस तरह के द्रश्यों के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं? शायद फिल्मकार के पास कहानी का अभाव रहा है,इसलिए उन्होने इस फिल्म में सेक्स, नग्नता व गालियां इस कदर भर दी,कि आप कल्पना पही कर सकते. कनु बहल तो 'सैक्रेड गेम्स' से भी कई कदम आगे निकल गए है. 'सैक्रेड गेम्स' के बाद ओटीटी पर यह पहली ही फिल्म होगी, जिसमें शारीरिक संबंधों का फिल्मांकन इतने बिंदास तरीके से और इतनी लंबी अवधि के लिए किया गया है. फिल्म की लंबाई भी काफी है, इसलिए नीरस हो जाती है, इसे एडिट टेबल पर कसने की जरुरत थी. जॉय महज एक क्राइम रिपोर्टर है, मगर फिल्मकार ने तो उसे जेम्स बांड से भी इतर ऐसा दिखाया है, जो कभी भी दिल्ली, हरियाणा, लंदन आ जा सकता है. कनु बहल ने इस फिल्म में ऐसे द्रश्य रचे हैं, जैसे कि देश के सारे नियम कानून उनके पास गिरवी हों. फिल्म का नायक पुलिस स्टेशन की जेल में बिंदास जा सकता है और आरोपित इंसान पर लाठियां बरसाते हुए उससे पूछताछ कर सकता है? क्या भारत या विदेश में कहीं ऐसी कानून व्यवस्था है जहां क्राइम रिपोर्टर पोलिस कस्टडी में बंद आरोपित इंसान पर लाठी बरसा कर पूछ ताछ कर सकता है? मुझे तो नहीं पता, अगर किसी को पता हो तो अवश्य बताएं? क्राइम रिपोर्टर की कहानी में जो रोमांच होना चाहिए, उसका घोर अभाव है. जॉय व उनकी पत्नी श्वेता के बीच अनबन की वजह अवश्य नही है. पूरी फिल्म खत्म होने पर जॉय की अपनी पहचान नजर नही आती और न ही इस किरदार के साथ दर्शक जुड़ पाते हैं. अति बोल्ड और शाकिंग द्रश्यों से भरपूर यह फिल्म निराश ही करती है. एक्टिंगः क्राइम रिपोर्टर जॉय के किरदार में मनोज बाजपेयी निराश ही करते हैं. जॉय की पत्नी श्वेता का किरदार क्या सोचकर शहाना गोस्वामी ने निभाया, यह हमारी समझ से परे है. फिल्म में उनके हिस्से करने को कुछ खास आया नही है. प्रेरणा प्रकाश के किरदार में अर्चिता अग्रवाल खूबसूरत लगने के साथ ही इस फिल्म से बोल्ड किस्म की फिल्में बनाने वालों को इशारा कर दिया है कि वह हर तरह के द्रश्य करने को तैयार है. वह खुद को किसी सीमा में बांध कर नही रखना चाहती. मामिक ने अच्छा काम किया है. अन्य कलाकार ठीक ठाक हैं. Read More तेलंगाना हाई कोर्ट में अल्लू अर्जुन ने लगाई गुहार, जानें मामला विराट-अनुष्का के बेटे अकाय ने किया 2024 में ये खास काम 'पुष्पा 2' ने रचा इतिहास, 1000 करोड़ क्लब में सबसे जल्दी शामिल हुई श्रद्धा ने कास्टिंग की मुश्किलें साझा कीं, पिता की मदद पर दिया जवाब हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article