अब सिनेमा महज एक खास तबके के लिए या सिर्फ अमीरों के लिए नही रह गया है। इन दिनों पूरे देष के हर तबके का इंसान मुंबई आकर फिल्मों में अपनी किस्मत आजमा रहा है। तो फिर भला हरियाणा के युवक कैसे पीछे रह जाए। पलवल, हरियाणा के एक किसान परिवार में जन्मे देशराज सौरोत ने उच्च षिक्षा हासिल करने के बाद अभिनेता बनने का फैसला लिया। अभिनेता बनने का सपना लेकर पहले वह पलवल से दिल्ली पहुंचे। दिल्ली में देशराज की मुलाकात एक फिल्म निर्माता से हुई, जिसने उन्हें अपनी फिल्म में मुख्य नायक का किरदार देने का आष्वासन देकर अपनी फिल्म का लेखक बना दिया। इस तरह वह लेखक बन गए और दो-चार फिल्मों का लेखन करने के साथ कुछ फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार भी निभाए। लेकिन मुख्य नायक बनने की ललक मन में बनी रही।
फिल्मों में नायक बनने की अपनी लालसा को पूरा करने के लिए देशराज ने बतौर लेखक पहले पैसा कमाया और फिर बतौर लेखक, निर्माता, निर्देषक व अभिनेता अपनी फिल्म ‘लख्मीपुर के लुक्खे’ का निर्माण षुरू किया। इस फिल्म में देशराज सौरोत ने नायक की भूमिका निभाई है। यह फिल्म षीघ्र ही मुम्बई, गुजरात, सौराष्ट्र और हरियाणा में प्रदर्षित होने वाली है।
फिल्म "लख्मीपुर के लुक्खे" में देशराज सौरोत, गुलषन वालिया, सुरेंद्र षर्मा, डोक्टर प्रषांत षुक्ला, मतीन खान, राजू मान, जोगिंदर कुंद्रू, आर्य सिंह, वीना चैधरी, ईना वोरा, मनोज राठी और संजय कुमार ने अहम भूमिका निभाई है। ममता सोनी ने आइटम सोंग में अपने जलवे बिखेरे हैं। इस फिल्म की समस्त शूटिंग हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेष में की गई है। एक भेंटवार्ता में देशराज जी बताते हैं कि उनकी नायक की भूमिका वाली दूसरी फिल्म ‘श्रापमुक्ति’ की शूटिंग भी पूरी हो चुकी है।
युवा पीढ़ी को केंद्र में रखकर दक्ष एंटरटेनमेंट के बैनर तले निर्मित हिन्दी फिल्म ‘लख्मीपुर के लुक्खे’ बुरी लतों की आदी युवा पीढ़़ी को जागरुक करने के लिए निर्मित की गई है। यह संदेषात्मक सामाजिक फिल्म है। फिल्म के संगीतकार नरेष कारवाला ने गीतकार सतीष अत्री के साथ फिल्म के गीत भी लिखे हैं। कोरियोग्राफी राजू नायडू और छायांकन-आर.के. दास का है। इस फिल्म के लेखक, निर्माता और निर्देषक देशराज सौरोत हैं।
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