रेटिंगः दो स्टार
निर्माताः समीर नायर, दीपक सहगल, गोल्डी बहल, श्रृद्धा सिंह
निर्देशकः कपिल शर्मा
कलाकारः हुमा कुरेशी, अवंतिका दासानी, नवीन कस्तूरिया, रजित कपूर, इंद्रनील सेनगुप्ता, अवंतिका अकरकर, अनिंदिता बोस
अवधिः तीस से पैंतिस मिनट के छह एपीसोड, लगभग सवात तीन घंटे
ओटीटी प्लेटफार्म: जी 5 पर 31 अक्टूबर से
निर्देशक के बदलते ही वेब सीरीज का स्तर गिर जाए, ऐसा बहुत कम होता है. क्योंकि दूसरे या तीसरे सीजन में निर्देशक को तो स्थापित किरदार व कहानी का आधार मिलता है, मगर निर्देशक के अंदर ही प्रतिभा की कमी हो तो बंटाधार होना तय ही है. रोमांचक वेब सीरीज "मिथ्या" का पहला सीजन 'जी 5' पर 18 फरवरी 2022 से स्ट्रीम होना शुरू हुआ था, जिसका निर्देशन रोहण सिप्पी ने किया था.अब लगभग डेढ़ साल बाद उसी का दूसरा सीजन 'मिथ्या 2 द डार्कर चैप्टर' 31 अक्टूबर से जी 5 पर स्ट्रीम हो रहा है,जिसका निर्देशन कपिल शर्मा ने किया है. हम यहां याद दिला दें कि इन कपिल शर्मा का कॉमेडियन कपिल शर्मा से कोई लेना देना नही है. बल्कि 'कला', 'गहराइयां', 'कलकी एडी 2098 सहित कई फिल्मों में बतौर सहायक निर्देशक काम कर चुके कपिल शर्मा ने इसका निर्देशन किया है... अफसोस. 'मिथ्या 2 द डार्कर चैप्टर' काफी निराश करती है. जबकि पहले सीजन की ही भांति दूसरे सीजन का भी का निर्माण अप्लॉज इंटरटेनमेंट ने ही किया है.
स्टोरी:
'मिथ्या' की कहानी दो सौतेली बहनों जूही अधिकारी (हुमा कुरेशी) और रिया राजगुरू (अवंतिका दसानी) की कहानी है. दूसरे सीजन की कहानी वहीं से शुरू होती है,जहां पर पहला सीजन खत्म हुआ था. रिया राजगुरू का मकसद केवल जुही अधिकारी के जीवन में दुखों का अंबार लाना और उसके बेटे यश को अपने साथ ले जाना है. रिया को जुही से जबरदस्त नफरत है. दूसरे सीजन के पहले एपीसोड की शुरूआत में ही जूही अधिकारी (हुमा कुरेशी) के नए उपन्यास धुंध को लेकर जुही पर महत्वाकांक्षी लेखक अमित चैधरी (नवीन कस्तूरिया ) साहित्यिक चोरी का आरोप लगाता है. जूही के पिता व मशहूर लेखक डॉक्टर अंकित त्यागी (रजित कपूर) अपने रहस्यों को अपने सीने के करीब रखते हैं. वह अपनी बेटी जुही के आस पास भी दुख को भटकने नही देना चाहते. जब उन्हे पता चलता है कि अमित चैधरी उनकी बेटी पर चेारी का इल्जाम लगाया है, तो वह खुद बिना जुही को बताए अमित से मिलकर सारा मामला रफा दफा करना चाहते हैं. मगर उन्हे क्या पता था कि अमित चैधरी के पीछे सारा दिमाग तो रिया राजगुरू का है. अमित तो सिर्फ उसका प्यादा है. डॉक्टर त्यागी,रिया राजगुरू के जाल में ऐसा फंसते हैं, कि एक दिन वह आत्महत्या कर लेते हैं. डॉ.त्यागी को अपनी प्रेरणा मानने वाले अमित चैधरी के सामने धीरे धीरे रिया का असली चेहरा आने लगता है. मगर महत्वाकांक्षी अमित तो रिया के चंगुल में बुरी तरह से फंसा हुआ है. अमित अपने तरीके से रिया को सही राह पर लाने का असफल प्रयास करता रहता है. एक दिन रिया ऐसे हालात बना देती है कि रिया के सामने ही अमित कके हाथों अरूण की हत्या हो जाती है. यह वही अरूण है,जो कि रिया के लिए कई बार अपनी जिंदगी दांव पर लगा चुका है. रिया के कहने पर अरूण ने ही रिया के पिता राजगुरू की हत्या की थी. दूसरे सीजन की कहानी का अंत जिस तरह से किया गया है, उससे अहसास होता है कि इसका अगला सीजन भी आएगा.
रिव्यूः
'मिथ्या' का दूसरा सीजन 'मिथ्या 2 द डार्कर चैप्टर" नाम के अनुरूप नही है. इस बार रिश्तों में न तो जटिलता है और नही साजिश के तत्व हैं. पर इस नए सीजन में तनावपूर्ण द्रश्यों की भरमार है. इस नए सीजन की सबसे बड़ी कमजोर कडी इसके लेखक व निर्देशक हैं. दर्शक को पहले एपीसोड में ही पता चल जाता है कि रिया राजगुरू ही अमित चैधरी से सारा खेल करवा रही है. पहले सीजन में जुही अधिकारी कालेज की प्रोफेसर थी और रिया राजगुरू उनकी धोखेबाज व संदिग्ध छात्रा थी. अब इसका विस्तार हो गया है. रिया राजगुरू ने अपने शातिर दिमाग का उपयोग करते हुए कालेज के ही नौकर अरूण को अपने साथ रखकर उसके अंदर अपने प्रति प्यार का भाव पैदाकर उसके हाथों से अपने पिता समीप राजगुरू की हत्या करवाकर खुद राजगुरू स्टेट की मालिक बन चुकी है. मगर यह सारी बाते संवादों में हैं. रिया राजगुरू को कोई भी साजिश करते नही दिखाया गयां. कई जगह पर कहानी भटकी हुई नजर आती है. खून खराब कुछ ज्यादा ही है. छह एपीसोड के इस सीजन में किसी भी एपीसोड में ऐसे तत्वों का घेर अभाव है,जिसके चलते दर्शक टकटकी लगाए देखता रहे. सीज़न 2 में रिया राजगुरू अपने सौतेले पिता से अपनी पहचान पाने के लिए विश्वासघात और बदले की आग में जल रही है. जिसके चलते उसके लिए नैतिकता कके मायने ही नही रहे. ऐसे इंसान के मनोविज्ञान को सही ढंग से चित्रित करने में लेखक व निर्देशक बुरी तरह से मात खा गए. रिया अपने सौतेले पिता से खुद को बेटी स्वीकार करवाने के लिए जो कदम उठाती है, वह उसकी विक्रृत मानसिकता का ही परिचायक है. पर यह बात निर्देशक उभार नहीं पाए और न ही अवंतिका दसानी के अभिनय से यह बात उभरती है. यह सीरीज तो रिया राजगुरू को धन की लालची व दूसरो का अपने हित में उपयोग करने वाली इंसान के ही रूप में उभारती है.
एक्टिंगः
जुही अधिकारी के करेक्टर में हुमा कुरेशी का अभिनय शानदार है. उनका अभिनय काफी सधा हुआ है. खुद पर साहित्यिक चोरी का झूठा इल्जाम लगने के बाद जूही स्थिति से गुजरती है, उसे अपने अभिनय से सजीवता प्रदान करने में हुमा कुरेशी कामयाब रही हैं. जुही के प्रति लोगों से सहानुभूमि बटोरने में हुमा कामयाब रहती हैं. जुही के पिता डॉ.त्यागी के किरदार में रजित कपूर का अभिनय काफी सधा हुआ है. जुही से बदला लेने की आग में झुलस रही जूझारू रिया राजगुरू के किरदार में अवंतिका दसानी पूरी तरह से सफल नही हो पायी. रिया के चेहरे पर जो भावनात्मक उतार चढ़ाव के भाव आने चाहिए थे,जो कुटिलता व सजिश का अहसास करवाना चाहिए ,उसमें अवंतिका दसानी मार खा गयी हैं. अवंतिका अपने अभिनय से रिया की भावनात्मक उथल-पुथल को प्रतिबिंबित करने में असफल रही हैं. दो राहों पर चलने की विवशता को अमित चैधरी के किरदार में सफलता के साथ चित्रित करने मे अभिनेता नवीन कस्तूरिया ने अच्छा काम किया है. नवीन अपने अभिनय से इस बात को उभारने में कामयाब रहे हैं कि अमित का दिमाग कुछ कह रहा है. पर वह मजबूरी में उसके विपरीत काम कर रहा हैं. एक निराश दलित व्यक्ति के रूप में कस्तूरिया द्वारा अमित का चित्रण यथार्थवाद अहसास कराता है जो भूमिका को आधार बनाता है.
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