इंटरव्यूज रोल कुछ चलाऊ कुछ कमाऊ तो कुछ लुटाऊ - शर्मिला टैगोर पिछले दिनों ‘मौसम’ के सेट पर शर्मिला टैगोर से मुलाकात हुई तो अब में और ‘आविष्कार’ के सेट पर बहुत दिनों पहले मिलीं शर्मिला टैगोर में मुझे कोई अन्तर नजर नहीं आया। चेहरे पर अब तक समय और काल की रेखाएं नहीं उभरी थीं, न ही दिये की लौ की तरह जलने वाली उनकी आंखों By Mayapuri Desk 07 Dec 2021 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
TC_login सत्यजीत रे की स्थायी अपील पर चर्चा करते हुए शर्मिला टैगोर कहती हैं, "आप व्यावसायिक हिंदी सिनेमा की शक्ति को कम नहीं आंक सकते" सुभाष के झा – आपने अतीत में इस बारे में बात की है कि कैसे मुख्यधारा का हिंदी सिनेमा बहुत लंबे समय से कम होता जा रहा है। अब आप इस बारे में कैसा महसूस करते हैं? आप व्यावसायिक सिनेमा की ताकत को कम नहीं आंक सकते।लोकप्रिय सिनेमा को बकवास कहना भले ही आसा By Mayapuri 09 Oct 2021 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn