Jeevan Death Anniversary: वो एक्टर जिसने 49 बार बड़े पर्दे पर निभाया नारद मुनि का किरदार
ताजा खबर: आज हिंदी सिनेमा के मशहूर खलनायक जीवन की पुण्यतिथि है. उनका असली नाम ओमकार प्रकाश सहगल था, लेकिन वे अपने अभिनय नाम "जीवन" से ही पहचाने जाते थे.
ताजा खबर: आज हिंदी सिनेमा के मशहूर खलनायक जीवन की पुण्यतिथि है. उनका असली नाम ओमकार प्रकाश सहगल था, लेकिन वे अपने अभिनय नाम "जीवन" से ही पहचाने जाते थे. 1970 से 1990 के दशक तक उन्होंने कई फिल्मों में खलनायक और सहायक भूमिकाएँ निभाईं, जिन्हें आज भी याद किया जाता है.
जीवन ने अपने करियर की शुरुआत 1940 के दशक में की थी, लेकिन उन्हें असली पहचान 1970 के दशक में मिली. उनकी खासियत थी उनकी भारी-भरकम आवाज़ और डरावनी मुस्कान, जो खलनायक के किरदार को और भी प्रभावशाली बना देती थी. उन्होंने राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र और विनोद खन्ना जैसे बड़े सितारों के साथ काम किया.
रोटी (1974) – राजेश खन्ना की इस फिल्म में जीवन ने एक खूंखार खलनायक का किरदार निभाया था.
दोस्त (1974) – अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की इस एक्शन फिल्म में भी उनका रोल याद किया जाता है.
शोले (1975) – हालाँकि उनकी भूमिका छोटी थी, लेकिन उनकी मौजूदगी ने फिल्म को और भी दमदार बना दिया.
काला पत्थर (1979) – इस फिल्म में उन्होंने एक क्रूर विलेन का अभिनय किया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा.
जीवन ने हमेशा ऐसे खलनायकी किरदार निभाए जो दर्शकों के दिलों में डर तो पैदा करते थे, लेकिन साथ ही उनकी एक्टिंग की वजह से उन्हें पसंद भी किया जाता था. उनकी आवाज़ और अदाकारी का अंदाज़ इतना खास था कि फिल्मों में उनकी एंट्री होते ही दर्शक सतर्क हो जाते थे.
जीवन ने अपने जीवन में 300 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया. उन्होंने हिंदी सिनेमा को एक ऐसा विलेन दिया, जिसकी छाप आज भी बरकरार है. 18 सितंबर, 2009 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी फिल्में आज भी उन्हें अमर रखे हुए हैं.24 अक्टूबर 1915 को एक कश्मीरी पंडित परिवार में जन्मे ओमकार नाथ धर के जीवन की शुरुआत ही त्रासदी से हुई. जन्म देते ही माँ को खो देने वाले और तीन साल की उम्र में पिता को भी खो देने वाले इस बालक की परवरिश उनके दादा ने की. संपन्न परिवार में पले-बढ़े ओमकार के घर में सिनेमा को लेकर कोई खास रुचि नहीं थी, लेकिन उनका मन तो बचपन से ही अभिनय की ओर खिंचता चला गया.
18 साल की उम्र में, जब उनके दादा ने फिल्मों में जाने से मना किया तो ओमकार ने एक साहसिक निर्णय लिया. अपनी जेब में मात्र 26 रुपये रखकर वह घर से भाग निकले और बंबई (अब मुंबई) पहुँच गए. शुरुआती दिनों में उन्हें एक स्टूडियो में रिफ्लेक्टर ब्वॉय का काम मिला. यहीं से शुरू हुआ उनका सिनेमाई सफर जो आगे चलकर 'फैशनेबल इंडिया' (1935) फिल्म में पहली बार अभिनेता के रूप में उनकी पहचान बनी. इसी दौरान उन्होंने अपना नाम बदलकर 'जीवन' रख लिया.
अपने लंबे करियर में जीवन ने कई यादगार भूमिकाएँ निभाईं, लेकिन एक किरदार जिसने उन्हें सबसे ज्यादा पहचान दिलाई वह था नारद मुनि. तबस्सुम के टॉक शो में उन्होंने खुद बताया था कि उन्होंने 49 बार इस भूमिका को निभाया. उनका यह किरदार इतना लोकप्रिय हुआ कि लोग उन्हें असल जीवन में भी नारद मुनि ही समझने लगे.
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