क्या दिलीप कुमार को भुलाना आसान है?
-अली पीटर जॉन सुबह के आठ बज रहे थे और मैं अपने बिस्तर से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा था क्योंकि लॉकडाउन के दिनों में, हर दिन किसी भी अन्य दिन की तरह था और किसी को या तो घर से काम करना पड़ता था या घर पर ही रहना पड़ता था, जब अचानक मेरे कार्यवाहक को आन
/mayapuri/media/media_files/2024/12/11/ywwiWIoW1QiC5JFwEvPf.jpg)
/mayapuri/media/post_banners/20d351e78d420c7fa8a5a59aed3aea02b599cb6e9ea10528e79716de4fefd825.jpg)