Kamal Haasan joins Rajya Sabha
ताजा खबर: भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता और अब राजनीतिक नेता कमल हासन ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि वे केवल अभिनय तक सीमित नहीं हैं, बल्कि देश की राजनीति में भी सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार हैं. मक्कल निधि मय्यम (MNM) के अध्यक्ष कमल हासन ने तमिलनाडु से राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया है. यह चुनाव 19 जून 2025 को होने वाला है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि और नामांकन प्रक्रिया
कमल हासन ने शुक्रवार को तमिलनाडु सचिवालय पहुंचकर नामांकन पत्र भरा. इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन और अपनी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए और उन्हें संबंधित अधिकारियों को सौंपा. यह एक महत्वपूर्ण क्षण था, क्योंकि यह पहली बार है जब कमल हासन संसद के उच्च सदन राज्यसभा में प्रवेश करने की ओर अग्रसर हैं.
कमल हासन की राजनीतिक यात्रा
कमल हासन ने फरवरी 2018 में मक्कल निधि मय्यम पार्टी की स्थापना की थी. अपने फिल्मी करियर में सैकड़ों यादगार भूमिकाएं निभाने के बाद, उन्होंने राजनीति में एक सशक्त विकल्प बनने की कोशिश की है. उनका उद्देश्य पारदर्शिता, विकास और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना रहा है. हालांकि अभी तक उनकी पार्टी को बड़े चुनावों में बहुत अधिक सफलता नहीं मिली है, लेकिन जनता के बीच उनकी छवि एक साफ-सुथरे और प्रतिबद्ध नेता की बनी हुई है.
राज्यसभा में संभावित भूमिका
राज्यसभा में कमल हासन की उपस्थिति न केवल तमिलनाडु की आवाज को राष्ट्रीय मंच पर मजबूती देगी, बल्कि यह दिखाता है कि देश में अब ऐसे नेताओं की मांग है जो ईमानदारी और दूरदर्शिता के साथ राजनीति करें. कमल हासन ने पहले भी कई बार समाज के ज्वलंत मुद्दों पर अपने विचार स्पष्ट रूप से रखे हैं – चाहे वह शिक्षा, भ्रष्टाचार, महिला सशक्तिकरण हो या जलवायु परिवर्तन.
एम.के. स्टालिन का समर्थन
कमल हासन के नामांकन में मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और उनके बेटे एवं उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन की उपस्थिति यह संकेत देती है कि डीएमके (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) और एमएनएम के बीच गठबंधन या सहयोग की संभावनाएं बन रही हैं. यह तमिलनाडु की राजनीति में एक नया समीकरण पेश कर सकता है.कमल हासन का राज्यसभा के लिए नामांकन न केवल उनकी राजनीतिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, बल्कि यह भारतीय संसद को एक ऐसा नेता दे सकता है जो विचारशील, संवेदनशील और दूरदर्शी है. अगर वे राज्यसभा पहुंचते हैं, तो निश्चित रूप से वे वहां एक नई ऊर्जा और सोच लेकर आएंगे.
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