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शिव सागर की Kakabhushundi Ramayan टीम IFFI GOA के रेड कार्पेट पर दिखी

मशहूर फिल्म निर्माता निर्देशक, सहित्‍यकार, लेखक, इलेक्ट्रॉनिक युग के तुलसीदास माने जाने वाले पद्मश्री डॉक्टर रामानंद सागर के होनहार पोते श्री शिव सागर को गोवा में 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव...

शिव सागर की Kakabhushundi Ramayan टीम IFFI GOA के रेड कार्पेट पर दिखी
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मशहूर फिल्म निर्माता निर्देशक, सहित्‍यकार, लेखक, इलेक्ट्रॉनिक युग के तुलसीदास माने जाने वाले पद्मश्री डॉक्टर रामानंद सागर के होनहार पोते श्री शिव सागर को गोवा में 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में एक जादुई अनुभव हुआ. उन्होंने अपने नए शो, 'काकभुशुण्डि रामायण' का एक मनभावन जश्न, अपने शो के कलाकारों के साथ जम कर मनाया, जब वे सब दर्शकों के आनंद विभोर उत्तेजना के बीच, एक साथ रेड कार्पेट पर चले. दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाला यह शो महाकाव्य रामायण की कालजयी कहानियों को आज की पीढ़ी के साथ साझा करने के लिए एक आश्चर्यजनक विज़ूएल इफैक्ट और संगीत का संयोजन करता है. शिव ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि उनके काम के लिए इतना प्यार और सराहना पाना एक सपने जैसा लगता है. उनके दादा की विरासत उन्हें बचपन से ही प्रेरित करती रहती है और अब वे भारतीय टेलीविजन में अपने परिवार के समृद्ध इतिहास के नक्शेकदम पर चलते हुए सागर वर्ल्ड मल्टीमीडिया के माध्यम से सार्थक सामग्री बनाने की दिशा में चल चुके हैं.

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शिव सागर ने काकभुशुण्डि रामायण के साथ आईएफएफआई में अपने दादाजी की विरासत का जश्न मनाया तो उनके चाहने वालों ने खूब लाइक किया. 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में मिली इस अविस्मरणीय अनुभव ने उन्हे हमेशा की तरह फिर से लाइम लाइट की सुर्खियों पर ला दिया. इस विशेष कार्यक्रम में शिव ने गर्व से अपने नवीनतम शो, 'काकभुशुंडि रामायण' का प्रदर्शन करते हुए उन्होने अपने दादाजी डॉक्टर रामानंद सागर की अद्भुत महिमा और उनपर उनकी असीम कृपा की बात की. शिव ने इस कालजयी महाकाव्य पर अपना आधुनिक दृष्टिकोण भी शेयर करते हुए आज की पीढ़ी को हमारी भारतीय पौराणिक कथाओं से रूबरू करने की बात कही. 'काकभुशुण्डि रामायण' सिर्फ एक शो नहीं है. यह प्राचीन रामायण का ताज़ा और रोमांचक संस्करण है. यह दूरदर्शन पर हर शाम 7:30 बजे प्रसारित होता है, जिसका दोबारा प्रसारण सुबह 10 बजे होता है. जो चीज़ इस शो को अलग बनाती है वह है इसका हाई-टेक विज़ुअल इफेक्ट्स (वीएफएक्स) और दिल को छू जाने वाली सुंदर गीत संगीत का उपयोग. यह आधुनिक तकनीक को अपने समृद्ध सांस्कृतिक कहानी कहने के साथ आपस में बड़ी ही नज़ाकत के साथ जोड़ता है, जिससे यह सभी उम्र के दर्शकों के लिए एक मनोरंजन बन जाता है. शो का निर्माण सागर वर्ल्ड मल्टीमीडिया द्वारा किया गया है, जिसका उद्देश्य ऐसी सामग्री तैयार करना है जो दर्शकों को गहराई से पसंद आए.

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शिव सागर ने यह भी बताया आज के समय में जब दर्शकों को काम की अति व्यस्तता के कारण सही समय पर दूरदर्शन में 'काकभुशुण्डि रामायण' देखने का वक्त ना भी मिले तो उन्हें अपने ही सुविधा अनुसार समय में दूरदर्शन OTT APP वेव्स में भी काकभुशुण्डि रामायण देखने का सुख मिलेगा. इस दौरान रेड कार्पेट का अनुभव उनके और उनके कलाकारों के लिए उत्साहवर्धक रहा. रेड कार्पेट पर चलना शिव और उनकी टीम के लिए एक दिव्य शक्ति का प्रतीक जैसा लगा. उन्होंने उस अनुभव को आनंद और उत्साह से भरा अवास्तविक बताया. काकभुशुण्डि के सारे मुख्य कलाकार को, अपने किरदारों को प्रतिबिंबित करने वाली शानदार पोशाकें पहने उस फेस्टिवल में उपस्थित प्रशंसकों और उत्सव में आए लोगों से गर्मजोशी से तालियां मिलीं. शिव ने साझा किया कि उनकी कड़ी मेहनत के लिए इतनी सराहना देखकर कितना अच्छा लगा. उन्होंने कार्यक्रम के दौरान अनुभव की गई उत्साह और गर्मजोशी पर प्रकाश डालते हुए कहा, "हमारे सभी पात्रों को बहुत प्यार मिला." शिव द्वारा अपने पारिवारिक विरासत को जारी रखना एक लिगेसी का कमान संभालने जैसा रहा. शिव सागर सिर्फ अपने दादा का नाम ही रोशन नहीं कर रहे हैं, वे उस विरासत को भी जारी रख रहे हैं जो दशकों पहले शुरू हुई थी. रामानंद सागर की मूल 'रामायण' , जो 1987 में प्रसारित हुई थी , जिसने दुनिया भर के करोड़ों दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और भारतीय टेलीविजन इतिहास में सबसे प्रतिष्ठित शो में से एक बन गया. ऐसे समय में जब भारतीय टीवी, टेलीविजन श्रृंखलाओं के मामले में नया था, 1987 में डॉ रामानंद सागर द्वारा निर्मित और निर्देशित रामायण श्रृंखला एक अरब से अधिक लोगों के अविश्वसनीय वैश्विक दर्शकों तक पहुंची. यह 65 से अधिक देशों में प्रसारित किया गया और आज भी कई दिलों में एक विशेष स्थान रखता है.

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शिव को सागर वर्ल्ड मल्टीमीडिया का नेतृत्व करने पर गर्व है, जहां वह लोगों से जुड़ने वाली प्रभावशाली कहानियां बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं. उनके पिता प्रेम सागर ने भी इस विरासत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वह न केवल एक पुरस्कार विजेता छायाकार हैं , बल्कि उन्होंने 1985 में प्रिय श्रृंखला 'विक्रम और बेताल' का निर्देशन भी किया, जिसने सही मायने में 'रामायण' के लिए मार्ग प्रशस्त करने में मदद की. 'काकभुशुण्डि रामायण' के साथ, शिव सागर न केवल अपने दादा के काम का सम्मान कर रहे हैं, बल्कि वह आज के दर्शकों के लिए इन कालजयी कहानियों में नया जीवन भी ला रहे हैं. परंपरा को नवीनता के साथ जोड़कर, वह रामायण की भावना को जीवित रखते हुए दर्शकों को प्रेरित और मनोरंजन करने की उम्मीद करते हैं.जिस तेजी से शिव इस रोमांचक यात्रा पर आगे बढ़ रहे हैं, प्रशंसक अधिक मनोरम एपिसोड की प्रतीक्षा कर सकते हैं जो संस्कृति और कहानी कहने का उन तरीकों से उत्सव मनाते हैं जो आधुनिक समाज और उनकी जड़ों का सम्मान करते हैं. शिव सागर और उनकी टीम के लिए भविष्य उज्ज्वल दिखता है क्योंकि वे उस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं जिसने दुनिया भर में कई लोगों के जीवन को प्रभावित किया है.

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