भारत में हर साल 14 नवंबर को मनाया जाने वाला बाल दिवस यानी चिल्ड्रन्स डे सभी के दिलों में एक खास जगह रखता है, क्योंकि यह दिन हमारे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस साल हम चाचा नेहरू की 135वीं जयंती मना रहे हैं. यह दिन बच्चों के अधिकारों और शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है. इस खास मौके पर भाग्य लक्ष्मी की ऐश्वर्या खरे, जाने अनजाने हम मिले की आयुषी खुराना, वसुंधरा के अभिषेक शर्मा, रब से है दुआ की सीरत कपूर, कुमकुम भाग्य के अबरार काज़ी और जागृति - एक नई सुबह की तितिक्षा श्रीवास्तव जैसे ज़ी टीवी के कलाकारों ने अपने बचपन की प्यारी यादें साझा कीं और बाल दिवस के जश्न में शामिल हुए.
भाग्य लक्ष्मी में लक्ष्मी का किरदार निभा रहीं ऐश्वर्या खरे ने कहा,
"बाल दिवस की यादें हमेशा मेरे लिए बेहद ख़ास रही हैं. यह वो दिन होता था जब हम स्कूल की यूनिफॉर्म छोड़कर अपने पसंदीदा कपड़े पहनकर जाते थे. मुझे अच्छी तरह याद है उस दिन हर कोई अपनी पसंद का पहनावा पहनता था, और यह सब देखना कितना मजेदार होता था. हम घंटों बाहर बिताते थे और अपने फेवरेट गेम्स खेलते थे. घर पर भी पेरेंट्स हमें सरप्राइज़ गिफ्ट्स देते थे, और हमेशा हमें वही चीज़ें मिलती थीं जो हमें सबसे ज्यादा पसंद होती थीं. यह प्यार और खुशियों से भरा दिन होता था, जहां सब कुछ बस हमारे हिसाब से होता था."
वसुंधरा में देवांश का रोल निभा रहे अभिषेक शर्मा ने कहा,
"बाल दिवस मेरे लिए ढेर सारी खुशियों से भरी यादें लेकर आता है. बचपन में यह दिन मासूमियत और जबर्दस्त जोश से भरा होता था. मुझे याद है कि कैसे हमारे टीचर्स मज़ेदार गेम्स और ट्रीट्स के साथ छोटे-छोटे सरप्राइज़ प्लान करते थे. मेरे सबसे प्यारे पलों में से एक वो था जब मेरे पेरेंट्स घर पर एक छोटा-सा सेलिब्रेशन का आयोजन करते थे, जिसमें मेरे पसंदीदा मीठे पकवान होते और हम एक फिल्म भी देखते थे. आज उन पलों को याद करते हुए, मुझे महसूस होता है कि अपने अंदर के बच्चे को संजोना और ज़िंदगी में वही उत्साह और मासूमियत बनाए रखना कितना ज़रूरी है. इस बाल दिवस पर, मेरी दुआ है कि हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान रहे और वे सभी प्यार और अपनेपन का एहसास करें. सभी को बाल दिवस की शुभकामनाएं!"
रब से है दुआ में मन्नत के रोल में नजर आ रहीं सीरत कपूर ने कहा,
"बाल दिवस हमें याद दिलाता है कि बचपन की मासूमियत, खुशी और वो अनोखी दुनिया कितनी खास थी. बचपन में यह दिन हंसी, छोटे-छोटे सरप्राइज़ और परिवार के प्यार से भरा होता था. मुझे याद है कैसे मेरे पेरेंट्स छोटे-छोटे तोहफों और कहानियों के साथ इस दिन को खास बनाते थे. अब बडे़ होकर मुझे लगता है कि इस मासूमियत और उत्सुकता को संजोकर रखना कितना जरूरी है. इस बाल दिवस पर, आइए हम न सिर्फ अपने आसपास के बच्चों को बल्कि अपने अंदर के बच्चे को भी सेलिब्रेट करें. सभी को बाल दिवस की शुभकामनाएं!"
कुमकुम भाग्य में राजवंश का किरदार निभाने वाले अबरार काज़ी ने कहा,
"बाल दिवस हमेशा मुझे अपने बचपन की याद दिलाता है, जब इस दिन का उत्साह मुझे बेहद खुशी से भर देता था. मुझे याद है कि कैसे हम स्कूल में इकट्ठा होकर मजेदार एक्टिविटीज़ और गेम्स में हिस्सा लेते थे. हर कोई सजा-संवरा होता था, यहां तक कि हमारे शिक्षक भी, और पूरे स्कूल में बस खुशी का माहौल होता था. मुझे वो दिन भी याद है जब मैंने एक चैरिटी इवेंट के तहत बच्चों के अस्पताल का दौरा किया था - उनके चेहरों पर वो मुस्कान, उनका जोश और उनकी आंखों में वो चमक बेमिसाल थी. मुझे एहसास हुआ कि कभी-कभी बड़ी-बड़ी पहल नहीं, बल्कि छोटे-छोटे जुड़ाव के पल ही असर कर जाते हैं. सभी को बाल दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं!"
जागृति - एक नई सुबह में गीता के रोल में नजर आ रहीं तितिक्षा श्रीवास्तव ने कहा,
"बाल दिवस हमेशा मुझे बचपन की उन यादों में ले जाता है - सुबह उठते ही छोटे-छोटे सरप्राइज़ का इंतज़ार करना या दोस्तों के साथ खुले मैदान में भाग-दौड़ करना. वो एक खास वक्त होता था जब सबकुछ नया और रोमांचक लगता था. अब इस शो में कई टैलेंटेड चाइल्ड आर्टिस्ट्स के साथ काम करते हुए, मैं उन कमाल के दिनों को हर रोज़ महसूस कर पाती हूं. ये बच्चे सेट पर इतनी खुशियां लाते हैं कि उनका जोश दिल को छू लेता है. जिस तरह से वो अपने सीन को गहराई से निभाते हैं, या अपने किरदारों को पर्दे पर देखकर उनकी आंखों में चमक आ जाती है, वो मुझे हैरान कर देते हैं. इस खास दिन पर, मैं सभी को बाल दिवस की शुभकामनाएं देना चाहती हूं और सभी से यह गुज़ारिश करना चाहती हूं कि हमेशा अपने अंदर के बच्चे को ज़िंदा रखें."
जाने अनजाने हम मिले में रीत का किरदार निभा रहीं आयुषी खुराना ने कहा,
"बाल दिवस हमें अपने बचपन के उन बेफिक्र पलों की याद दिलाता है. इस मौके से जुड़ीं कई प्यारी यादें हैं. मुझे याद है स्कूल के दिनों में एक बार मेरी टीचर ने हमारे लिए एक सरप्राइज़ ट्रेशर हंट का आयोजन किया था, और अपने दोस्तों के साथ छिपे हुए उपहार और छोटे-छोटे सरप्राइज़ ढूंढ निकालने का वो रोमांच बेहद खास था. घर जाने के बाद, मेरे पेरेंट्स मुझे शॉपिंग के लिए ले जाते थे, और मुझे मेरे फेवरेट पार्क में खेलने का मौका मिलता था. और फिर, आइसक्रीम के साथ हमारा दिन खत्म होता था. वो सादगी भरे दिन, जिनमें छोटी-छोटी खुशियां और ढेर सारा प्यार होता था, मुझे आज भी बहुत याद आते हैं."
by SHILPA PATIL
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