/mayapuri/media/media_files/2025/03/08/ZzXIT4Fu5bpA1lzL9HT8.jpg)
एंटरटेनमेंट: अभय देओल (Abhay Deol) हमेशा से ही अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं. चाहे कोई भी परिस्थिति हो, वह अपनी बात खुलकर कहते हैं. फिर चाहे उनकी पर्सनल लाइफ (Abhay Deol personal life) हो या प्रोफेशनल लाइफ. अब हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने रिलेशनशिप (Abhay Deol Relationship) के बारे में बात की और बताया कि इस दौरान उन्हें क्या-क्या सहना पड़ा.
मेरा पिछला रिश्ता हिंसक था- अभय
एक इंटरव्यू में अभय ने बताया कि कैसे उन्हें अपने पिछले रिश्ते (Abhay Deol Ex) में हिंसा का सामना करना पड़ा था. उन्होंने यह भी बताया कि वह किसी भी तरह की हिंसा में विश्वास नहीं करते. उन्होंने सीधे तौर पर माना कि किसी भी रिश्ते में दोनों पार्टनर का एक जैसा सोचना बहुत जरूरी है और यह भी जरूरी है कि वे रिश्ते को एक जैसा देखें और समझें.
अभय देओल ने अपने कास्ट से बहुत कुछ सीखा
अभय ने कहा कि वह गलत व्यक्ति के साथ रहने के बजाय अकेले रहना पसंद करेंगे क्योंकि उन्होंने अपने अतीत से बहुत कुछ सीखा है. मेरे पिछले कुछ रिश्तों में बहुत ड्रामा रहा है. उन्हें भावनात्मक स्तर पर बहुत कुछ सहना पड़ा. यह अच्छा नहीं है, न मेरे लिए और न ही मेरे पार्टनर के लिए. मैं किसी पर उंगली नहीं उठा रहा, लेकिन यह सीखने का एक तरीका है.अभय अपनी एक्स के बारे में कहते हैं कि उनकी एक पार्टनर (Abhay Deol GF) नार्सिसिस्ट थी. उन्हें वह भावनाहीन और षड्यंत्रकारी लगती थी. शादी के सवाल पर जवाब देते हुए अभय ने कहा- 'किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहने से बेहतर है कि आप सिंगल और अकेले रहें जो आपके लिए सही नहीं है. कपल बनकर अपनी जिंदगी बर्बाद करने से बेहतर है.'
वर्क फ्रंट
वर्क फ्रंट की बात करें तो एक्टर जल्द ही जीनत अमान और शबाना आजमी (Zeenat Aman and Shabana Azmi) के साथ 'बन टिक्की' (Bun Tikki) में स्क्रीन स्पेस शेयर करते नजर आएंगे. इसके अलावा अभय देओल ने देव डी, रांझणा, आयशा और नानू की जानू (Dev D, Raanjhanaa, Ayesha and Nanu Ki Jaanu) जैसी फिल्मों में काम किया है.
एक्टर के बारे में
अभय देओल ने अपने करियर में कई शानदार फिल्मों (Abhay Deol Famous Films) में काम किया है, जो उनकी अलग और प्रभावशाली अभिनय शैली को दर्शाती हैं. उनकी डेब्यू फिल्म सोचा ना था (2005) भले ही बड़ी हिट न रही हो, लेकिन इसमें उनकी मासूमियत और नैचुरल एक्टिंग ने दर्शकों का ध्यान खींचा. इसके बाद ओए लकी! लकी ओए! (2008) और देव डी (2009) जैसी फिल्मों से उन्होंने अपनी पहचान मजबूत की. खासकर देव डी, जो शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास देवदास का मॉडर्न एडाप्टेशन थी, इसमें अभय ने देवदास के किरदार को एक नई पहचान दी और यह फिल्म उनकी सबसे चर्चित फिल्मों में से एक बनी.
इसके अलावा ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा (Zindagi na milegi dobara) में उनके अर्जुन के किरदार को भी खूब सराहा गया, जहां उन्होंने हृदयस्पर्शी परफॉर्मेंस दी. शंघाई (shanghai) और मंटो (manto) जैसी फिल्मों से उन्होंने गंभीर और सामाजिक रूप से प्रासंगिक विषयों को भी पर्दे पर उतारा. अभय देओल अपनी फिल्मों के चुनाव में हमेशा अलग रहे हैं और उन्होंने कमर्शियल से ज्यादा कंटेंट-ड्रिवन सिनेमा को प्राथमिकता दी है.
Read More
‘Sikandar’ के लिए Salman Khan की मोटी फीस सुनकर मेकर्स के छूटे पसीने, जानिए कितनी रकम वसूली?
Anurag Basu की फिल्म से सिर्फ एक सीन के बाद हटाई गईं थी Katrina Kaif, वजह कर देगी हैरान
Anupam Kher Birthday:थिएटर से सिल्वर स्क्रीन तक, अनुपम खेर का अभिनय सफर