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Khushali Kumar News: खुशाली कुमार (Khushali Kumar), आर माधवन (R Madhvan) अपारशक्ति खुराना (Aparshakti Khurana) और दर्शन कुमार स्टारर फिल्म 'धोखा राउंड डी कार्नर' (Dhokha: Round D Corner), वर्ष 2022 को, कोरोना काल के दहशत के आसपास रिलीज़ किया गया था. अगर वो आज के वक्त पर रिलीज होती तो उसका रिज़ल्ट कुछ और होता. तो क्या इसे भी फ़िल्म 'जाट' या 'भैयाजी सुपर हिट' की तरह री - रिलीज़ होना चाहिए?
धोखा: राउंड डी कॉर्नर' से खुशाली कुमार ने किया था बॉलीवुड डेब्यू
2022 की बॉलीवुड थ्रिलर' धोखा: राउंड डी कॉर्नर', संगीत दिग्गज गुलशन कुमार की बेटी खुशाली कुमार की डेब्यू फिल्म के रूप में खूब चर्चित हुई थी. कहानी में यह बताया गया है कि ऊंची ऊंची इमारतों में रहने वाले लोगों का किसी के प्रति प्यार, कभी भी चालाकी और बेवफ़ाई में बदल सकता है और उनकी सच्चाई को झूठ में बदलते देर नहीं लगती है.'' 'धोखा: राउंड डी कॉर्नर' एक ऐसी कहानी है जो इतनी उलझी हुई है कि घर की दीवारें भी रहस्यम दिखती हैं. कुकी गुलाटी द्वारा निर्देशित, तथा भूषण कुमार, कृष्ण कुमार, द्वारा, टी सीरीज़ के बैनर तले निर्मित यह 2022 की थ्रिलर वैवाहिक कलह, झगड़े, छल-कपट और मर्डर की कहानी है.
फ़िल्म की कहानी
फ़िल्म की कहानी कुछ अजीब सा है. सांची सिन्हा (खुशाली कुमार)को पता चलता है कि उसके पति यथार्थ (आर. माधवन) का एक लेडी डॉक्टर विद्या अवस्थी (वासुकि पुंज), से अवैध संबंध है इसलिए उन दोनों के बीच रोज़ झगड़ा होता है. इसी वजह से उनकी शादी टूटने के कगार पर है. सांची तलाक लेकर , यूके जाने की योजना बनाती है. लेकिन यथार्थ तलाक देना नहीं चाहता क्योंकि इससे वो सांची की प्रॉपर्टी हासिल नहीं कर पाएगा इसलिए वो सांची को हमेशा के लिए रास्ते से हटाना चाहता है. वो अपनी प्रेमिका डॉक्टर विद्या के साथ मिलकर सांची को मानसिक रूप से बीमार दिखाने की साजिश रचते है और ऐसी दवा जबर्दस्ती खिलाते हैं जो सांची को मानसिक रूप से बहुत बीमार कर दे. सांची अपने पति से तंग रहने के कारण, वहां के एक ए.सी.पी. हरिश्चंद्र मलिक (दर्शन कुमार) के प्रेम में पड़ जाती है.
एक दिन जब यथार्थ काम से बाहर होता है तो उसे खबर लगती है कि एक खूंखार आतंकवादी, हक रियाज़ गुल (अपारशक्ति खुराना) उनके बिल्डिंग में घुसकर उसके फ्लैट को कब्ज़ा कर चुका है. यथार्थ तुरंत ए सी पी हरिश्चंद्र को इस बात की खबर देकर, उसके साथ अपनी बिल्डिंग के बाहर आ जाता है. वो इंस्पेक्टर को बताता है कि उसकी बीवी का दिमाग ठीक नहीं है और उसे इस वक्त एक दवाई देना बहुत जरूरी है.
उधर हक रियाज़ गुल जब सांची के फ्लैट में घुसकर उसे बंधक बनाता है तो सांची उसके साथ फ्लर्ट करना शुरू कर देती है और उसे बताती हैं कि उसका पति उसकी हत्या करना चाहता है ताकि उसकी प्रॉपर्टी पर कब्जा कर सके और अपनी डॉक्टर प्रेमिका के साथ शादी रचा सके. ए सी पी हरिश्चंद्र, कि मदद से यथार्थ फ्लैट के अंदर छिपे गुल से कहता है कि वो सांची को जबर्दस्ती दवा पिला दे लेकिन गुल सांची के प्रति सहानुभूति रखकर दवा नहीं पिलाता. वो सांची से बताता है कि वो असल में आतंकवादी नहीं है, उसके चाचा ने उसे फंसा कर कश्मीर से एक पार्सल, बॉयज हॉस्टल में डेलिवर करने भेजा था. उसे नहीं पता था कि पार्सल में बम है. बम के फटने से बहुत से छात्रों की मौत हो गई और पुलिस ने उसे पकड़ लिया.
सांची, गुल से कहती हैं कि वो उसके साथ भागने को तैयार है लेकिन उसे गोलियों से डर लगता है. इसलिए पहले वो अपनी बंदूक से गोली निकाल दे , फिर खाली बंदूक को लहराते हुए उसे बंधक के रूप में ढाल बनाकर फ्लैट से निकल भाग सकता है. सांची की बात मानकर गुल ऐसा ही करता है लेकिन बाहर निकलते ही सांची गुल को धोखा देते हुए पुलिस को बताती हैं कि गुल के बंदूक में गोली नहीं है. पुलिस तुरंत उसे पकड़ने लपकता है लेकिन गुल किसी तरह से सांची को फिर से फ्लैट में घसीट कर उसके साथ कमरे में बंद हो जाता है और सांची को कुर्सी से बांध देता है. वो पुलिस से कहता है कि अगर वो सांची को बचाना चाहता है तो पचास लाख रुपये फ्लैट के अंदर डाल दे. रुपयों का इंतज़ाम करके यथार्थ, फ्लैट में खुद अकेले जाने की पेशकश करता है. पुलिस उसे जाने देती है. थोड़ी ही देर में गोलियों की आवाज गूंजती है. पुलिस और ए सी पी मलिक ऊपर भागते हैं और वहां सांची को यथार्थ की बाहों में गोली खाकर मरी पाते है. गुल कहता है कि सांची को उसने नहीं यथार्थ ने मारा. कोर्ट में गुल और यथार्थ एकदूसरे पर सांची के मर्डर का इल्ज़ाम लगाते हैं.
उधर मलिक झूठे एविडेंस दिखा कर साबित करता है कि गुल एक मानसिक रोग के कारण पहले भी हत्या जैसे अपराध करके जेल की हवा खा चुका है . जेल से भागकर वो सांची के फ्लैट में घुसा और उसका मर्डर कर दिया. गुल को मेडिकल जांच के बाद फांसी की सजा सुनाई जाती है. दरअसल गुल ने किसी का मर्डर नहीं किया है. उसके चाचा ने धोखे से उसे आतंकवादी साबित करके जेल भेजा था. उधर पति की बेवफाई से दुखी सांची जब मलिक से अवैध संबंध बनाती है और मलिक से देश छोड़ कर उसके साथ विदेश बसने की जबर्दस्ती करती है तो मलिक उसकी बात नहीं मानता, क्योंकि वो अपने परिवार को नहीं छोड़ना चाहता. गुस्से में सांची उसे रेप के इल्जाम में फंसाने की धमकी देती है. तब ए सी पी मलिक जेल में बंद गुल से कहता है कि वो उसे जेल से भागने में मदद करेगा.
लेकिन उसे बदले में सांची का मर्डर करना होगा. गुल मान जाता है. लेकिन फ्लैट में उसे सांची से सहानुभूति होने लगती है इसलिए वो उसे मार नहीं पाता लेकिन यथार्थ कमरे में आ कर सांची का मर्डर कर देता है. कहीं गुल कोर्ट में यह ना बता दें कि मलिक ने ही उसे सांची को मारने के लिए भेजा था इसलिए मलिक गुल को फिर से मानसिक रोग युक्त मर्डरर साबित करके जेल में डाल देता है जबकि उसने कोई मर्डर नहीं किया. फ़िल्म का संगीत कुछ अलग जैसा है, जिसे कंपोज किया तनिष्क बाग़ची, बप्पी लहरी, गौरव दासगुप्ता ने और गीत लिखे हैं कुमार अनजान. इसके कुछ गीत, ' मेरे दिल गाए जा', तू बनके हवा ', माही मेरा दिल' गाने, युवा वर्ग ने काफी पसंद किया.
पर्दे के पीछे की अनकही कहानियाँ
फ़िल्म की नायिका खुशाली कुमार (म्यूजिक लीजेंड गुलशन कुमार की छोटी बेटी) की यह डेब्यू (पहली) फ़िल्म थी. दरअसल 2019 में टी सीरीज़ कृत फ़िल्म "दही चीनी' में आर माधवन के ऑपोजिट में नवोदित खुशाली को डेब्यू करना था लेकिन यह प्रोजेक्ट रुक जाने के कारण टी सीरीज़ ने अपनी अगली फ़िल्म' धोखा राउंड दी कार्नर ' शुरू कर दी जिसमें उन्हीं कलाकारों को लीड में रखा गया.
टी सीरीज के संस्थापक म्यूजिक कम्पनी जाइंट स्वर्गीय गुलशन कुमार की बेटी खुशाली कुमार ने अपनी इस डेब्यू फ़िल्म में मानसिक रोगी की भूमिका करने के लिए इस तरह की रोगियों का अध्ययन करने में महीनों बिताए. यहाँ तक कि सांची के किरदार की अस्थिरता को पकड़ने के लिए वे मनोचिकित्सकों की छाया में भी रहीं. खबरों के अनुसार उनके ऑडिशन ने माधवन को भावुक कर दिया. गुल की भूमिका निभाने के लिए अपारशक्ति खुराना ने कश्मीरी बोली के प्रशिक्षकों के साथ हफ़्तों तक काम किया.
10 मिनट के एक सिंगल टेक वाले क्लॉस्ट्रोफोबिक अपार्टमेंट के दृश्य को एक ही टेक में फिल्माया जाना था, जिसके लिए दो दिनों में 27 रीटेक की आवश्यकता थी. बाद में माधवन ने 15वें प्रयास में अभिनय भूल जाने के बारे में मज़ाक किया. अफवाहों के अनुसार शुरुआती स्क्रिप्ट में नेशनल सिक्योरिटी गार्ड कमांडो द्वारा अपार्टमेंट पर धावा बोलने के बारे में एक सबप्लॉट शामिल था लेकिन विवादों के चलते इसे हटा दिया गया. बताया गया कि “धोखा राउंड दी कार्नर ' के निर्देशक कुकी गुलाटी ने खुलासा किया कि यह कहानी एक वास्तविक जीवन के केस से प्रेरित थी जिसमें एक पति अपनी पत्नी की मानसिक बीमारी का नाटक करके संपत्ति हड़प लेता है - एक ऐसा घोटाला जो कानूनी खामियों के कारण दब गया. हालाँकि इसकी रोमांचक क्लाइमेक्स और खुशाली के बेहतरीन अभिनय के लिए इसकी खूब प्रशंसा की गई, लेकिन इस फ़िल्म को उसके हक की सफलता नहीं मिल पाई.
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