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Death Anniversary Mahipal : जो परदे पर भगवान बने, और दिलों में अमर हो गए

कलाकार अपनी कलाकारी से जाना जाता है, लेकिन कुछ कलाकार ऐसे होते है जो सिर्फ अपने तय सीमा तक ही नहीं बल्कि सदियों-सदियों तक याद किए जाते हैं. ऐसा ही एक नाम सिनेमा जगत के दिग्गज अभिनेता- गीतकार महिपाल भंडारी...

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Death Anniversary Mahipal   जो परदे पर भगवान बने, और दिलों में अमर हो गए
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कलाकार अपनी कलाकारी से जाना जाता है, लेकिन कुछ कलाकार ऐसे होते है जो सिर्फ अपने तय सीमा तक ही नहीं बल्कि सदियों-सदियों तक याद किए जाते हैं. ऐसा ही एक नाम सिनेमा जगत के दिग्गज अभिनेता- गीतकार महिपाल भंडारी (Mahipal Bhandari) का है. जिन्हें हिंदी सिनेमा का धार्मिक अभिनेता भी कहा जाता है. जी हाँ, हम उन्हीं महिपाल की बात कर रहे हैं जिन्होंने सिनेमा जगत में कभी भगवान राम, कभी भगवान कृष्ण कभी विष्णु, कभी तुलसीदास तो कभी अभिमन्यु बनकर खूब वाहवाही लूटी है. आज उनकी 20वीं पुण्यतिथि (Death Anniversary) के अवसर पर हम उनके जीवन पर प्रकाश डालते हैं.

‘आधा है चंद्रमा रात आधी’ (Aadha Hai Chandrama Raat Aadhi) गाने में मनमोहक मुस्कान के साथ दिखाई देने वाले महिपाल ने देश की पहली (1942) मारवाड़ी फिल्म ‘नजराना’ (Nazrana) से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की. मारवाड़ी फिल्मों के बाद इन्हें हिंदी फिल्मों में काम करने का अवसर मिला जहां इन्होंने माइथोलॉजिकल फिल्मों में अदाकारी कर खूब तारीफ़ बटोरी. इसके अलावा ये फैंटेसी फिल्मों के लिए भी जाने जाते थे. इन्होंने अली बाबा से लेकर हातिमताई तक सभी के रोल किए.

‘नवरंग’ से मिली पहचान 

Death Anniversary Mahipal

A Tribute to Mahipal Bhandari Ji He Played Gods on Screen and Became Immortal in Our Hearts

हालांकि महिपाल ने फिल्म ‘नजराना’ (Nazrana) से अपने फ़िल्मी करियर की शुरूआत की थी. लेकिन उन्हें असल पहचान 1959 में वी शांताराम की फिल्म ‘नवरंग’ (Navrang) से पहचान मिली. इस फिल्म में उन्होंने दिवाकर की भूमिका निभाई थी. फिल्म में उनके साथ संध्या लीड रोल में थीं. फिल्म का गाना ‘आधा है चंद्रमा रात आधी’ और ‘अरे जा रे हट नटखट’ आज भी लोगों की जुबान पर हैं. इनकी फिल्म भारत समेत मिडिल ईस्ट में भी काफी पसंद की जाती थीं. महिपाल ने अपने फ़िल्मी सफ़र में करीब 130 से ज्यादा फिल्में कीं. उन्होंने मीना कुमारी, माला सिन्हा, संध्या, निरुपा रॉय जैसी टॉप एक्ट्रेसेस के साथ सबसे ज्यादा फिल्में की थीं. 

महिपाल का फ़िल्मी करियर

दिग्गज अभिनेता महिपाल ने अपने फ़िल्मी करियर में अलीबाबा और 40 चोर, अलादीन और जादुई चिराग, अलीबाबा का बेटा, रूप लेखा, सुनहरी नागिन, पारसमणि, कोबरा गर्ल, जंतर मंतर, दौलत, अरेबियन नाइट जैसी फ़िल्में शामिल है. लेकिन उनका यह सफर 1984 की फिल्म ‘अमर ज्योति’ तक जारी रहा. 15 मई 2005 में 86 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से इस महान कलाकार ने दुनिया को अलविदा कह दिया.

मिलते ही पैर छूने लगते लोग 

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महिपाल ने अपने फ़िल्मी करियर में कई माइथोलॉजिकल फ़िल्में की है जिसमें उनकी सबसे पहली फिल्म ‘श्री गणेश महिमा’ (1950) थी. होमी वाडिया की इस फिल्म में महिपाल के अपोजिट मीना कुमारी थी. फिल्म में महिपाल भगवान गणेश के रोल में थे. यह पहली बार था जब महिपाल फिल्म में भगवान बने थे. इसके बाद महिपाल ने कई धार्मिक फ़िल्में की जिनमें संपूर्ण रामायण, वीर भीमसेन, वीर हनुमान, हनुमान पाताल विजय, जय संतोषी मां जैसी हिट फ़िल्में शामिल है. इतना ही नहीं इन फिल्मों सहित उन्होंने कई अन्य फिल्मों में भगवान राम, कृष्ण, गणेश और विष्णु का किरदार निभाया है. इसके अलावा हिंदी फिल्मों में सबसे ज्यादा भगवानों का रोल प्ले करने का रिकॉर्ड भी इन्हीं के पास है. वे करीब 35 से ज्यादा फिल्मों में भगवान या भक्त के रोल में नजर आए हैं. 

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उनके व्यक्तित्व और अभिनय से लोग इतने प्रभावित होते कि असल जिंदगी में भी उन्हें भगवान मानने लगते थे. महिपाल जहां भी जाते लोग इनके पैर छूने लगते. ये वहीँ जमाना था जब राज कपूर, देव आनंद और दिलीप कुमार जैसे बड़े कलाकार इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाए बैठे थे.

‘माली’ का टाइटल सॉन्ग लिखा

महिपाल सिर्फ अभिनेता ही नहीं बल्कि, एक गीतकार भी थे. उन्होंने उस जमाने के पॉपुलर फिल्ममेकर वी शांताराम के लिए लिरिक्स लिखे थे. इतना ही नहीं उन्होंने 1944 की फिल्म ‘माली’ का टाइटल सॉन्ग भी लिखा. इसी समय में उन्हें कई फ़िल्में लिखने का मौका भी मिला. यह वह दौर था जब वे फिल्मों में नाम कमाने के लिए संघर्ष कर रहे थे.

कविता भी लिखते थे

इसके अलावा महिपाल को कविता लिखने का भी शौक था. कॉलेज के दिनों में महिपाल की लिखी ‘किसान’ कविता इतनी फेमस हुई कि लोग इन्हें अपने प्रोग्राम में यही कविता पढ़ने बुलाने लगे. 

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मुश्किलों से मिला परिवार का साथ 

24 नवम्बर 1919 को जोधपुर, राजस्थान में जन्मे इस दिग्गज अभिनेता- गीतकार को अपने परिवार का साथ आसानी से नहीं मिला. इसके लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा. जब ‘नजराना’ के मेकर्स उस समय थिएटर आर्टिस्ट महिपाल से मिले और उन्हें फिल्म के लिए (125 रुपए प्रति महीना) साइन किया, तो शुरूआती दौर में उनके घरवाले और रिश्तेदार नहीं माने. उनके रिश्तेदार उन्हें ताने मारने लगे कि ‘क्या अब भंडारी खानदान के लोग तवायफों और भांडों के साथ नाचेंगे- गाएंगे.’ लेकिन उनके दादाजी ने अंत में सभी को राजी कर लिया और इस तरह हमारे सिनेमा जगत को महिपाल जैसा एक बहुमुखी प्रतिभा का धनी अभिनेता, गीतकार और लेखक जैसा अनमोल रत्न प्राप्त हुआ.

A Tribute to Mahipal Bhandari Ji He Played Gods on Screen and Became Immortal in Our Hearts

A Tribute to Mahipal Bhandari Ji He Played Gods on Screen and Became Immortal in Our Hearts

‘मायापुरी’ मैगज़ीन महिपाल जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती है. उनका योगदान सिनेमा जगत में सदा अमर रहेगा. 

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