- अली पीटर जाॅन
आजकल, जब से लता इस जहां को अलविदा कर गई है, हर गली, हर चैक, हर संस्था, हर शासन उनके लिए जैसे एक श्रद्धांजलि का जश्न मना रहे हैं।
कुछ लोग मिल जाते हैं, कुछ को संगीत का ज्ञान है, कुछ बिल्कुल अज्ञानी हैं और उनको सुर का स और ता का था भी नहीं पता, लेकिन फिर भी उन्हें गाने की जिद है।
और उन्हें लगता है कि उनकी श्रद्धांजलि लता जी तक पहुंच ही जायेगी।
आज तक मैंने ऐसे कुछ जश्न में शामिल होकर देखा है।
और ज्यादातर मुझे रोना आया है लता जी पर नहीं, लता जी के लिए।
कैसे-कैसे श्रद्धांजलि अर्पण करते हैं लोग आज कल... और इसके विपरीत एक स्वागत सभा आयोजित किया था स्वर्ग में।
जब लता जी ने पदार्पण किया था स्वर्ग में पहली बार।
खुदा खुद स्वर्ग के सुनहरे द्वार पर आए थे लता जी का स्वागत करने।
स्वर्ग के चारों ओर सिर्फ और सिर्फ लता जी के गीत बज रहे थे।
और स्वर्ग इतना शानदार कभी भी दिखा नहीं था।
और खुदा ने उसी शाम एक भव्य स्वागत समारोह आयोजित किया जिसमें भी सिर्फ लता जी छाई हुईं थी।
और मंच पर बैठे हुए थे लता जी के दोस्त, राजकपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद, मीना कुमारी, मधु बाला, नरगिस और नूतन और दर्शकों में वो सारे लोग थे जो लता जी के जीवन का एक हिस्सा थे।
उस रात समारोह हजारों साल तक चला और उनके बाद...मेरा सपना छूट गया, टूट गया ये कहकर की वो मुझे फिर मिलेगा कभी।