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-अली पीटर जाॅन
पिछले 12 दिनों से मैं लता जी की आवाज कुछ अलग-अलग तरीके से सुन रहा हुं। कभी आंखों में नीर बहता है। कभी मोहब्बत हद से बढ़ जाती है। कभी रिश्तों का मतलब समझ में आता है, जो सारी जिंदगी समझ में नहीं आया था। कभी दुनिया से लगाव हो जाता है। कभी दुनिया से भाग जाने का जी करता है।
और अभी-अभी मैंने लता जी को ये कहते हुए सुना और जी भर आया...
‘मुझे अगर लोग याद करें तो ऐसे कि मैंने किसी का बुरा सोचा नहीं और किसी का बुरा किया नही। मैने देश की सेवा की, मेरे गानों से, कितनी की मालूम नही, क्योंकि में फिल्मों में गाती हूँ। लेकिन इच्छा बहुत है।’
अगर लता जी की सारी इच्छाएँ पूरी हो जाती तो ये देश और हो सकता है ये दुनिया भी कितनी अच्छी और सुंदर होती।