मनु - व्यवस्था की सोच में जीने वालों को एक और झटका ! अब ‘पैड’ के बाद ‘पीरियड’ की चर्चा आम होने जा रही है। पहले धर्म गुरूओं ने ‘पैडमैन’ की खुली बहस में टीवी चैनलों पर आने से इंकार किया था, अब उनकी सांसत होगी कि वे औरतों के माहवारी (‘मैन्स्ट्रुअल हाइज़िन) पर कैसे बात करेंगे? सचमुच ‘छुपाने वाली’ बात को जायज ठहराने की सोच रखने वालों के लिए यह झटका ही है कि अब ‘माहवारी- बहाव’ पर समाज में खुली बहस और पर्दे पर सिनेमा बनाये जाने की तैयारियां शुरू हैं।
गतदिनों देश की राजधानी में ‘मैन्स्ट्रुअल हाईजिन डे’ (जिसे माहवारी-दिवस या पीरियड-डे कहना ठीक रहेगा) का सेलिब्रेशन किया गया। विश्वसुंदरी (2017 की) मानुषी छिल्लर, शबाना आजमी, अक्षय कुमार और कई विद्यालय की वयः संधि पर पहुंची बालिकाओं ने हिस्सा लिया। टीनएज बालिकाओं और अन्य सोशल-महिलाओं के हाथ में तख्तियां थी- ^^PERIODS WILL NOT STOP ME, PERIODS** वगैरह वगैरह। सभी प्रतिभागियों का कहना था- माहवारी स्त्राव पर खुलकर चर्चा की जानी चाहिए और हर साल ‘मैन्स्ट्रुअल-डे’ को मनाया जाना चाहिए। मानुषी पूर्व विश्व व देश-सुंदरियों के साथ इस काम में पहले से जुड़ी हैं और महिलाओं में पीरियड चर्चा को आप वार्ता बनाये जाने का अलख जगाना चाहती हैं। शबाना ने बताया कि उनकी नातिने जब अपने दादा के सामने कहेगी कि मेरा ‘पैड’ देना (जैसे वह टुथ ब्रश मांगती है) तब समझो कि लोगों में जागृति आयी है। अक्षय कुमार ने कहा कि वे अपनी फिल्म ‘टॉयलेट-एक प्रेम कथा’ से टॉयलेट पर चर्चा शुरू कर चुके थे और ‘पैडमैन’ से ‘पैड’ पर। अब वैसा ही प्रयास वह महिलाओं के मासिक स्त्राव को लेकर करना चाहते हैं। जाहिर है अक्षय की अगली फिल्म ‘पीरियड-डे’ ही होगी। दबी खबर तो यह भी है कि अक्षय की पत्नी ट्विंकल खन्ना ने पीरियड-विषय फिल्म पर लिखना भी शुरू कर दिया है। ‘पैडमैन’ की लेखिका भी वह थीं।
जो भी हो, सदियों से छाई कुप्रथा कि मासिक धर्म के दौरान स्त्री पूजा-पाठ में भाग नहीं ले सकती, मंदिर में नहीं जा सकती, चटनी-आचार नहीं छू सकती... इस सोच में बदलाव लाना जरूरी है। यह तभी होगा जब माहवारी-जैसे विषय पर खुली चर्चा होगी। अक्षय कुमार तो इस टॉपिक पर गीत भी गुनगुनाने लगे हैं- ‘लेटस टाक अबाउट पीरियड..!’ इंतजार कीजिए पर्दे पर पहली फिल्म कौन-सी होगी?