2017 में मनीषा कोइराला के साथ फिल्म ‘डियर माया’ में अभिनय कर बॉलीवुड में कदम रखने वाली अभिनेत्री श्रेया चैधरी इन दिनों आनंद तिवारी निर्देशित वेब सीरीज ‘बंदिश बैंडिट’ मैं नताशा का किरदार निभाने के कारण सुर्खियों में बनी हुई है।
यह वेब सीरीज 2 माह पहले अमेजॉन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हुई थी, पर लोग इस वेब सीरीज की नताशा शर्मा को आज भी याद करते हैं और हर दिन इस वजह से श्रेया चैधरी चर्चा में बनी हुई है।
शांतिस्वरूप त्रिपाठी
प्रस्तुत है श्रेया चैधरी से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के अंशः
आपको कैसे ख्याल आया कि आपको एक्टिंग को कैरियर बनाना है?
मैंने बारहवीं तक साइंस से पढ़ाई की है, मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहती थी।
लेकिन पता नहीं मेरे माता-पिता को क्या सूझा, उन्होंने 12वीं के बाद मुझसे पूछा कि , ‘तुम इंजीनियरिंग क्यों करना चाहती हो? क्या इसीलिए कर रही हो कि सब लोग करते हैं ?’ तो मैंने कहा मुझे नहीं पता।
पर इतना जरूर पता है कि जब साइंस में आप अच्छे होते हो तो आप इंजीनियरिंग करने लगते हो या एमबीबीएस करते हो तो उन्होंने कहा कि, ‘नहीं तुम क्रिएटर हो ।
तुमको क्रिएटिव दिशा में कुछ करना चाहिए ’ फिर मैंने दिमाग लगाया और मैंने सोचा कि मैं बीएमएम करती हूं, मास मीडिया का कोर्स है मैं इसमें एडवरटाइजिंग पर कोर्स कर रही थी।
मैं पढ़ाई में बहुत अच्छी थी, पढ़ाई में अपने पूरे कॉलेज में तीसरे स्थान पर भी आई, दूसरे साल में मुझे फेसबुक के जरिए एक विज्ञापन के ऑडिशन के बारे में पता चला तो मैंने सोचा कि मैं ऑडिशन दे देती हूं।
मुकेश छाबरा की कॉस्टिंग एजेंसी नया ऑडिशन लिया था, वैसे भी जब मैं स्कूल में पढ़ती थी, तब मैं बहुत सारी ऐसी प्रतियोगिताओं में भाग लेती थी ड्रामा हो गया, थिएटर हो गया।
एलोकेशन हो गया। डिबेट हो गया तो यह सारी चीजें मैं बहुत करती थी, मुझे स्टेज पर होना बहुत पसंद था, पर मैंने कभी भी अपने सपने में ऐसा नहीं सोचा था कि मैं इस लाइन में आऊंगी।
मैं प्रोफेशनली एक कलाकार बन सकती हूं , यह मैंने सोचा ही नहीं था तो मैं ने इस विज्ञापन का ऑडिशन दिया और मुझे यह विज्ञापन मिल भी गया।
अभिषेक कपूर के निर्देशन में मैंने 2 दिन इसकी शूटिंग की मुझे बहुत मजा आया, उस समय मैं कॉलेज में थी और तीसरे साल में मैंने हिम्मत करके अपने माता-पिता को बोला कि मैं पढ़ाई से ब्रेक लेना चाहती हूं।
यह सुनकर उनको बहुत बड़ा झटका लगा था, क्योंकि मैं अपनी कक्षा में तीसरे नंबर पर आई थी ,उनको ऐसे लगा था कि मैं एमबीए या मास्टर्स कुछ करूंगी।
पर मेरी जिद के बाद वह लोग तैयार हो गए कि ठीक है, हम तुम्हारा सहयोग देते हैं उसके बाद 1 साल तक मैं लगातार सिर्फ ऑडिशन देती रही।
ऐसे ही करते करते मुझे वह सारे ऑफर मिलने लगे, मनीषा कोइराला के साथ फिल्म डियर माया की, कई अन्य अच्छे निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिला। मैंने इम्तियाज अली के निर्देशन में भी एक लघु फिल्म की।
आनंद तिवारी के निर्देशन वेब सीरीज ‘बंदिश बैंडिट’ की, जिसकी वजह से स्टार बनी हुई हूं। मुझे लगता है कि पहले ही एक विज्ञापन के ऑडिशन की वजह से मेरी जिंदगी बदल गई।
जब आपके पास बंदिश बैंडिट का ऑफर आया था, तो आपको किस बात ने इसे करने के लिए प्रेरित किया था ?
मेरे लिए जो सबसे बड़ी प्रेरणा थी वह दो चीजें थी। पहली तो निर्देशक आनंद तिवारी, जोकि थिएटर से जुड़े हुए हैं । वह बहुत ही उम्दा निर्देशक है। बहुत ही अच्छे एक्टर हैं।
मुझे उनके साथ ऑडिशन में ही इतना मजा आया कि क्या कहूं। उन्होंने ऑडिशन के बाद वर्कशॉप रखा था। उन्होंने शूटिंग के एक दो महीने पहले ही बहुत ही अच्छा वर्कशॉप रखा था।
यह मेरे लिए बहुत ही ज्यादा बड़ी प्रेरणा की बात थी कि एक ऐसे उम्दा कलाकार ,जिन्होंने मुझे देने के लिए इतना समय देकर हर रोज एक दो घंटा हमारे साथ वक्त निकालकर वर्कशॉप करते थे।
वह हमें अच्छे से बिठाकर होमवर्क करते थे। बातचीत करते थे। संगीत को लेकर बहुत सारी बातचीत होती थी। हमने साथ में मिलकर ऑफिस में बहुत सारी फिल्में देखी हैं ।
क्योंकि उनका मानना है कि यह तमन्ना शर्मा का जो करैक्टर है, वह एक संगीतकार का करैक्टर है। और मैं संगीतकार तो नहीं हूं। लेकिन मुझे संगीतकार की एक्टिंग करनी थी।
तो उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि तुम संगीत की दुनिया में ऐसे डूब जाओ। मैंने किसी भी संगीतकार से जाकर नहीं बोला कि मैं उनके जैसा बनना चाहती हूं।
लेकिन यहां का जो वातावरण था जो लोग यहां काम कर रहे थे। इनके अंदर इतना ज्यादा पैशन था, वही चीज मेरे लिए सबसे बड़ी प्रेरणादायक थी।
क्योंकि अगर आप देखें, तो हर संगीतकार के अंदर जो सबसे बड़ी खूबी होती है वही है कि वह अपने काम के प्रति बहुत ज्यादा फेसिनेटेड होते हैं।
अपने काम से ,संगीत से बहुत प्यार करते हैं। इसीलिए इतने अनुशासन से अपने काम को करते हैं। घंटों अपने स्टूडियो में बैठते हैं।
क्रिएटिविटी जो भी होती है वह सब कुछ पैशन की वजह से ही होती है। तो मेरे निर्माता-निर्देशक कि यह जो एनर्जी थी ,शो के जो राइटर थे, हम लोग सब लोग मिलकर बैठकर बात करते थे।
स्क्रिप्ट में भी साफ लिखा था कि तमन्ना का जो किरदार है वह ऐसा है ,पर ऐसा क्यों है ? वहां पर पूरा लिखा था। ज्यादा पूछने की जरूरत नहीं थी।
ब कुछ स्क्रिप्ट में था। हम लोग पूरा दिन बातें करते रहते थे। उन्होंने मुझे कहानी भी बताई कि उन्हें ‘बंदिश बैंडिट’ का आईडिया कहां से आया।
वह एक शास्त्रीय संगीत के बहुत बड़े संगीतकार से बात कर रहे थे , उनसे बात करते-करते उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि कितना पैशन होता है।
लोगों के अंदर कितने घंटे लोग लगा देते हैं। वह सारी बातें मेरे लिए बहुत प्रेरणादायक थी। और उसी एनर्जी को उठाकर मैंने कोशिश की है कि मैं उसे तमन्ना के किरदार में भी डालूं।
इसमें मेरा तमन्ना शर्मा का किरदार अपने संगीत को लेकर बहुत ज्यादा पैशनेट है। उसका एक लक्ष्य है जिसे पाने के लिए उसे काम करना ही है। तो वह उसके लिए बहुत काम भी करती है।
उसका अपने पापा के साथ जो रिश्ता हैं वह भी बहुत खास है। उसका अपनी मां के साथ जो रिश्ता था वह इतना खास नहीं था। उसके मैनेजर के साथ वह राधे के साथ जो उसका इक्वेशन है, उन सारी चीजों पर हमने काम किया तो मेरे लिए यही सारी चीजें एक प्रेरणा थी।
तमन्ना शर्मा और श्रेया में कितना अंतर है?
मेरे हिसाब से तो काफी अंतर है। तमन्ना शर्मा एक संगीतकार है और मैं संगीतकार नहीं हूं।तमन्ना का अपनी मां के साथ संबंध अच्छे नहीं हैं सिर्फ पिता के साथ उसका संबंध अच्छे हैं। जबकि निजी जीवन में मेरे माता-पिता के दोनों के साथ संबंध अच्छे हैं।
इसमें आपने नसीरुद्दीन शाह जैसे कई बड़े बड़े कलाकारों के साथ काम किया है क्या अनुभव रहे। इनके साथ आपके कुछ बातचीत हुई होगी कुछ नई बात सीखी होगी आपने?
इस वेब सीरीज में अपने करने का मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा। मुझे नसीरुद्दीन शाह जी, शीला चड्ढा ,राजेश तेलंग, अतुल कुलकर्णी सभी के साथ काम करके बहुत कुछ सीखने का मौका मिला।
बहुत अच्छा अनुभव था। क्योंकि हम लोग सेट पर सिर्फ एक ही काम के लिए आ रहे थे कि एक अच्छा शो बनाना है । हम सभी लोग यह बात जानते थे कि वह तभी होगा जब हम सब लोग अपना 100 प्रतिशत देंगे।
अभी मैं तो नई हूं। मैंने सोचा कि मैं तो नहीं कलाकार हूं। जब सभी दिग्गज कलाकार अपनी तरफ से 100 प्रतिशत दे रहे हैं तो मैं 90 प्रतिशत कैसे दे सकती हूं ? तो इन सभी को काम करते देखकर मुझे बहुत प्रेरणा मिलती थी।
हमारे सेट पर सभी लोग बहुत खुशी के माहौल में काम करते थे चाहे वह क्रू मेंबर हो या कास्ट हो। इनमें से किसी भी कलाकार ने मुझे कभी भी इस बात का एहसास नहीं होने दिया कि मैं नई हूं या छोटी हूं।
ऐसा कुछ बहुत कुछ खुलकर बहुत अच्छे से प्यार से उन्होंने बात की। ऐसा कभी नहीं हुआ कि मैंने किसी के साथ बात ना की हो। कई बार ऐसा होता था कि मेरा सीन भी नहीं होता था फिर भी मैं सेट पर चली जाती थी। उनसे बातें करती थी। मस्ती होती थी।
बंदिश बैंडिट को मिली सफलता से आपके कैरियर पर और आपके निजी जीवन पर क्या फर्क पड़ा क्या बदलाव आया?
मैं आपसे बात कर रही हूं। आप मेरा नाम जानते हैं। आपने मेरा काम देखा है। तो मेरे लिए यही सबसे बड़ा बदलाव है कि लोग ने मेरा काम देखा है। लोगों ने मेरे काम को सराहा है।
तो मेरे लिए यह बहुत बड़ी बात है। और मुझे लगता है कि कोई भी कलाकार हो यही चाहता है कि लोग उनका काम देखें। उनका अपना दर्शक वर्ग हो।
और उन्हें अपने काम के लिए प्रशंसा मिले। तो मेरे लिए आए एक नया अनुभव रहा है कि हमारा यह शो अमेजॉन प्राइम पर दिखाया गया है ।
अभी कुछ नया कर रही हैं?
एक शो की बात चल रही है। जैसे ही फाइनल होगा मैं लाउडस्पीकर पर जोर जोर से चिल्लाऊंगी कि हूं कि यह मेरा अगला शो है जरूर देखिएगा।
इसका दूसरा सीजन आने की भी कुछ चर्चाएं थी?
सीजन 2 के बारे में मैं भी कुछ नहीं जानती हूं। मैं भी रोज अपने निर्माता-निर्देशक से पूछती हूं कि क्या हो रहा है ।जैसे ही मुझे कोई जानकारी मिलेगी मैं हर किसी को बता दूंगी।
लॉक डाउन का जो समय था 3 महीने तक बिल्कुल बंद रहे सब लोग। तो इस दौरान आपने क्या किया?
मैं अपने माता पिता के साथ रहती हूं मेरा एक कजिन भी हैं। पहले तो शुरुआत की 12 हफ्ते हम लोग बहुत ज्यादा असमंजस मे थे कि क्या होने वाला है।
देखते देखते 1-2 हफ्ते तो बीत गये। फिर उसके बाद समझ में आया कि यह अब कभी भी जाने वाला नहीं है। यहीं रहने वाला है ।हम सब ने इस बात को स्वीकार कर लिया।
हमने साथ में समय बिताया। मुझे खाना बनाने का बहुत शौक है। तो खाना बनाया। अपनी मां के साथ केक बनाया। ऐसी बहुत सारी चीजें बनाएं।
कुत्ते के साथ में समय बिताया। हम एक साथ खाना खाते थे। मेरे जो दादा दादी है नाना-नानी है वह भी इसी बिल्डिंग में रहते हैं .।तो हम हमने एक दूसरे के साथ बहुत अच्छे से समय बिताया।
बहुत सारी फिल्में देखी। मेरे माता-पिता मेडिटेशन करते हैं तो उन्होंने कोशिश किया कि मैं भी मेडिटेशन करना सीख जाऊं।तो हमने मिलकर बहुत सारी चीजें एक साथ की।
वैसे वहां समय बहुत ज्यादा खतरनाक था पर हमने एक साथ मिलकर अच्छे से बिताया।
किस तरह के किरदार अब आप निभाना चाहती हैं ?
मैं हर तरह के किरदार निभाना चाहती हूं। क्योंकि मैं किरदारों के पीछे छिपती नहीं हूं। मुझे उम्मीद है कि अलग-अलग किरदार निभाने का मौका मिलता रहेगा।